निर्गमन 32:1-35

निर्गमन 32:1-35 पवित्र बाइबल (HERV)

लोगों ने देखा कि लम्बा समय निकल गया और मूसा पर्वत से नीचे नहीं उतरा। इसलिए लोग हारून के चारों ओर इकट्ठा हुए। उन्होंने उससे कहा, “देखो, मूसा ने हमें मिस्र देश से बाहर निकाला। किन्तु हम यह नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ है। इसलिए कोई देवता हमारे आगे चलने और हमें आगे ले चलने वाला बनाओ।” हारून ने लोगों से कहा, “अपनी पत्नियों, पुत्रों और पुत्रियों के कानों की बालियाँ मेरे पास लाओ।” इसलिए सभी लोगों ने कान की बालियाँ इकट्ठी कीं और वे उन्हें हारून के पास लाए। हारून ने लोगों से सोना लिया, और एक बछड़े की मूर्ति बनाने के लिए उसका उपयोग किया। हारून ने मूर्ति बनाने के लिए मूर्ति को आकार देने वाले एक औज़ार का उपयोग किया। तब इसे उसने सोने से मढ़ दिया। तब लोगों ने कहा, “इस्राएल के लोगों, ये तुम्हारे वे देवता हैं जो तुम्हें मिस्र से बाहार ले आया।” हारून ने इन चीज़ों को देखा। इसलिए उसने बछड़े के सम्मुख एक वेदी बनाई। तब हारून ने घोषणा की। उसने कहा, “कल यहोवा के लिए विशेष दावत होगी।” अगले दिन सुबह लोग शीघ्र उठ गए। उन्होंने जानवरों को मारा और होमबलि तथा मेलबलि चढ़ाई। लोग खाने और पीने के लिये बैठे। तब वे खड़े हुए और उनकी एक उन्मत्त दावत हुई। उसी समय यहोवा ने मूसा से कहा, “इस पर्वत से नीचे उतरो। तुम्हारे लोग अर्थात् उन लोगों ने, जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो, भयंकर पाप किया है। उन्होंने उन चीज़ों को करने से शीघ्रता से इन्कार कर दिया है जिन्हें करने का आदेश मैंने उन्हें दिया था। उन्होंने पिघले सोने से अपने लिए एक बछड़ा बनाया है। वे उस बछड़े की पूजा कर रहे हैं और उसे बलि भेंट कर रहे हैं। लोगों ने कहा है, ‘इस्राएल, ये देवता है जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाए हैं।’” यहोवा ने मूसा से कहा, “मैंने इन लोगों को देखा है। मैं जानता हूँ कि ये बड़े हठी लोग हैं जो सदा मेरे विरुद्ध जाएंगे। इसलिए अब मुझे इन्हें क्रोध करके नष्ट करने दो। तब मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा।” किन्तु मूसा ने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की। मूसा ने कहा, “हे यहोवा, तू अपने क्रोध को अपने लोगों को नष्ट न करने दे। तू अपार शक्ति और अपने बल से इन्हें मिस्र से बाहर ले आया। किन्तु यदि तू अपने लोगों को नष्ट करेगा तब मिस्र के लोग कह सकते हैं, ‘यहोवा ने अपने लोगों के साथ बुरा करने की योजना बनाई। यही कारण है कि उसने इनको मिस्र से बाहर निकाला। वह उन्हें पर्वतों में मार डालना चाहता था। वह अपने लोगों को धरती से मिटाना चाहता था।’ इसलिए तू लोगों पर क्रोधित न हो। अपना क्रोध त्याग दे। अपने लोगों को नष्ट न कर। तू अपने सेवक इब्राहीम, इसहाक और इस्राएत (याकूब) को याद कर। तूने अपने नाम का उपयोग किया और तूने उन लोगों को वचन दिया। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे लोगों कों उतना अनगिनत बनाऊँगा जितने आकाश में तारे हैं। मैं तुम्हारे लोगों को वह सारी धरती दूँगा जिसे मैंने उनको देने का वचन दिया है। यह धरती सदा के लिए उनकी होगी।’” इसलिए यहोवा ने लोगों के लिए अफ़सोस किया। यहोवा ने वह नहीं किया जो उसने कहा कि वह करेगा अर्थात् लोगों को नष्ट नहीं किया। तब मूसा पर्वत से नीचे उतरा। मूसा के पास आदेश वाले दो समतल पत्थर थे। ये आदेश पत्थर के सामने तथा पीछे दोनों तरफ लिखे हुए थे। परमेश्वर ने स्वयं उन पत्थरों को बनाया था और परमेश्वर ने स्वयं उन आदेशों को उन पत्थरों पर लिखा था। जब वे पर्वत से उतर रहे थे यहोशू ने लोगों का उन्मत्त शोर सुना। यहोशू ने मूसा से कहा, “नीचे पड़ाव में युद्ध की तरह का शोर है!” मूसा ने उत्तर दिया, “यह सेना का विजय के लिये शोर नहीं है। यह हार से चिल्लाने वाली सेना का शोर भी नहीं है। मैं जो आवाज़ सुन रहा हूँ वह संगीत की है।” जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडे हो गए। तब मूसा ने लोगों के बनाए बछड़े को नष्ट कर दिया। उसने इसे आग में गला दिया। उसने सोने को तब तक पीसा जब तक यह चूर्ण न हो गया और उसने उस चूर्ण को पानी में फेंक दिया। उसने इस्राएल के लोगों को वह पानी पीने को विवश किया। मूसा ने हारून से कहा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया? तुम उन्हें ऐसा बुरा पाप करने की ओर क्यों ले गए?” हारून ने उत्तर दिया, “महाशय, क्रोधित मत हो। आप जानते हैं कि ये लोग सदा गलत काम करने को तैयार रहते हैं। लोगों ने मुझ से कहा, ‘मूसा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया। किन्तु हम लोग नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ।’ इसलिए हम लोगों को मार्ग दिखाने वाला कोई देवता बनाओ, इसलिए मैंने लोगों से कहा, ‘यदि तुम्हारे पास सोने की अंगूठियाँ हों तो उन्हें मुझे दे दो।’ लोगों ने मुझे अपना सोना दिया। मैंने इस सोने को आग में फेंका और उस आग से यह बछड़ा आया।” मूसा ने देखा कि हारून ने विद्रोह उत्पन्न किया है। लोग मूर्खों की तरह उग्र व्यवहार इस तरह कर रहे थे कि उनके सभी शत्रु देख सकें। इसलिए मूसा डेरे के द्वार पर खड़ा हुआ। मूसा ने कहा, “कोई व्यक्ति जो यहोवा का अनुसरण करना चाहता है मेरे पास आए” तब लेवी के परिवार के सभी लोग दौड़कर मूसा के पास आए। तब मूसा ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें बताऊँगा कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा क्या कहता है ‘हर व्यक्ति अपनी तलवार अवश्य उठा ले और डेरे के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाये। तुम लोग इन लोगों को अवश्य दण्ड दोगे चाहे किसी व्यक्ति को अपने भाई, मित्र और पड़ोसी को ही क्यों न मारना पड़े।’” लेवी के परिवार के लोगों ने मूसा का आदेश माना। उस दिन इस्राएल के लगभग तीन हज़ार लोग मरे। तब मूसा ने कहा, “यहोवा ने आज तुम को ऐसे लोगों के रूप में चुना है जो अपने पुत्रों और भाईयों को आशीर्वाद देंगे।” अगली सुबह मूसा ने लोगों से कहा, “तुम लोगों ने भयंकर पाप किया है। किन्तु अब मैं यहोवा के पास ऊपर जाऊँगा और ऐसा कुछ कर सकूँगा जिससे वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे।” इसलिए मूसा वापस यहोवा के पास गया और उसने कहा, “कृपया सुन! इन लोगों ने बहुत बुरा पाप किया है और सोने का एक देवता बनाया है। अब उन्हें इस पाप के लिये क्षमा कर। यदि तू क्षमा नहीं करेगा तो मेरा नाम उस किताब से मिटा दे जिसे तूने लिखा है।” किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं केवल वे ही ऐसे लोग हैं जिनका नाम मैं अपनी पुस्तक से मिटाता हूँ। इसलिए जाओ और लोगों को वहाँ ले जाओ जहाँ मैं कहता हूँ। मेरा दूत तुम्हारे आगे आगे चलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा। जब उन लोगों को दण्ड देने का समय आएगा जिन्होंने पाप किया है तब उन्हें दण्ड दिया जायेगा।” इसलिए यहोवा ने लोगों में एक भयंकर बीमारी उत्पन्न की। उस ने यह इसलिए किया कि उन लोगों ने हारून से सोने का बछड़ा बनाने को कहा था।

निर्गमन 32:1-35 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जब लोगों ने देखा कि मूसा पहाड़ से उतरने में विलम्‍ब कर रहे हैं तब वे हारून के पास एकत्र हुए। उन्‍होंने कहा, ‘उठिए! हमारे लिए ऐसा देवता बनाइए, जो हमारे आगे-आगे चले; क्‍योंकि हम नहीं जानते हैं कि इस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया है, क्‍या हुआ?’ हारून ने उनसे कहा, ‘जो सोने की बालियाँ तुम्‍हारी पत्‍नियों, पुत्रों और पुत्रियों के कानों में हैं, उन्‍हें उतारकर मेरे पास लाओ।’ लोगों ने अपने कानों से सोने की बालियाँ उतार लीं। वे उनको हारून के पास लाए। उसने उनके हाथ से सोना लिया। तत्‍पश्‍चात् उसने उसे सांचे में ढाला, और उससे बछड़े की एक मूर्ति बनाई। लोगों ने कहा, ‘ओ इस्राएली समाज! यह है तेरा ईश्‍वर जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है।’ हारून ने यह देखकर उसके सम्‍मुख एक वेदी निर्मित की। उसने पुकारकर कहा, ‘कल प्रभु के लिए एक पर्व मनाया जाएगा।’ उन्‍होंने दूसरे दिन सबेरे उठकर अग्‍नि-बलि तथा सहभागिता-बलि चढ़ाई। तत्‍पश्‍चात् लोग खाने-पीने के लिए बैठ गए। उन्‍होंने उठकर आमोद-प्रमोद भी किया। प्रभु मूसा से बोला, ‘जा, नीचे उतर जा! तेरे लोग, जिन्‍हें तू मिस्र देश से निकाल लाया है, भ्रष्‍ट हो गए हैं। जिस मार्ग पर चलने के लिए मैंने उनको आज्ञा दी थी, उससे वे इतने शीघ्र भटक गए। उन्‍होंने अपने लिए बछड़े की मूर्ति बनाई है। उन्‍होंने उसकी पूजा की, उसको बलि चढ़ाई और कहा, “ओ इस्राएली समाज! यह है तेरा ईश्‍वर, जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है।” ’ प्रभु ने मूसा से आगे कहा, ‘मैंने इन लोगों को देखा है। ये ऐंठी गरदन के लोग हैं। अब तू मुझे अकेला छोड़ दे कि मेरी क्रोधाग्‍नि उनके विरुद्ध प्रज्‍वलित हो और मैं उनको भस्‍म करूँ। परन्‍तु मैं तुझको एक महान् राष्‍ट्र बनाऊंगा।’ मूसा ने अपने प्रभु परमेश्‍वर का क्रोध शान्‍त करते हुए उससे विनती की, ‘हे प्रभु, क्‍यों तेरी क्रोधाग्‍नि तेरे लोगों के विरुद्ध प्रज्‍वलित हुई है, जिसे तू अपने महान् सामर्थ्य और भुजबल के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्र निवासी क्‍यों यह बात कहें, कि तू उन्‍हें बुरे उद्देश्‍य से, पहाड़ों पर उनका वध करने के लिए, धरती की सतह से उन्‍हें मिटा डालने के लिए मिस्र देश से निकाल लाया था? अतएव अपनी क्रोधाग्‍नि को शान्‍त कर, और अपने लोगों की हानि का विचार छोड़ दे। अपने सेवक अब्राहम, इसहाक और इस्राएल को स्‍मरण कर, जिनसे तूने स्‍वयं अपनी शपथ खाई थी, और उनसे कहा था, “मैं तुम्‍हारे वंश को आकाश के तारों के सदृश असंख्‍य करूँगा। मैं यह समस्‍त देश, जिसकी प्रतिज्ञा मैंने की थी, तेरे वंश को प्रदान करूँगा। वे उस पर सदा अधिकार रखेंगे।” ’ अत: अपने लोगों की जो हानि प्रभु करने वाला था, उसका विचार उसने छोड़ दिया। मूसा लौटे। वे अपने हाथ में दोनों साक्षी-पट्टियाँ लिये हुए पहाड़ से उतर गए। पट्टियों पर दोनों ओर लिखा हुआ था। वे सामने की ओर तथा पीछे की ओर लिखी हुई थीं। पट्टियाँ परमेश्‍वर की कृति थीं। जो लेख उन पट्टियों पर खुदा हुआ था, वह परमेश्‍वर का लेख था। जब यहोशुअ ने लोगों के कोलाहल को सुना तब उसने मूसा से कहा, ‘पड़ाव में युद्ध का कोलाहल सुनाई दे रहा है।’ मूसा ने कहा, ‘यह कोलाहल न तो विजय-उल्‍लास का स्‍वर है, और न पराजय का रोदन-स्‍वर। मैं तो गाने की आवाज सुन रहा हूँ।’ मूसा पड़ाव के निकट आए। जब उन्‍होंने बछड़ा और नाच देखा तब उनका क्रोध भड़क उठा। उन्‍होंने अपने हाथ से पट्टियाँ फेंक दीं और पहाड़ की तलहटी में उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जो बछड़ा उन्‍होंने बनाया था, उसको लेकर आग में झोंक दिया। उसको पीसकर चूर्ण बनाया और उसको जल में छितरा दिया। तब उसको इस्राएली समाज को पिलाया। मूसा ने हारून से पूछा, ‘इन लोगों ने तुम्‍हारे साथ क्‍या किया था, जो तुमने उनको ऐसे घोर पाप में फंसाया?’ हारून ने उत्तर दिया, ‘हे स्‍वामी, आपका क्रोध न भड़के। आप स्‍वयं इन लोगों को जानते हैं कि ये बुराई करने को तत्‍पर रहते हैं। इन्‍होंने मुझसे कहा, “हमारे लिए ऐसा देवता बनाइए, जो हमारे आगे-आगे चले; क्‍योंकि हम नहीं जानते हैं कि इस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया है, क्‍या हुआ?” तब मैंने इनसे कहा, “जिनके पास सोना है; वे उसे उतारकर दें।” अत: उन्‍होंने मुझे दिया। मैंने उसे अग्‍नि में डाला। तब यह बछड़ा बाहर निकला।’ जब मूसा ने देखा कि लोग अनियन्‍त्रित हो गए हैं (क्‍योंकि हारून ने उनको अपने शत्रुओं के मध्‍य उपहास का पात्र बनने के लिए मुक्‍त छोड़ दिया था) तब वह पड़ाव के द्वार पर खड़े हुए। उन्‍होंने कहा, ‘कौन प्रभु के पक्ष में है? वह मेरे पास आए।’ लेवी-कुल के सब व्यक्‍ति उनके पास एकत्र हो गए। मूसा ने उनसे कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है : तुममें से प्रत्‍येक व्यक्‍ति अपनी कमर में तलवार बांध ले। तब पड़ाव में घूम-घूमकर एक द्वार से दूसरे द्वार पर जाकर मनुष्‍य का वध करे−चाहे वह उसका भाई हो, मित्र हो अथवा पड़ोसी।’ लेवियों ने मूसा के कथनानुसार किया। उस दिन इस्राएली समाज में प्राय: तीन हजार मनुष्‍य मारे गए। मूसा ने कहा, ‘आज तुम में से प्रत्‍येक व्यक्‍ति ने अपने पुत्र, अपने भाई का उत्‍सर्ग कर प्रभु की सेवा के लिए पुरोहित पद पर स्‍वयं को अभिषिक्‍त किया है। अतएव वह आज तुमको आशिष देगा।’ दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, ‘तुमने घोर पाप किया है। अब मैं प्रभु के पास ऊपर जाऊंगा। सम्‍भव है कि मैं तुम्‍हारे पाप का प्रायश्‍चित्त कर सकूँ।’ अत: मूसा प्रभु के पास लौटे। मूसा ने कहा, ‘आह! इन लोगों ने घोर पाप किया है। इन्‍होंने अपने लिए सोने का देवता बनाया है। अब तू उनके पाप क्षमा कर। यदि तू नहीं करेगा तो, मैं विनती करता हूँ, तू अपनी उस पुस्‍तक में से मेरा नाम काट दे, जिसे तूने लिखा है।’ प्रभु ने मूसा से कहा, ‘जिन लोगों ने मेरे विरुद्ध पाप किया है, उनका नाम मैं अपनी पुस्‍तक में से काट दूँगा। अब जा : तू लोगों का उस स्‍थान की ओर नेतृत्‍व कर जिसके विषय में मैंने कहा था। देख, मेरा दूत तेरे आगे-आगे जाएगा। फिर भी जिस दिन मैं उनको दण्‍ड देने के लिए उनकी सुध लूँगा, उसी दिन उनको इस पाप का भी दण्‍ड दूँगा।’ प्रभु ने लोगों पर महामारी भेजी; क्‍योंकि उन्‍होंने हारून के द्वारा बनाए हुए बछड़े की सेवा की थी।

निर्गमन 32:1-35 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे हो कर कहने लगे, अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरूष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ? हारून ने उन से कहा, तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियां है उन्हें तोड़कर उतारो, और मेरे पास ले आओ। तब सब लोगों ने उनके कानों से सोने की बालियों को तोड़कर उतारा, और हारून के पास ले आए। और हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांकी से गढ़ा; तब वे कहने लगे, कि हे इस्त्राएल तेरा परमेश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है वह यही है। यह देखके हारून ने उसके आगे एक वेदी बनवाई; और यह प्रचार किया, कि कल यहोवा के लिये पर्ब्ब होगा। और दूसरे दिन लोगों ने तड़के उठ कर होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि ले आए; फिर बैठकर खाया पिया, और उठ कर खेलने लगे॥ तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, सो बिगड़ गए हैं; और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उन को दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, कि हे इस्त्राएलियों तुम्हारा परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है। फिर यहोवा ने मूसा से कहा, मैं ने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं। अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिस से मैं उन्हें भस्म करूं; परन्तु तुझ से एक बड़ी जाति उपजाऊंगा। तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, कि हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है, जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्री लोग यह क्यों कहने पाए, कि वह उन को बुरे अभिप्राय से, अर्थात पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया? तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुचाने से फिर जा। अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाकर यह कहा था, कि मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूंगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूंगा, कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें। तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया॥ तब मूसा फिरकर साक्षी की दानों तख्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया, उन तख्तियों के तो इधर और उधर दोनों अलंगों पर कुछ लिखा हुआ था। और वे तख्तियां परमेश्वर की बनाईं हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था॥ जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाईं पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाईं देता है। उसने कहा, वह जो शब्द है वह न तो जीतने वालों का है, और न हारने वालों का, मुझे तो गाने का शब्द सुन पड़ता है। छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना देख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को ले कर आग में डालके फूंक दिया। और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्त्राएलियों को उसे पिलवा दिया। तब मूसा हारून से कहने लगा, उन लोगों ने तुझ से क्या किया कि तू ने उन को इतने बड़े पाप में फंसाया? हारून ने उत्तर दिया, मेरे प्रभु का कोप न भड़के; तू तो उन लोगों को जानता ही है कि वे बुराई में मन लगाए रहते हैं। और उन्होंने मुझ से कहा, कि हमारे लिये देवता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरूष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ? तब मैं ने उन से कहा, जिस जिसके पास सोने के गहनें हों, वे उन को तोड़कर उतार लाएं; और जब उन्होंने मुझ को दिया, मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा हारून ने उन लोगों को ऐसा निरंकुश कर दिया था कि वे अपने विरोधियों के बीच उपहास के योग्य हुए, उन को निरंकुश देखकर मूसा ने छावनी के निकास पर खड़े हो कर कहा, जो कोई यहोवा की ओर का हो वह मेरे पास आए; तब सारे लेवीय उस के पास इकट्ठे हुए। उसने उन से कहा, इस्त्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि अपनी अपनी जांघ पर तलवार लटका कर छावनी से एक निकास से दूसरे निकास तक घूम घूमकर अपने अपने भाइयों, संगियों, और पड़ोसियों घात करो। मूसा के इस वचन के अनुसार लेवियों ने किया और उस दिन तीन हजार के अटकल लोग मारे गए। फिर मूसा ने कहा, आज के दिन यहोवा के लिये अपना याजकपद का संस्कार करो, वरन अपने अपने बेटों और भाइयों के भी विरुद्ध हो कर ऐसा करो जिस से वह आज तुम को आशीष दे। दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, तुम ने बड़ा ही पाप किया है। अब मैं यहोवा के पास चढ़ जाऊंगा; सम्भव है कि मैं तुम्हारे पाप का प्रायश्चित्त कर सकूं। तब मूसा यहोवा के पास जा कर कहने लगा, कि हाय, हाय, उन लोगों ने सोने का देवता बनवाकर बड़ा ही पाप किया है। तौभी अब तू उनका पाप क्षमा कर नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे। यहोवा ने मूसा से कहा, जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूंगा। अब तो तू जा कर उन लोगों को उस स्थान में ले चल जिसकी चर्चा मैं ने तुझ से की थी; देख मेरा दूत तेरे आगे आगे चलेगा। परन्तु जिस दिन मैं दण्ड देने लगूंगा उस दिन उन को इस पाप का भी दण्ड दूंगा। और यहोवा ने उन लोगों पर विपत्ति डाली, क्योंकि हारून के बनाए हुए बछड़े को उन्हीं ने बनवाया था।

निर्गमन 32:1-35 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे होकर कहने लगे, “अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?” हारून ने उनसे कहा, “तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियाँ हैं उन्हें उतारो, और मेरे पास ले आओ।” तब सब लोगों ने उनके कानों से सोने की बालियों को उतारा, और हारून के पास ले आए। हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टाँकी से गढ़ा। तब लोग कहने लगे, “हे इस्राएल, तेरा ईश्‍वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है।” यह देख के हारून ने उसके आगे एक वेदी बनवाई; और यह प्रचार किया, “कल यहोवा के लिये पर्व होगा।” और दूसरे दिन लोगों ने भोर को उठकर होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि ले आए; फिर बैठकर खाया पिया, और उठकर खेलने लगे। तब यहोवा ने मूसा से कहा, “नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, वे बिगड़ गए हैं; और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उनको दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत् किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, ‘हे इस्राएलियो, तुम्हारा ईश्‍वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है’।” फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं ने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं। अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिससे मैं उन्हें भस्म करूँ; परन्तु तुझसे एक बड़ी जाति उपजाऊँगा।” तब मूसा अपने परमेश्‍वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, “हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्री लोग यह क्यों कहने पाएँ, ‘वह उनको बुरे अभिप्राय से अर्थात् पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया?’ तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुँचाने से फिर जा। अपने दास अब्राहम, इसहाक, और याक़ूब को स्मरण कर जिनसे तू ने अपनी ही शपथ खाकर यह कहा था, ‘मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूँगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूँगा कि वे उसके अधिकारी सदैव बने रहें’।” तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उसने कहा था पछताया। तब मूसा मुड़कर साक्षी की दोनों तख़्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया। उन तख़्तियों के इधर और उधर दोनों ओर लिखा हुआ था, और वे तख़्तियाँ परमेश्‍वर की बनाई हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्‍वर का लिखा हुआ था। जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाई पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, “छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाई देता है।” उसने कहा, “यह जो शब्द है वह न तो जीतनेवालों का है, और न हारनेवालों का है; मुझे तो गाने का शब्द सुनाई पड़ता है।” छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना दिखाई पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख़्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डाल के फूँक दिया। और पीसकर चूर चूरकर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया। तब मूसा हारून से कहने लगा, “इन लोगों ने तेरे साथ क्या किया कि तू ने उनको इतने बड़े पाप में फँसाया?” हारून ने उत्तर दिया, “मेरे प्रभु का कोप न भड़के; तू तो इन लोगों को जानता ही है कि ये बुराई में मन लगाए रहते हैं। और उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे लिये देवता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, हम नहीं जानते कि क्या हुआ?’ तब मैं ने उनसे कहा, ‘जिस जिसके पास सोने के गहने हों, वे उनको उतार लाएँ;’ और जब उन्होंने मुझ को वह दिया, मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा।” हारून ने उन लोगों को ऐसा निरंकुश कर दिया था कि वे अपने विरोधियों के बीच उपहास के योग्य हो गए। उनको निरंकुश देखकर मूसा ने छावनी के निकास पर खड़े होकर कहा, “जो कोई यहोवा की ओर का है वह मेरे पास आए;” तब सारे लेवीय उस के पास इकट्ठे हुए। उसने उनसे कहा, “इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है कि अपनी अपनी जाँघ पर तलवार लटकाकर छावनी के एक निकास से दूसरे निकास तक घूम घूमकर अपने अपने भाइयों, संगियों, और पड़ोसियों को घात करो।” मूसा के इस वचन के अनुसार लेवियों ने किया; और उस दिन तीन हज़ार के लगभग लोग मारे गए। फिर मूसा ने कहा, “आज के दिन यहोवा के लिये अपना याजकपद का संस्कार करो, वरन् अपने अपने बेटों और भाइयों के भी विरुद्ध होकर ऐसा करो जिस से वह आज तुम को आशीष दे।” दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, “तुम ने बड़ा ही पाप किया है। अब मैं यहोवा के पास चढ़ जाऊँगा; सम्भव है कि मैं तुम्हारे पाप का प्रायश्‍चित्त कर सकूँ।” तब मूसा यहोवा के पास जाकर कहने लगा, “हाय, हाय, उन लोगों ने सोने का देवता बनवाकर बड़ा ही पाप किया है। तौभी अब तू उनका पाप क्षमा कर—नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे।” यहोवा ने मूसा से कहा, “जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूँगा। अब तू जाकर उन लोगों को उस स्थान में ले चल जिसकी चर्चा मैं ने तुझ से की थी; देख, मेरा दूत तेरे आगे आगे चलेगा। परन्तु जिस दिन मैं दण्ड देने लगूँगा उस दिन उनको इस पाप का भी दण्ड दूँगा।” अत: यहोवा ने उन लोगों पर विपत्ति डाली, क्योंकि हारून के बनाए हुए बछड़े को उन्हीं ने बनवाया था।

निर्गमन 32:1-35 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे होकर कहने लगे, “अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे-आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ?” हारून ने उनसे कहा, “तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियाँ हैं उन्हें उतारो, और मेरे पास ले आओ।” तब सब लोगों ने उनके कानों से सोने की बालियों को उतारा, और हारून के पास ले आए। और हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टाँकी से गढ़ा। तब वे कहने लगे, “हे इस्राएल तेरा ईश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है वह यही है।” यह देखकर हारून ने उसके आगे एक वेदी बनवाई; और यह प्रचार किया, “कल यहोवा के लिये पर्व होगा।” और दूसरे दिन लोगों ने भोर को उठकर होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि ले आए; फिर बैठकर खाया पिया, और उठकर खेलने लगे। तब यहोवा ने मूसा से कहा, “नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, वे बिगड़ गए हैं; और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैंने उनको दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत् किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, ‘हे इस्राएलियों तुम्हारा ईश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है।’” फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “मैंने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं। अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिससे मैं उन्हें भस्म करूँ; परन्तु तुझ से एक बड़ी जाति उपजाऊँगा।” तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहकर मनाने लगा, “हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है, जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्री लोग यह क्यों कहने पाएँ, ‘वह उनको बुरे अभिप्राय से, अर्थात् पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया?’ तू अपने भड़के हुए कोप को शान्त कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुँचाने से फिर जा। अपने दास अब्राहम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिनसे तूने अपनी ही शपथ खाकर यह कहा था, ‘मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूँगा, और यह सारा देश जिसकी मैंने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूँगा, कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें।’” तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उसने कहा था पछताया। तब मूसा फिरकर साक्षी की दोनों तख्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया, उन तख्तियों के तो इधर और उधर दोनों ओर लिखा हुआ था। और वे तख्तियाँ परमेश्वर की बनाई हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था। जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाई पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, “छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाई देता है।” उसने कहा, “वह जो शब्द है वह न तो जीतनेवालों का है, और न हारनेवालों का, मुझे तो गाने का शब्द सुन पड़ता है।” छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना देख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग में डालकर फूँक दिया। और पीसकर चूर चूरकर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्राएलियों को उसे पिलवा दिया। तब मूसा हारून से कहने लगा, “उन लोगों ने तुझ से क्या किया कि तूने उनको इतने बड़े पाप में फँसाया?” हारून ने उत्तर दिया, “मेरे प्रभु का कोप न भड़के; तू तो उन लोगों को जानता ही है कि वे बुराई में मन लगाए रहते हैं। और उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे लिये देवता बनवा जो हमारे आगे-आगे चले; क्योंकि उस पुरुष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ?’ तब मैंने उनसे कहा, ‘जिस जिसके पास सोने के गहने हों, वे उनको उतार लाएँ;’ और जब उन्होंने मुझ को दिया, मैंने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा।” हारून ने उन लोगों को ऐसा निरंकुश कर दिया था कि वे अपने विरोधियों के बीच उपहास के योग्य हुए, उनको निरंकुश देखकर मूसा ने छावनी के निकास पर खड़े होकर कहा, “जो कोई यहोवा की ओर का हो वह मेरे पास आए;” तब सारे लेवीय उसके पास इकट्ठे हुए। उसने उनसे कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि अपनी-अपनी जाँघ पर तलवार लटकाकर छावनी से एक निकास से दूसरे निकास तक घूम-घूमकर अपने-अपने भाइयों, संगियों, और पड़ोसियों को घात करो।” मूसा के इस वचन के अनुसार लेवियों ने किया और उस दिन तीन हजार के लगभग लोग मारे गए। फिर मूसा ने कहा, “आज के दिन यहोवा के लिये अपना याजकपद का संस्कार करो, वरन् अपने-अपने बेटों और भाइयों के भी विरुद्ध होकर ऐसा करो जिससे वह आज तुम को आशीष दे।” दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, “तुम ने बड़ा ही पाप किया है। अब मैं यहोवा के पास चढ़ जाऊँगा; सम्भव है कि मैं तुम्हारे पाप का प्रायश्चित कर सकूँ।” तब मूसा यहोवा के पास जाकर कहने लगा, “हाय, हाय, उन लोगों ने सोने का देवता बनवाकर बड़ा ही पाप किया है। तो भी अब तू उनका पाप क्षमा कर नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे।” यहोवा ने मूसा से कहा, “जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूँगा। अब तो तू जाकर उन लोगों को उस स्थान में ले चल जिसकी चर्चा मैंने तुझ से की थी; देख मेरा दूत तेरे आगे-आगे चलेगा। परन्तु जिस दिन मैं दण्ड देने लगूँगा उस दिन उनको इस पाप का भी दण्ड दूँगा।” अतः यहोवा ने उन लोगों पर विपत्ति भेजी, क्योंकि हारून के बनाए हुए बछड़े को उन्हीं ने बनवाया था।

निर्गमन 32:1-35 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब लोगों ने देखा कि पर्वत से आने में मोशेह विलम्‍ब कर रहे हैं, तब लोगों ने अहरोन के पास जाकर उनसे कहा, “हमारे लिए एक देवता बनाइए जो हमारे आगे-आगे चलकर हमारी अगुवाई करे, क्योंकि मोशेह हमें मिस्र से तो निकालकर ले आये, परंतु अब मोशेह का कोई पता नहीं. अब आगे क्या होगा नहीं मालूम.” यह सुनकर अहरोन ने कहा, “अपनी-अपनी पत्नियों और पुत्र, पुत्रियों के गहने उतारकर यहां ले आओ.” सभी अपने-अपने कानों से गहने उतारकर अहरोन के पास ले आए. अहरोन ने उनसे सोना ले लिया और एक औज़ार से उसे बछड़े का एक रूप ढाल लिया, सबने यह नारा लगाया: “इस्राएल, यह है तुम्हारे देवता, जो तुम्हें मिस्र देश से निकाल लाए है.” तब अहरोन ने इस बछड़े के लिए एक वेदी बनाई और कहा, “कल याहवेह के लिए एक उत्सव होगा.” दूसरे दिन वे सब जल्दी उठ गए और उन्होंने होमबलि चढ़ाई, और वे मेल बलियां लाए और खाने-पीने बैठ गए; और खड़े होकर रंगरेलियां मनाने लगे. याहवेह ने मोशेह से कहा, “जल्दी नीचे जाओ, क्योंकि लोगों ने, जिन्हें तुम मिस्र देश से निकालकर लाए, अपने आपको अपवित्र कर दिया है. वे इतनी जल्दी उन सब विधियों को भूल गये, जिन्हें मैंने बताई थी. उन्होंने अपने लिए एक बछड़ा बनाया और उसकी उपासना करने लगे. उन्होंने इसके लिए बलि चढ़ाई और कहा, ‘इस्राएल, तुम्हारे देवता यही है जो तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाए हैं!’ ” याहवेह ने मोशेह से कहा, “मैंने इन लोगों को देख लिया कि उन्होंने क्या किया है; ये हठीले लोग हैं. तुम अब मुझे मत रोकना मेरा गुस्सा उनके लिए बहुत बढ़ गया है और उन्हें नष्ट कर डालूंगा. लेकिन मैं तुम्हारे द्वारा एक बड़ी जाति बनाऊंगा.” तब मोशेह, याहवेह अपने परमेश्वर से बिनती करने लगे, “हे याहवेह, आपकी क्रोधाग्‍नि उन पर क्यों भड़क रही है जिनको आपने अपनी सामर्थ्य और बड़ी शक्ति से मिस्र से निकाला है? मिस्रियों को यह कहने का क्यों दें, कि याहवेह उन्हें मिस्र से इसलिये निकाल ले गये कि उन्हें पहाड़ पर मार डालें, और उन्हें पृथ्वी के ऊपर से मिटा डालें? आप अपने गुस्से को शांत करें और लोगों को नष्ट करने की सोच छोड़ दीजिए. अपने दास अब्राहाम, यित्सहाक तथा इस्राएल से अपने नाम से की गई शपथ को याद कीजिये. आपने उनसे कहा था, ‘मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों जितना बढ़ा दूंगा, और सारा देश तुम्हें दूंगा और वे इस देश के अनंत अधिकारी होंगे.’ ” यह सुनकर याहवेह ने पछताया और अपने लोगों पर वह विपत्ति न लाई, जिसकी उन्होने धमकी दी थी. और मोशेह मुड़कर पर्वत से नीचे उतर आए. वह अपने हाथों में व्यवस्था की दो पट्टियां लिए हुए थे. इन पट्टियों में दोनों तरफ लिखा हुआ था, आगे और पीछे. ये पट्टियां परमेश्वर ने बनाई थी और उसमें जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था. जब यहोशू ने लोगों के चिल्लाने की आवाज सुनी; तब उन्होंने मोशेह से कहा, “छावनी से लड़ाई की आवाज सुनाई दे रही है.” किंतु मोशेह ने कहा, “यह न तो जीत की खुशी की आवाज हैं, और न हार के दुःख की, लेकिन मुझे तो गाने की आवाज सुनाई दे रही है.” और जैसे ही मोशेह पड़ाव के पास पहुंचे, उन्होंने बछड़े के सामने लोगों को नाचते हुए देखा. गुस्से में मोशेह ने याहवेह की दी हुई पट्टियां नीचे फेंक दीं और पटियां चूर-चूर हो गई. मोशेह ने वह बछड़ा जिसे लोगों ने बनाया था, उसे आग में जला दिया और उसकी राख लेकर पानी में मिला दिया, तथा वह पानी इस्राएलियों को पीने के लिए मजबूर किया. मोशेह ने अहरोन से कहा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया कि तुमने उनसे इतना बड़ा पाप करवाया?” अहरोन ने जवाब दिया, “मेरे प्रभु आप नाराज मत होइए, आप इन लोगों को अच्छी तरह जानते हो कि ये पाप करने के लिये कितने इच्छुक रहते हैं! उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे लिए एक ऐसे देवता बनाइए, जो हमारी अगुवाई कर सके; क्योंकि मोशेह, जो हमें मिस्र से निकाल लाए, उनका कुछ पता नहीं.’ तब मैंने उनसे कहा, ‘जिस किसी के पास सोना है, वह उसे यहां ले आए.’ वे सोना मेरे पास ले आए, मैंने सोने को आग में डाला और आग से यह बछड़ा बाहर निकल आया.” मोशेह ने देखा कि लोग जंगलीपन पर उतर आये हैं और अहरोन ने उन्हें इतनी छूट दे दी कि वह अपने बैरियों के हास्य पात्र बन गये. तब मोशेह ने छावनी के द्वार पर खड़े होकर कहा, “जो कोई याहवेह की ओर का है, वह मेरे पास आए!” सभी लेवी वंश के लोग मोशेह के पास आ गए. मोशेह ने उनसे कहा, “इस्राएल का परमेश्वर, याहवेह यों कहते हैं, ‘तुममें से हर एक पुरुष अपनी-अपनी तलवार उठाए, छावनी के एक छोर से दूसरे छोर तक जाए, और जाते-जाते तुममें से हर एक व्यक्ति अपने भाई को, मित्र तथा पड़ोसी को मारता हुए जाए.’ ” तब लेवियों ने वही किया, जैसा मोशेह ने कहा. उस दिन लगभग तीन हजार लोग मारे गए. फिर मोशेह ने कहा, “आज तुम्हें याहवेह के लिए अलग किया गया है, क्योंकि हर एक ने अपने पुत्र तथा अपने भाई का विरोध किया और इसलिये याहवेह ने तुमको आशीष दी है.” अगले दिन मोशेह ने लोगों से कहा कि तुम सबने बहुत बड़ा पाप किया है. और मैं अब याहवेह के सम्मुख प्रायश्चित करने जा रहा हूं. यह कहकर मोशेह याहवेह के पास गए और कहा, “लोगों ने बहुत बड़ा पाप किया है. उन्होंने अपने लिए सोने का देवता बनाया. लेकिन आप चाहें तो उनका पाप क्षमा कर दीजिए—यदि नहीं, तो कृपा कर मेरा नाम अपनी उस किताब से हटा दीजिए, जो आपने लिखी है!” याहवेह ने मोशेह से कहा, “अपनी किताब से मैं उसी व्यक्ति का नाम मिटाऊंगा जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है. किंतु अब तुम जाओ. इन लोगों को उस जगह पर ले जाओ जो मैंने तुमसे कहा था; मेरा स्वर्गदूत तुम्हारे आगे-आगे चलेगा. लेकिन जब उनको दंड देने का समय आएगा, मैं उनके पाप का दंड उन्हें ज़रूर दूंगा.” याहवेह ने लोगों के बीच एक महामारी भेजी, क्योंकि उन लोगों ने अहरोन से कहकर बछड़ा बनवाया था और उसकी उपासना की थी.