इफिसियों 4:3-32

इफिसियों 4:3-32 पवित्र बाइबल (HERV)

वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो। देह एक है और पवित्र आत्मा भी एक ही है। ऐसे ही जब तुम्हें भी बुलाया गया तो एक ही आशा में भागीदार होने के लिये ही बुलाया गया। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास है और है एक ही बपतिस्मा। परमेश्वर एक ही है और वह सबका पिता है। वही सब का स्वामी है, हर किसी के द्वारा वही क्रियाशील है, और हर किसी में वही समाया है। हममें से हर किसी को उसके अनुग्रह का एक विशेष उपहार दिया गया है जो मसीह की उदारता के अनुकूल ही है। इसलिए शास्त्र कहता है: “उसने विजयी को ऊँचे चढ़, बंदी बनाया और उसने लोगों को अपने आनन्दी वर दिये।” अब देखो, जब वह कहता है, “ऊँचे चढ़” तो इसका अर्थ इसके अतिरिक्त क्या है? कि वह धरती के निचले भागों पर भी उतरा था। जो नीचे उतरा था, वह वही है जो ऊँचे भी चढ़ा था इतना ऊँचा कि सभी आकाशों से भी ऊपर, ताकि वह सब कुछ को सम्पूर्ण कर दे। उसने स्वयं ही कुछ को प्रेरित होने का वरदान दिया तो कुछ को नबी होने का तो कुछ को सुसमाचार के प्रचारक होने का तो कुछ को परमेश्वर के जनों की सुरक्षा और शिक्षा का। मसीह ने उन्हें ये वरदान संत जनों की सेवा कार्य के हेतु तैयार करने को दिये ताकि हम जो मसीह की देह है, आत्मा में और दृढ़ हों। जब तक कि हम सभी विश्वास में और परमेश्वर के पुत्र के ज्ञान में एकाकार होकर परिपक्व पुरुष बनने के लिए विकास करते हुए मसीह के सम्पूर्ण गौरव की ऊँचाई को न छू लें। ताकि हम ऐसे बच्चे ही न बने रहें जो हर किसी ऐसी नयी शिक्षा की हवा से उछाले जायें, जो हमारे रास्ते में बहती है, लोगों के छलपूर्ण व्यवहार से, ऐसी धूर्तता से, जो ठगी से भरी योजनाओं को प्रेरित करती है, इधर-उधर भटका दिये जाते हैं। बल्कि हम प्रेम के साथ सत्य बोलते हुए हर प्रकार से मसीह के जैसे बनने के लिये विकास करते जायें। मसीह सिर है, जिस पर समूची देह निर्भर करती है। यह देह उससे जुड़ती हुई प्रत्येक सहायक नस से संयुक्त होती है और जब इसका हर अंग जो काम उसे करना चाहिए, उसे पूरा करता है तो प्रेम के साथ समूची देह का विकास होता है और यह देह स्वयं सुदृढ़ होती है। मैं इसीलिए यह कहता हूँ और प्रभु को साक्षी करके तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि उनके व्यर्थ के विचारों के साथ अधर्मियों के जैसा जीवन मत जीते रहो। उनकी बुद्धि अंधकार से भरी है। वे परमेश्वर से मिलने वाले जीवन से दूर हैं। क्योंकि वे अबोध हैं और उनके मन जड़ हो गये हैं। लज्जा की भावना उनमें से जाती रही है। और उन्होंने अपने को इन्द्रिय उपासना में लगा दिया है। बिना कोई बन्धन माने वे हर प्रकार की अपवित्रता में जुटे हैं। किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है। जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है। जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके। और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है। सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं। क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो। शैतान को अपने पर हावी मत होने दो। जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके। तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो। परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःखी मत करते रहो क्योंकि परमेश्वर की सम्पत्ति के रूप में तुम पर छुटकारे के दिन के लिए आत्मा के साथ मुहर लगा दिया गया है। समूची कड़वाहट, झुँझलाहट, क्रोध, चीख-चिल्लाहट और निन्दा को तुम अपने भीतर से हर तरह की बुराई के साथ निकाल बाहर फेंको। परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।

इफिसियों 4:3-32 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

और शान्‍ति के सूत्र में बंध कर उस एकता को, जिसे पवित्र आत्‍मा प्रदान करता है, बनाये रखने का प्रयत्‍न करते रहें। एक ही देह है, एक ही आत्‍मा और एक ही आशा है, जिसके लिए आप लोग बुलाये गये हैं। एक ही प्रभु है, एक ही विश्‍वास और एक ही बपतिस्‍मा है; एक ही परमेश्‍वर है, जो सब का पिता, सब के ऊपर, सब के साथ और सब में व्‍याप्‍त है। मसीह ने जिस मात्रा में देना चाहा, उसी मात्रा में हम में से प्रत्‍येक को कृपा प्राप्‍त हुई है। इसलिए धर्मग्रन्‍थ कहता है, “वह ऊंचाई पर चढ़ा और बन्‍दियों को बांध ले गया। उसने मनुष्‍यों को वरदान दिये।” वह ‘चढ़ा’-इसका अर्थ यह है कि वह पहले पृथ्‍वी के निचले प्रदेशों में उतरा। जो ‘उतरा’, वह वही है जो आकाश से भी ऊंचे चढ़ा, जिससे वह सब कुछ परिपूर्ण कर दे। उन्‍होंने कुछ लोगों को प्रेरित, कुछ को नबी, कुछ को शुभ समाचार-प्रचारक और कुछ को धर्मपाल तथा शिक्षक होने का वरदान दिया। इस प्रकार उन्‍होंने सेवा-कार्य के लिए सन्‍तों को योग्‍य बनाया, जिससे मसीह की देह का निर्माण उस समय तक होता रहे, जब तक हम सब विश्‍वास तथा परमेश्‍वर के पुत्र के ज्ञान में एक नहीं हो जायें और मसीह की परिपूर्णता के अनुसार परिपक्‍वता की मात्रा में पूर्ण मनुष्‍यत्‍व प्राप्‍त न कर लें। इस प्रकार हम बालक नहीं बने रहेंगे और भ्रम में डालने के उद्देश्‍य से निर्मित धूर्त्त मनुष्‍यों के प्रत्‍येक सिद्धान्‍त के झोंके से विचलित हो कर बहकाये नहीं जायेंगे। हम प्रेमपूर्वक सत्‍य का अनुसरण करें, और मसीह में सब प्रकार की उन्नति करते जाएं। मसीह ही कलीसिया का शीर्ष हैं और उनसे समस्‍त देह को बल मिलता है। तब देह अपनी सब सन्‍धियों द्वारा सुसंघटित हो कर प्रत्‍येक अंग की समुचित सक्रियता से अपनी परिपूर्णता तक पहुंचती और प्रेम द्वारा अपना निर्माण करती है। मैं आप लोगों से यह कहता हूँ और प्रभु के नाम पर यह अनुरोध करता हूँ कि आप अब से विधर्मियों-जैसा आचरण नहीं करें, जो निस्‍सार बातों की चिन्‍ता करते हैं। उनकी बुद्धि पर अन्‍धकार छाया हुआ है। वे अपने अज्ञान और हृदय की कठोरता के कारण ईश्‍वरीय जीवन से विमुख हो गये हैं। वे नैतिक बोध से शून्‍य हो कर लम्‍पटता के वशीभूत हो गये हैं और उन में हर प्रकार के अशुद्ध कर्म की लालसा निवास करती है। आप लोगों को मसीह से ऐसी शिक्षा नहीं मिली। यदि आप लोगों ने उनके विषय में सुना और उस सत्‍य के अनुसार शिक्षा ग्रहण की है जो येशु में प्रकट हुआ, तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्‍वभाव त्‍याग देना चाहिए, क्‍योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है। आप लोग पूर्ण रूप से नवीन आध्‍यात्‍मिक विचारधारा अपनायें और एक नवीन स्‍वभाव धारण करें, जिसकी सृष्‍टि परमेश्‍वर के अनुसार हुई है और जो धार्मिकता तथा सच्‍ची पवित्रता में व्‍यक्‍त होता है। इसलिए आप लोग झूठ बोलना छोड़ दें और अपने-अपने पड़ोसी से सत्‍य बोलें, क्‍योंकि हम एक दूसरे के अंग हैं। यदि आप क्रुद्ध हो जायें, तो इस कारण पाप न करें-सूरज के डूबने तक अपना क्रोध कायम नहीं रहने दें। शैतान को अवसर नहीं देना चाहिए। जो चोरी किया करता था, वह अब से चोरी नहीं करे, बल्‍कि किसी अच्‍छे व्‍यवसाय में अपने हाथों से परिश्रम करे। इस प्रकार वह दरिद्रों की भी कुछ सहायता कर सकेगा। आपके मुख से कोई अश्‍लील बात नहीं, बल्‍कि ऐसे शब्‍द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्‍याण में सहायक हों। परमेश्‍वर ने विमोचन-दिवस के लिए आप लोगों पर पवित्र आत्‍मा की मुहर लगायी है। आप परमेश्‍वर के उस पवित्र आत्‍मा को दु:ख नहीं दें। आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्‍दा और हर तरह की बुराई अपने बीच में से दूर करें। एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह परमेश्‍वर ने मसीह में आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।

इफिसियों 4:3-32 Hindi Holy Bible (HHBD)

और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा। और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपरऔर सब के मध्य में, और सब में है। पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है। इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए। (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था। और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)। और उस ने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध हों जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए। जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं। ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उन के भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों। वरन प्रेम में सच्चाई से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं। जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए॥ इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो। क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं। और वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें। पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए। कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ। और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है॥ इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। और न शैतान को अवसर दो। चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो॥

इफिसियों 4:3-32 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

और मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्‍वास, एक ही बपतिस्मा, और सब का एक ही परमेश्‍वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में और सब में है। पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह मिला है। इसलिये वह कहता है : “वह ऊँचे पर चढ़ा और बन्दियों को बाँध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।” (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था। और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया कि सब कुछ परिपूर्ण करे)। उसने कुछ को प्रेरित नियुक्‍त करके, और कुछ को भविष्यद्वक्‍ता नियुक्‍त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्‍त करके, और कुछ को रखवाले और उपदेशक नियुक्‍त करके दे दिया, जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए, जब तक कि हम सब के सब विश्‍वास और परमेश्‍वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएँ, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ और मसीह के पूरे डील–डौल तक न बढ़ जाएँ। ताकि हम आगे को बालक न रहें जो मनुष्यों की ठग–विद्या और चतुराई से, उन के भ्रम की युक्‍तियों के और उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर–उधर घुमाए जाते हों। वरन् प्रेम में सच्‍चाई से चलते हुए सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ, जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक–ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए। इसलिये मैं यह कहता हूँ और प्रभु में आग्रह करता हूँ कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो। क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्‍वर के जीवन से अलग किए हुए हैं; और वे सुन्न होकर लुचपन में लग गए हैं कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें। पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। वरन् तुम ने सचमुच उसी की सुनी और, जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए कि तुम पिछले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ, और नये मनुष्यत्व को पहिन लो जो परमेश्‍वर के अनुरूप सत्य की धार्मिकता और पवित्रता में सृजा गया है। इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। क्रोध तो करो, पर पाप मत करो; सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे, और न शैतान को अवसर दो। चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे, वरन् भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे, इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो उसे देने को उसके पास कुछ हो। कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो। परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो, और जैसे परमेश्‍वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

इफिसियों 4:3-32 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

और मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा, और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है। पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है। इसलिए वह कहता है, “वह ऊँचे पर चढ़ा, और बन्दियों को बाँध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।” (उसके चढ़ने से, और क्या अर्थ पाया जाता है केवल यह कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था। (इब्रा. 2:9, यूह. 3:13) और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश के ऊपर चढ़ भी गया कि सब कुछ परिपूर्ण करे।) और उसने कुछ को प्रेरित नियुक्त करके, और कुछ को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कुछ को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। (2 कुरि. 12:28,29) जिससे पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए। जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहचान में एक न हो जाएँ, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक न बढ़ जाएँ। ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उनके भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक वायु से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों। वरन् प्रेम में सच बोलें और सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ, जिससे सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने के द्वारा उसमें होता है, अपने आपको बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए। इसलिए मैं यह कहता हूँ और प्रभु में जताए देता हूँ कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो। क्योंकि उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं; और वे सुन्न होकर लुचपन में लग गए हैं कि सब प्रकार के गंदे काम लालसा से किया करें। पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। वरन् तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए। कि तुम अपने चाल-चलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ, और नये मनुष्यत्व को पहन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है। (कुलु. 3:10, 2 कुरि. 5:17) इस कारण झूठ बोलना छोड़कर, हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। (कुलु. 3:9, रोम. 12:5, जक. 8:16) क्रोध तो करो, पर पाप मत करो; सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। (भज. 4:4) और न शैतान को अवसर दो। चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन् भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिए कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। कोई गंदी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो। परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिससे तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। (इफि. 1:13,14, यशा. 63:10) सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैर-भाव समेत तुम से दूर की जाए। एक दूसरे पर कृपालु, और करुणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

इफिसियों 4:3-32 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

शांति के बंधन में पवित्र आत्मा की एकता को यथाशक्ति संरक्षित बनाए रखो. एक ही शरीर है, एक ही आत्मा. ठीक इसी प्रकार वह आशा भी एक ही है जिसमें तुम्हें बुलाया गया है; एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा; और सारी मानव जाति के पिता, जो सबके ऊपर, सबके बीच और सब में एक ही परमेश्वर हैं. किंतु हममें से हर एक को मसीह के वरदान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह प्रदान किया गया है. इसी संदर्भ में पवित्र शास्त्र का लेख है: “जब वह सबसे ऊंचे पर चढ़ गए, बंदियों को बंदी बनाकर ले गए और उन्होंने मनुष्यों को वरदान प्रदान किए.” (इस कहावत का मतलब क्या हो सकता है कि वह “सबसे ऊंचे पर चढ़ गए,” सिवाय इसके कि वह पहले अधोलोक में नीचे उतर गए? वह, जो नीचे उतरे, वही हैं, जो आसमानों से भी ऊंचे स्थान में बड़े सम्मान के साथ चढ़े कि सारे सृष्टि को परिपूर्ण कर दें.) उन्होंने कलीसिया को कुछ प्रेरित, कुछ भविष्यद्वक्ता, कुछ ईश्वरीय सुसमाचार सुनानेवाले तथा कुछ कलीसिया के रखवाले उपदेशक प्रदान किए, कि पवित्र सेवकाई के लिए सुसज्जित किए जाएं, कि मसीह का शरीर विकसित होता जाए जब तक हम सभी को विश्वास और परमेश्वर-पुत्र के बहुत ज्ञान की एकता उपलब्ध न हो जाए—सिद्ध मनुष्य के समान—जो मसीह का संपूर्ण डीलडौल है. तब हम बालक न रहेंगे, जो समुद्री लहरों जैसे इधर-उधर उछाले व फेंके जाते तथा मनुष्यों की ठग विद्या की आंधी और मनुष्य की चतुराइयों द्वारा बहाए जाते हैं. परंतु सच को प्रेमपूर्वक व्यक्त करते हुए हर एक पक्ष में हमारी उन्‍नति उनमें होती जाए, जो प्रधान हैं, अर्थात्, मसीह. जिनके द्वारा सारा शरीर जोड़ों द्वारा गठकर और एक साथ मिलकर प्रेम में विकसित होता जाता है क्योंकि हर एक अंग अपना तय किया गया काम ठीक-ठाक करता जाता है. इसलिये मैं प्रभु के साथ पुष्टि करते हुए तुमसे विनती के साथ कहता हूं कि अब तुम्हारा स्वभाव गैर-यहूदियों के समान खोखली मन की रीति से प्रेरित न हो. उनके मन की कठोरता से उत्पन्‍न अज्ञानता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग हैं और उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है. सुन्‍न होकर उन्होंने स्वयं को लोभ से भरकर सब प्रकार की कामुकता और अनैतिकता के अधीन कर दिया है. मसीह के विषय में ऐसी शिक्षा तुम्हें नहीं दी गई थी यदि वास्तव में तुमने उनके विषय में सुना और उनकी शिक्षा को ग्रहण किया है, जो मसीह येशु में सच के अनुरूप है. इसलिये अपने पुराने स्वभाव से प्रेरित स्वभाव को त्याग दो, जो छल की लालसाओं के कारण भ्रष्‍ट होता जा रहा है; कि तुम्हारे मन का स्वभाव नया हो जाए; नए स्वभाव को धारण कर लो, जिसकी रचना धार्मिकता और पवित्रता में परमेश्वर के स्वरूप में हुई है. इसलिये झूठ का त्याग कर, हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से सच ही कहे क्योंकि हम एक ही शरीर के अंग हैं. “यदि तुम क्रोधित होते भी हो, तो भी पाप न करो.” सूर्यास्त तक तुम्हारे क्रोध का अंत हो जाए, शैतान को कोई अवसर न दो. वह, जो चोरी करता रहा है, अब चोरी न करे किंतु परिश्रम करे कि वह अपने हाथों से किए गए उपयोगी कामों के द्वारा अन्य लोगों की भी सहायता कर सके, जिन्हें किसी प्रकार की ज़रूरत है. तुम्हारे मुख से कोई भद्दे शब्द नहीं परंतु ऐसा वचन निकले, जो अवसर के अनुकूल, अन्यों के लिए अनुग्रह का कारण तथा सुननेवालों के लिए भला हो. परमेश्वर की पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है. सब प्रकार की कड़वाहट, रोष, क्रोध, झगड़ा, निंदा, आक्रोश तथा बैरभाव को स्वयं से अलग कर दो. एक दूसरे के प्रति कृपालु तथा सहृदय बने रहो, तथा एक दूसरे को उसी प्रकार क्षमा करो, जिस प्रकार परमेश्वर ने मसीह में तुम्हें क्षमा किया है.