गलातियों 3:1-14
गलातियों 3:1-14 पवित्र बाइबल (HERV)
हे मूर्ख गलातियो, तुम पर किसने जादू कर दिया है? तुम्हें तो, सब के सामने यीशु मसीह को क्रूस पर कैसे चढ़ाया गया था, इसका पूरा विवरण दे दिया गया था। मैं तुमसे बस इतना जानना चाहता हूँ कि तुमने आत्मा का वरदान क्या व्यवस्था के विधान को पालने से पाया था, अथवा सुसमाचार के सुनने और उस पर विश्वास करने से? क्या तुम इतने मूर्ख हो सकते हो कि जिस जीवन को तुमने आत्मा से आरम्भ किया, उसे अब हाड़-माँस के शरीर की शक्ति से पूरा करोगे? तुमने इतने कष्ट क्या बेकार ही उठाये? आशा है कि वे बेकार नहीं थे। परमेश्वर, जो तुम्हें आत्मा प्रदान करता है और जो तुम्हारे बीच आश्चर्य कर्म करता है, वह यह इसलिए करता है कि तुम व्यवस्था के विधान को पालते हो या इसलिए कि तुमने सुसमाचार को सुना है और उस पर विश्वास किया है। यह वैसे ही है जैसे कि इब्राहीम के विषय में शास्त्र कहता है: “उसने परमेश्वर में विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।” तो फिर तुम यह जान लो, इब्राहीम के सच्चे वंशज वे ही हैं जो विश्वास करते हैं। शास्त्र ने पहले ही बता दिया था, “परमेश्वर ग़ैर यहूदियों को भी उनके विश्वास के कारण धर्मी ठहरायेगा। और इन शब्दों के साथ पहले से ही इब्राहीम को परमेश्वर द्वारा सुसमाचार से अवगत करा दिया गया था।” इसीलिए वे लोग जो विश्वास करते हैं विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं। किन्तु वे सभी लोग जो व्यवस्था के विधानों के पालन पर निर्भर रहते हैं, वे तो किसी अभिशाप के अधीन हैं। शास्त्र में लिखा है: “ऐसा हर व्यक्ति शापित है जो व्यवस्था के विधान की पुस्तक में लिखी हर बात का लगन के साथ पालन नहीं करता।” अब यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी नेक नहीं ठहरता है। क्योंकि शास्त्र के अनुसार “धर्मी व्यक्ति विश्वास के सहारे जीयेगा।” किन्तु व्यवस्था का विधान तो विश्वास पर नहीं टिका है बल्कि शास्त्र के अनुसार, जो व्यवस्था के विधान को पालेगा, वह उन ही के सहारे जीयेगा। मसीह ने हमारे शाप को अपने ऊपर ले कर व्यवस्था के विधान के शाप से हमें मुक्त कर दिया। शास्त्र कहता है: “हर कोई जो वृक्ष पर टाँग दिया जाता है, शापित है।” मसीह ने हमें इसलिए मुक्त किया कि, इब्राहीम को दी गयी आषीष मसीह यीशु के द्वारा ग़ैर यहूदियों को भी मिल सके ताकि विश्वास के द्वारा हम उस आत्मा को प्राप्त करें, जिसका वचन दिया गया था।
गलातियों 3:1-14 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
नासमझ गलातियो! किसने आप लोगों पर जादू डाला है? आप की आँखों के सम्मुख तो स्पष्ट रूप से यह दिखलाया गया कि येशु मसीह क्रूस पर चढ़ाये गये थे! मैं आप लोगों से इतना ही जानना चाहता हूँ: आप को व्यवस्था के कर्मकाण्ड के कारण आत्मा का वरदान मिला या विश्वास का शुभ संदेश सुनने के कारण? क्या आप लोग इतने नासमझ हैं कि आपने जो कार्य आत्मा द्वारा प्रारम्भ किया, उसे अब बाह्य विधि-पालन द्वारा पूर्ण करना चाहते हैं? क्या आप लोगों को व्यर्थ ही इतने अनुभव प्राप्त हुए? मुझे ऐसा विश्वास नहीं है। जब परमेश्वर आप लोगों को आत्मा का वरदान देता है और आप के बीच आश्चर्यपूर्ण सामर्थ्य के कार्य करता है, तो क्या वह व्यवस्था के कर्मकाण्ड के कारण ऐसा करता है अथवा इसलिए कि आपने विश्वास का शुभ संदेश सुना है? धर्मग्रन्थ में कहा गया है कि “अब्राहम ने परमेश्वर में विश्वास किया और इसी से वह धार्मिक माने गये।” इसलिए आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि जो लोग विश्वास करते हैं, वे ही अब्राहम की सन्तान हैं। धर्मग्रन्थ पहले से यह जानता था कि परमेश्वर विश्वास द्वारा गैर-यहूदियों को धार्मिक ठहरायेगा, इसलिए उसने पहले से अब्राहम को यह शुभ समाचार सुनाया कि “तेरे द्वारा पृथ्वी की समस्त जातियाँ आशीर्वाद प्राप्त करेंगी।” इसलिए जो विश्वास पर निर्भर रहते हैं, वे विश्वास करने वाले अब्राहम के साथ ही आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। परन्तु जो व्यवस्था के कर्मकाण्ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्योंकि लिखा है: “जो व्यक्ति व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।” यह तो स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति व्यवस्था के कारण परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिक नहीं ठहरता; क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “धार्मिक मनुष्य विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा।” और व्यवस्था का विश्वास से कोई सम्बन्ध नहीं है; क्योंकि उसमें लिखा है, “जो इन बातों का पालन करेगा, उसे इन्हीं के द्वारा जीवन प्राप्त होगा।” मसीह हमारे लिए शापित हुये और इस तरह उन्होंने हम को व्यवस्था के अभिशाप से मुक्त किया; क्योंकि लिखा है: “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है, वह शापित है।” यह इसलिए हुआ कि येशु मसीह के द्वारा अब्राहम का आशीर्वाद गैर-यहूदियों को भी प्राप्त हो और हमें विश्वास द्वारा वह आत्मा मिले, जिसकी प्रतिज्ञा की गयी थी।
गलातियों 3:1-14 Hindi Holy Bible (HHBD)
हे निर्बुद्धि गलतियों, किस ने तुम्हें मोह लिया है? तुम्हारी तो मानों आंखों के साम्हने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया! मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूं, कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया? क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्त करोगे? क्या तुम ने इतना दुख यों ही उठाया? परन्तु कदाचित व्यर्थ नहीं। सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है? इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धामिर्कता गिनी गई। तो यह जान लो, कि जो विश्वास करने वाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्तान हैं। और पवित्र शास्त्र ने पहिले ही से यह जान कर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले ही से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी। तो जो विश्वास करने वाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं। सो जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के आधीन हैं, क्योंकि लिखा है, कि जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है। पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्ध नहीं; पर जो उन को मानेगा, वह उन के कारण जीवित रहेगा। मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया क्योंकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है। यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पंहुचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें, जिस की प्रतिज्ञा हुई है॥
गलातियों 3:1-14 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
हे निर्बुद्धि गलातियो, किसने तुम्हें मोह लिया है? तुम्हारी तो मानो आँखों के सामने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया! मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के समाचार से पाया? क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्त करोगे? क्या तुम ने इतना दु:ख व्यर्थ ही उठाया? परन्तु कदाचित् व्यर्थ नहीं। जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ्य के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या सुसमाचार पर विश्वास से ऐसा करता है? “अब्राहम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।” अत: यह जान लो कि जो विश्वास करनेवाले हैं, वे ही अब्राहम की सन्तान हैं। और पवित्रशास्त्र ने पहले ही से यह जानकर कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहले ही से अब्राहम को यह सुसमाचार सुना दिया कि “तुझ में सब जातियाँ आशीष पाएँगी।” इसलिये जो विश्वास करनेवाले हैं, वे विश्वासी अब्राहम के साथ आशीष पाते हैं। इसलिये जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह शापित है।” पर यह बात प्रगट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहाँ कोई धर्मी नहीं ठहरता, क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। पर व्यवस्था का विश्वास से कोई सम्बन्ध नहीं; क्योंकि “जो उनको मानेगा, वह उनके कारण जीवित रहेगा।” मसीह ने जो हमारे लिये शापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के शाप से छुड़ाया, क्योंकि लिखा है, “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह शापित है।” यह इसलिये हुआ कि अब्राहम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पहुँचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें जिसकी प्रतिज्ञा हुई है।
गलातियों 3:1-14 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
हे निर्बुद्धि गलातियों, किसने तुम्हें मोह लिया? तुम्हारी तो मानो आँखों के सामने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया! मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ, कि तुम ने पवित्र आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया? (गला. 3:5, प्रेरि. 15:8-10) क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्त करोगे? क्या तुम ने इतना दुःख व्यर्थ उठाया? परन्तु कदाचित् व्यर्थ नहीं। इसलिए जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ्य के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है? “अब्राहम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।” (उत्प. 15:6) तो यह जान लो, कि जो विश्वास करनेवाले हैं, वे ही अब्राहम की सन्तान हैं। और पवित्रशास्त्र ने पहले ही से यह जानकर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहले ही से अब्राहम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि “तुझ में सब जातियाँ आशीष पाएँगी।” (उत्प. 12:3, उत्प. 18:18) तो जो विश्वास करनेवाले हैं, वे विश्वासी अब्राहम के साथ आशीष पाते हैं। अतः जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है।” (याकू. 2:10,12, व्यव. 27:26) पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहाँ कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा। पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बंध नहीं; पर “जो उनको मानेगा, वह उनके कारण जीवित रहेगा।” (लैव्य. 18:5) मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया क्योंकि लिखा है, “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है।” (व्यव. 21:23) यह इसलिए हुआ, कि अब्राहम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पहुँचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें, जिसकी प्रतिज्ञा हुई है।
गलातियों 3:1-14 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
निर्बुद्धि गलातियो! किसने तुम्हें सम्मोहित कर दिया? तुम्हारे सामने तो मसीह येशु को साफ़-साफ़ क्रूस पर दिखाया गया था. मैं तुमसे सिर्फ यह जानना चाहता हूं: पवित्र आत्मा तुमने व्यवस्था के नियम-पालन द्वारा प्राप्त किया या ईश्वरीय सुसमाचार को सुनने और उसमें विश्वास करने के द्वारा? क्या तुम इतने निर्बुद्धि हो? जो पवित्र आत्मा द्वारा शुरू किया गया था क्या वह मनुष्य के कार्यों से सिद्ध बनाया जा रहा है? तुमने इतने दुःख उठाए तो क्या वे वास्तव में व्यर्थ थे? परमेश्वर, जो तुम्हें अपना आत्मा प्रदान करते तथा तुम्हारे बीच चमत्कार करते हैं, क्या यह वह व्यवस्था का पालन करने के द्वारा करते हैं या विश्वास के साथ सुनने के द्वारा? जैसे अब्राहाम ने “परमेश्वर में विश्वास किया, और यह उनके लिए धार्मिकता माना गया.” इसलिये अब यह भली-भांति समझ लो कि जिन्होंने विश्वास किया है वे ही अब्राहाम की संतान हैं. पवित्र शास्त्र ने पहले से जानकर कि परमेश्वर गैर-यहूदियों को विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएंगे, पहले ही अब्राहाम को यह शुभ संदेश देते हुए कहा था: “सभी राष्ट्र तुममें आशीषित होंगे.” इसलिये वे सभी, जो विश्वास करते हैं, अब्राहाम—विश्वास पुरुष—के साथ, जो स्वयं विश्वासी थे, आशीषित किए जाते हैं. वे, जो व्यवस्था के कार्यों पर निर्भर हैं, शापित हैं क्योंकि पवित्र शास्त्र का वर्णन है: “शापित है वह, जो व्यवस्था के हर एक नियम का पालन नहीं करता.” यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी धर्मी नहीं ठहरता; क्योंकि लिखा है: “वह, जो धर्मी है, विश्वास से जीवित रहेगा.” फिर भी, व्यवस्था विश्वास पर आधारित नहीं है, “इसके विपरीत, जो इसका अनुसरण करेगा, वह इसके कारण जीवित रहेगा.” मसीह ने स्वयं शाप बनकर हमें व्यवस्था के शाप से मुक्त कर दिया, जैसा कि लिखा है: “शापित है हर एक, जो काठ पर लटकाया जाता है.” यह सब इसलिये कि मसीह येशु में अब्राहाम की आशीषें गैर-यहूदियों तक आएं और हम विश्वास द्वारा प्रतिज्ञा की हुई पवित्र आत्मा प्राप्त करें.