उत्‍पत्ति 2:4-15

उत्‍पत्ति 2:4-15 पवित्र बाइबल (HERV)

यह पृथ्वी और आकाश का इतिहास है। यह कथा उन चीज़ों की है, जो परमेश्वर द्वारा पृथ्वी और आकाश बनाते समय, घटित हुईं। तब पृथ्वी पर कोई पेड़ पौधा नहीं था और खेतों में कुछ भी नहीं उग रहा था, क्योंकि यहोवा ने तब तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं भेजी थी तथा पेड़ पौधों की देख—भाल करने वाला कोई व्यक्ति भी नहीं था। परन्तु कोहरा पृथ्वी से उठता था और जल सारी पृथ्वी को सींचता था। तब यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी से धूल उठाई और मनुष्य को बनाया। यहोवा ने मनुष्य की नाक में जीवन की साँस फूँकी और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया। तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व में अदन नामक जगह में एक बाग लगाया। यहोवा परमेश्वर ने अपने बनाए मनुष्य को इसी बाग में रखा। यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है। अदन से होकर एक नदी बहती थी और वह बाग़ को पानी देती थी। वह नदी आगे जाकर चार छोटी नदियाँ बन गई। पहली नदी का नाम पीशोन है। यह नदी हवीला प्रदेश के चारों ओर बहती है। (उस प्रदेश में सोना है और वह सोना अच्छा है। मोती और गोमेदक रत्न उस प्रदेश में हैं।) दूसरी नदी का नाम गीहोन है जो सारे कूश प्रदेश के चारों ओर बहती है। तीसरी नदी का नाम दजला है। यह नदी अश्शूर के पूर्व में बहती है। चौथी नदी फरात है। यहोवा ने मनुष्य को अदन के बाग में रखा। मनुष्य का काम पेड़—पौधे लगाना और बाग की देख—भाल करना था।

उत्‍पत्ति 2:4-15 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

आकाश और पृथ्‍वी की रचना का यही विवरण है। प्रभु परमेश्‍वर ने पृथ्‍वी और आकाश को बनाया। पर उस समय धरती पर भूमि का कोई पौधा उगा नहीं था, और न ही भूमि की कोई वनस्‍पति अंकुरित हुई थी; क्‍योंकि प्रभु परमेश्‍वर ने पृथ्‍वी पर वर्षा न की थी, और भूमि की जोताई करने के लिए मनुष्‍य न था। कुहराधरती से ऊपर उठा, और उसने समस्‍त भूमि सींच दी। तब प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को भूमि की मिट्टी से गढ़ा तथा उसके नथुनों में जीवन का श्‍वास फूँका और मनुष्‍य एक जीवित प्राणी बन गया। प्रभु परमेश्‍वर ने पूर्व दिशा में अदन में एक उद्यान लगाया, और वहाँ उस मनुष्‍य को, जिसे उसने गढ़ा था, रख दिया। प्रभु परमेश्‍वर ने समस्‍त वृक्षों को, जो देखने में सुन्‍दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्‍य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया। एक महा नदी उद्यान को सींचने के लिए अदन से निकली और वहाँ विभाजित होकर चार नदियों में परिवर्तित हो गई। पहली नदी का नाम पीशोन है। यह वही नदी है जो हवीला देश के चारों ओर बहती है, जहाँ सोना पाया जाता है। उस देश का सोना उत्तम होता है। वहाँ मोती और सुलेमानी पत्‍थर भी पाए जाते हैं। दूसरी नदी का नाम गीहोन है। यह वही नदी है जो कूश देश के चारों ओर बहती है। तीसरी नदी का नाम दजला है, जो असीरिया देश की पूर्व दिशा में बहती है। चौथी नदी का नाम फरात है। प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को लेकर अदन के उद्यान में नियुक्‍त किया कि वह उसमें खेती करे और उसकी रखवाली करे।

उत्‍पत्ति 2:4-15 Hindi Holy Bible (HHBD)

आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात जिस दिन यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया: तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था; तौभी कोहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया। और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक वाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया। और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। और उस वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहां से आगे बहकर चार धारा में हो गई। पहिली धारा का नाम पीशोन है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहां सोना मिलता है घेरे हुए है। उस देश का सोना चोखा होता है, वहां मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं। और दूसरी नदी का नाम गीहोन है, यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है। और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है, यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है। तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे

उत्‍पत्ति 2:4-15 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया : तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था; तौभी कुहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी। तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम* को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर अदन में एक वाटिका लगाई, और वहाँ आदम* को जिसे उसने रचा था, रख दिया। और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। उस वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर चार धाराओं में बँट गई। पहली धारा का नाम पीशोन है; यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहाँ सोना मिलता है, घेरे हुए है। उस देश का सोना चोखा होता है; वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं। दूसरी नदी का नाम गीहोन है; यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है। और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है। तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम* को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रक्षा करे।

उत्‍पत्ति 2:4-15 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया। तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था। लेकिन कुहरा पृथ्वी से उठता था जिससे सारी भूमि सिंच जाती थी। तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। (1 कुरि. 15:45) और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर, अदन में एक वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया। और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14) उस वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर चार नदियों में बँट गई। (प्रका. 22:2) पहली नदी का नाम पीशोन है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहाँ सोना मिलता है घेरे हुए है। उस देश का सोना उत्तम होता है; वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं। और दूसरी नदी का नाम गीहोन है; यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है। और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है। तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रखवाली करे।

उत्‍पत्ति 2:4-15 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

यही वर्णन है कि जिस प्रकार याहवेह परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया. उस समय तक पृथ्वी में कोई हरियाली और कोई पौधा नहीं उगा था, क्योंकि तब तक याहवेह परमेश्वर ने पृथ्वी पर बारिश नहीं भेजी थी. और न खेती करने के लिए कोई मनुष्य था. भूमि से कोहरा उठता था जिससे सारी भूमि सींच जाती थी. फिर याहवेह परमेश्वर ने मिट्टी से मनुष्य को बनाया तथा उसके नाक में जीवन की सांस फूंक दिया. इस प्रकार मनुष्य जीवित प्राणी हो गया. याहवेह परमेश्वर ने पूर्व दिशा में एदेन नामक स्थान में एक बगीचा बनाया और उस बगीचे में मनुष्य को रखा. याहवेह परमेश्वर ने सुंदर पेड़ और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए और बगीचे के बीच में जीवन का पेड़ और भले या बुरे के ज्ञान के पेड़ भी लगाया. एदेन से एक नदी बहती थी जो बगीचे को सींचा करती थी और वहां से नदी चार भागों में बंट गई. पहली नदी का नाम पीशोन; जो बहती हुई हाविलाह देश में मिल गई, जहां सोना मिलता है. (उस देश में अच्छा सोना है. मोती एवं सुलेमानी पत्थर भी वहां पाए जाते हैं.) दूसरी नदी का नाम गीहोन है. यह नदी कूश देश में जाकर मिलती है. तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह अश्शूर के पूर्व में बहती है. चौथी नदी का नाम फरात है. याहवेह परमेश्वर ने आदम को एदेन बगीचे में इस उद्देश्य से रखा कि वह उसमें खेती करे और उसकी रक्षा करे.