दानिएल 4:1-36
दानिएल 4:1-36 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
नबूकदनेस्सर राजा की ओर से देश–देश और जाति–जाति के लोगों, और भिन्न–भिन्न भाषा बोलनेवाले जितने सारी पृथ्वी पर रहते हैं, उन सभों को यह वचन मिला : “तुम्हारा कुशल क्षेम बढ़े! मुझे यह अच्छा लगा, कि परमप्रधान परमेश्वर ने मुझे जो जो चिह्न और चमत्कार दिखाए हैं, उनको प्रगट करूँ। उसके दिखाए हुए चिह्न क्या ही बड़े, और उसके चमत्कारों में क्या ही बड़ी शक्ति प्रगट होती है! उसका राज्य तो सदा का और उसकी प्रभुता पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है। “मैं, नबूकदनेस्सर, अपने भवन में चैन से और प्रफुल्लित रहता था। मैं ने ऐसा स्वप्न देखा जिसके कारण मैं डर गया; और पलंग पर पड़े पड़े जो विचार मेरे मन में आए और जो बातें मैं ने देखीं, उनके कारण मैं घबरा गया था। तब मैं ने आज्ञा दी कि बेबीलोन के सब पण्डित मेरे स्वप्न का फल मुझे बताने के लिए मेरे सामने हाजिर किए जाएँ। जब ज्योतिषी, तन्त्री, कसदी और होनहार बतानेवाले भीतर आए, और मैं ने उनको अपना स्वप्न बताया, परन्तु वे उसका फल न बता सके। अन्त में दानिय्येल मेरे सम्मुख आया, जिसका नाम मेरे देवता के नाम के कारण बेलतशस्सर रखा गया था, और जिस में पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है; और मैं ने उसको अपना स्वप्न यह कहकर बता दिया : हे बेलतशस्सर, तू तो सब ज्योतिषियों का प्रधान है, मैं जानता हूँ कि तुझ में पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, और तू किसी भेद के कारण नहीं घबराता; इसलिये जो स्वप्न मैं ने देखा है उसे फल समेत मुझे बताकर समझा दे। जो दर्शन मैं ने पलंग पर पाया वह यह है : मैं ने देखा, कि पृथ्वी के बीचोबीच एक वृक्ष लगा है; उसकी ऊँचाई बहुत बड़ी है। वह वृक्ष बड़ा होकर दृढ़ हो गया, और उसकी ऊँचाई स्वर्ग तक पहुँची, और वह सारी पृथ्वी की छोर तक दिखाई पड़ता था। उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहाँ तक कि उसमें सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे। “मैं ने पलंग पर दर्शन पाते समय क्या देखा, कि एक पवित्र पहरुआ स्वर्ग से उतर आया। उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर यह कहा, ‘वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छाँट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल बिखरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएँ, और चिड़ियें उसकी डालियों पर से उड़ जाएँ। तौभी उसके ठूँठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर मैदान की हरी घास के बीच रहने दो। वह आकाश की ओस से भीगा करे और भूमि की घास खाने में मैदान के पशुओं के संग भागी हो। उसका मन बदले और मनुष्य का न रहे, परन्तु पशु का सा बन जाए; और उस पर सात काल बीतें। यह आज्ञा पहरुओं के निर्णय से, और यह बात पवित्र लोगों के वचन से निकली, कि जो जीवित हैं वे जान लें कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और उसको जिसे चाहे उसे दे देता है, और वह छोटे से छोटे मनुष्य को भी उस पर नियुक्त कर देता है।’ मुझ नबूकदनेस्सर राजा ने यही स्वप्न देखा। इसलिये हे बेलतशस्सर, तू इसका फल बता, क्योंकि मेरे राज्य में और कोई पण्डित इसका फल मुझे समझा नहीं सकता, परन्तु तुझ में तो पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, इस कारण तू उसे समझा सकता है।” तब दानिय्येल जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, घड़ी भर घबराता रहा, और सोचते सोचते व्याकुल हो गया। तब राजा कहने लगा, “हे बेलतशस्सर, इस स्वप्न से, या इसके फल से तू व्याकुल मत हो।” बेलतशस्सर ने कहा, “हे मेरे प्रभु, यह स्वप्न तेरे बैरियों पर, और इसका अर्थ तेरे द्रोहियों पर फले! जिस वृक्ष को तू ने देखा, जो बड़ा और दृढ़ हो गया, और जिसकी ऊँचाई स्वर्ग तक पहुँची और जो पृथ्वी के सिरे तक दिखाई देता था; जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिसमें सभों के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, हे राजा, वह तू ही है। तू महान् और सामर्थी हो गया, तेरी महिमा बढ़ी और स्वर्ग तक पहुँच गई, और तेरी प्रभुता पृथ्वी की छोर तक फैली है। हे राजा, तू ने जो एक पवित्र पहरुए को स्वर्ग से उतरते और यह कहते देखा कि वृक्ष को काट डालो और उसका नाश करो, तौभी उसके ठूँठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और इसको लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर मैदान की हरी घास के बीच में रहने दो; वह आकाश की ओस से भींगा करे, और उसको मैदान के पशुओं के संग ही भाग मिले; और जब तक सात युग उस पर बीत न चुकें, तब तक उसकी ऐसी ही दशा रहे। हे राजा, इसका फल जो परमप्रधान ने ठान लिया है कि राजा पर घटे, वह यह है, कि तू मनुष्यों के बीच से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; तू बैलों के समान घास चरेगा और आकाश की ओस से भींगा करेगा; और सात युग तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान ही प्रभुता करता है, और जिसे चाहे वह उसे दे देता है। उस वृक्ष के ठूँठ को जड़ समेत छोड़ने की आज्ञा जो हुई है, इसका अर्थ यह है कि तेरा राज्य तेरे लिए बना रहेगा; और जब तू जान लेगा कि जगत का प्रभु स्वर्ग ही में है, तब तू फिर से राज्य करने पाएगा। इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़कर धर्म करने लगे, और अधर्म छोड़कर दीन–हीनों पर दया करने लगे, तो संभव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे।” यह सब कुछ नबूकदनेस्सर राजा पर घट गया। बारह महीने के बीतने पर जब वह बेबीलोन के राजभवन की छत पर टहल रहा था, तब वह कहने लगा, “क्या यह बड़ा बेबीलोन नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ्य से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?” यह वचन राजा के मुँह से निकलने भी न पाया था कि आकाशवाणी हुई, “हे राजा नबूकदनेस्सर, तेरे विषय में यह आज्ञा निकलती है : राज्य तेरे हाथ से निकल गया, और तू मनुष्यों के बीच से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; और बैलों के समान घास चरेगा; और सात काल तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहे वह उसे दे देता है।” उसी घड़ी यह वचन नबूकदनेस्सर के विषय में पूरा हुआ। वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलों के समान घास चरने लगा, और उसकी देह आकाश की ओस में भीगती थी, यहाँ तक कि उसके बाल उकाब पक्षियों के परों से और उसके नाखून चिड़ियों के पंजों के समान बढ़ गए। उन दिनों के बीतने पर, मुझ नबूकदनेस्सर ने अपनी आँखें स्वर्ग की ओर उठाईं, और मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; तब मैं ने परमप्रधान को धन्य कहा, और जो सदा जीवित है उसकी स्तुति और महिमा यह कहकर करने लगा : उसकी प्रभुता सदा की है, और उसका राज्य पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहनेवाला है। पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके सामने तुच्छ गिने जाते हैं, और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहनेवालों के बीच अपनी ही इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोककर उस से नहीं कह सकता है, “तू ने यह क्या किया है?” उसी समय, मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; और मेरे राज्य की महिमा के लिये मेरा प्रताप और मुकुट मुझ पर फिर आ गया। मेरे मन्त्री और प्रधान लोग मुझ से भेंट करने के लिये आने लगे, और मैं अपने राज्य में स्थिर हो गया; और मेरी और अधिक प्रशंसा होने लगी।
दानिएल 4:1-36 पवित्र बाइबल (HERV)
राजा नबूकदनेस्सर ने बहुत सी जातियों और दूसरी भाषा बोलने वाले लोगों को, जो सारी दुनिया में बसे हुये थे, यह पत्र भेजा। शुभकामनाएँ: परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे साथ जो आश्चर्यजनक अद्भुत बातें की हैं, उनके बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता है। अद्भुत चमत्कार किये हैं! परमेश्वर ने शक्ति पूर्ण चमत्कार किये हैं! परमेश्वर का राज्य सदा टिका रहता है; परमेश्वर का शासन पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है। मैं, नबूकदनेस्सर, अपने महल में था। मैं प्रसन्न और सफल था। मैंने एक सपना देखा जिसने मुझे डरा दिया। मैं अपने बिस्तर में सो रहा था। मैंने दर्शनों को देखा। जो कुछ मैंने देखा था, उसने मुझे बहुत डरा दिया। सो मैंने यह आज्ञा दी कि बाबुल के सभी बुद्धिमान लोगों को मेरे पास लाया जाये ताकि वे मुझे मेरे स्वप्न का फल बतायें। जब तांत्रिक और कसदी लोग मेरे पास आये तो मैंने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। किन्तु वे लोग मुझे मेरे सपने का अर्थ नहीं बता पाये। अंत में दानिय्येल मेरे पास आया (मैंने अपने ईश्वर को सम्मानित करने के लिये दानिय्येल को बेलतशस्सर नाम दिया था। पवित्र ईश्वरों की आत्मा का उसमें निवास है।) दानिय्येल को मैंने अपना सपना कह सुनाया। मैंने उसे कहा, “हे बेलतशस्सर, तू सभी तांत्रिकों में सबसे बड़ा है। मुझे पता है कि तुझमें पवित्र ईश्वर की आत्मा वास करती है। मैं जानता हूँ कि किसी भी रहस्य को समझना तेरे लिये कठिन नहीं है। मैंने जो सपना देखा था, वह यह है। तू मझे इसका अर्थ समझा। जब मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था तो मैंने जो दिव्य दर्शन देखे, वे ये हैं। मैंने देखा कि मेरे सामने धरती के बीचों—बीच एक वृक्ष खड़ा है। वह वृक्ष बहुत लम्बा था। वृक्ष बड़ा होता हुआ एक विशाल मज़बूत वृक्ष बन गया। वृक्ष की चोटी आकाश छूने लगी। उस वृक्ष को धरती पर कहीं से भी देखा जा सकता था। वृक्ष की पत्तियाँ सुन्दर थीं। वृक्ष पर बहुत अच्छे फल बहुतायत में लगे थे और उस वृक्ष पर हर किसी के लिये भरपूर खाने को था। जंगली जानवर वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए थे और वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ियों का बसेरा था। हर पशु पक्षी उस वृक्ष से ही भोजन पाता था। “अपने बिस्तर पर लेटे—लेटे दर्शन में मैं उन वस्तुओं को देख रहा था और तभी एक पवित्र स्वर्गदूत को मैंने स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा। वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे। किन्तु इसके तने और इसकी जड़ों को धरती में रहने दो। इसके चारों ओर लोहे और काँसे का एक बंधेज बांध दो। अपने आस पास उगी घास के साथ इसका तना और इसकी जड़ें धरती में रहेंगी। जंगली पशुओं और पेड़ पौधों के बीच यह खेतों में रहेगा। ओस से वह नम हो जायेगा। वह अधिक समय तक मनुष्य की तरह नहीं सोचेगा। उसका मन पशु के मन जैसा हो जायेगा। उसके ऐसा ही रहते हुए सातऋ तु चक्र (वर्ष) बीत जायेगा।’ “एक पवित्र स्वर्गदूत ने इस दण्ड की घोषणा की थी ताकि धरती के सभी लोगों को यह पता चल जाये कि मनुष्यों के राज्यों के ऊपर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है। परमेश्वर जिसे भी चाहता है। इन राज्यों को दे देता है और परमेश्वर उन राज्यों पर शासन करने के लिये विनम्र मनुष्यों को चुनता है। “बस मैंने (राजा नबूकदनेस्सर ने) सपने में यही देखा है। अब हे बेलतशस्सर! तु मुझे यह बता कि इस सपने का अर्थ क्या है मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान पुरूष मुझे यह सपने का फल नही बता पा रहा है। किन्तु हे बेलतशस्सर, तू मेरे इस सपने की व्याख्या कर सकता है क्योंकि तुझमें पवित्र परमेश्वर की आत्मा निवास करती है।” तब दानिय्येल (जिसका नाम बेलतशस्सर भी था) थोड़ी देर के लिये एकदम चुप हो गया। जिन बातों को वह सोच रहा था, वे उसे व्याकुल किये जा रही थी। सो राजा ने उससे कहा, “हे बेलतशस्सर (दानिय्येल), तू उस सपने या उस सपने के फल से भयभीत मत हो।” इस पर बेलतशस्सर (दानिय्येल) ने राजा को उत्तर दिया, “हे मेरे स्वामी, काश यह सपना तेरे शत्रुओं पर पड़े और इसका फल, जो तेरे विरोधी हैं, उनको मिले!” आपने सपने में एक वृक्ष देखा था। वह वृक्ष बड़ा हुआ और मज़बूत बन गया। वृक्ष की चोटी आसमान छू रही थी। धरती में हर कही से वह वृक्ष दिखाई देता था। उसकी पत्तियाँ सुन्दर थीं और उस पर बहुतायत में फल लगे थे। उन फलो से हर किसी को पर्याप्त भोजन मिलता था। जंगली पशुओं का तो वह घर ही था और उसकी शाखाओं पर चिड़ियों ने बसेरा किया हुआ था। तुमने सपने में ऐसा वृक्ष देखा था। हे राजन, वह वृक्ष आप ही हैं। आप महान और शक्तिशाली बन चुके हैं। आप उस ऊँचे वृक्ष के समान हैं जिसने आकाश छू लिया है और आपकी शक्ति धरती के सुदूर भागों तक पहुँची हुई है। हे राजन, आपने एक पवित्र स्वर्गदूत को आकाश से नीचे उतरते देखा था। स्वर्गदूत ने कहा था वृक्ष को काट डालो और उसे नष्ट कर दो। वृक्ष के तने पर लोहे और काँसे का बन्धेज डाल दो और इसके तने और जड़ो को धरती में ही छोड़ दो। खेत में घास के बीच इसे रहने दो। ओस से ही यह नमी लेता रहेगा। वह किसी जंगली पशु के रूप में रहा करेगा। इसके इसी हाल में सात ऋतु—चक्र (साल) बीत जायेंगे। “हे राजा, आपके स्वप्न का फल यही है। परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे स्वामी राजा के प्रति इन बातों के घटने का आदेश दिया है। हे राजा नबूकदनेस्सर, प्रजा से दूर चले जाने के लिये आपको विवश किया जायेगा। जंगली पशुओं के बीच आपको रहना होगा। मवेशियों के समान आप घास से पेट भरेंगे और ओस से भीगेंगे सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे और फिर उसके बाद तुम यह पाठ पढ़ोगे कि परम प्रधान परमेश्वर मनुष्यों के साम्राज्यों पर शासन करता है और वह जिसे भी चाहता है, उसको राज्य दे देता है। “वृक्ष के तने और उसकी जड़ों को धरती में छोड़ देने को आदेश का अर्थ यह है—कि आपका साम्राज्य आपको वापस मिल जायेगा। किन्तु यह उसी समय होगा जब तुम यह जान जाओगे कि तुम्हारे राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है। इसलिये हे राजन, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।” ये सभी बातें राजा नबूकदनेस्सर के साथ घटीं। इस सपने के बारह महीने बाद जब राजा नकूबदनेस्सर बाबुल में अपने महल की छत पर घूम रहा था, तो छत पर खड़े—खड़े ही वह कहने लगा, “बाबुल को देखो! इस महान नगर का निर्माण मैंने किया है। यह महल मेरा है! मैंने अपनी शक्ति से इस विशाल नगर का निर्माण किया है। इस स्थान का निर्माण मैंने यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ।” ये शब्द अभी उसके मुँह में ही थे कि एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी ने कहा, “राजा नबूकदनेस्सर, तेरे साथ ये बातें घटेंगी। राजा के रूप में तुझसे तेरी शक्ति छीन ली गयी है। तुझे प्रजा से दूर जाना होगा। जंगली पशुओं के साथ तेरा निवास होगा। तू ढ़ोरों की तरह घास खायेगा। इससे पहले कि तू सबक सीखे, सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे। तब तू यह समझेगा कि मनुष्य के राज्यों पर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है और परम प्रधान परमेश्वर जिसे चाहता है, उसे राज्य दे देता है।” फिर तत्काल ही यह बातें घट गयीं। नबूकदनेस्सर को लोगों से दूर जाना पड़ा। उसने ढ़ोरों की तरह घास खाना शुरू कर दिया। वह ओस में भीगा। किसी उकाब के पंखों के समान उसके बाल बढ़ गये और उसके नाखून ऐसे बढ़ गये जैसे किसी पक्षी के पंजों के नाखून होते हैं। फिर उस समय के अंत में मैं (नकूबदनेस्सर) ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा। मैं फिर सही ढ़ंग से सोचने विचारने लगा। सो मैंने परम प्रधान परमेश्वर की स्तुति की, जो सदा अमर है, मैंने उसे आदर और महिमा प्रदान की। परमेश्वर शासन सदा करता है! उसका राज्य पीढ़ी दर पीढ़ीबना रहता है। इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है। सो, उस अवसर, पर परमेश्वर ने मुझे मेरी बुद्धि फिर दे दी और उसने एक राजा के रूप में मेरा बड़ा मान, सम्मान और शक्ति भी वापस लौटा दी। मेरे मन्त्री और मेरे राजकीय लोग फिर मेरे पास आने लगे। मैं फिर से राजा बन गया। मैं पहले से भी अधिक महान और शक्तिशाली हो गया था
दानिएल 4:1-36 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
नबूकदनेस्सर का परिपत्र: “पृथ्वी के सब कौमों, राष्ट्रों और भाषाओं के लोगो! तुम्हारी सुख-समृद्धि दिन दूनी रात चौगुनी बढ़े। “सर्वोच्च परमेश्वर ने मुझे अद्भुत चिह्न और चमत्कार दिखाए हैं। मुझे यह अच्छा लगा कि मैं उनका अर्थ तुम्हें समझाऊं। परमेश्वर के चिह्न कितने भव्य हैं, उसके अद्भुत कार्य कितने सामर्थ्यपूर्ण हैं! उसका राज्य शाश्वत राज्य है, उसका शासन पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहता है। “मैं, नबूकदनेस्सर अपने निवास-स्थान में सुख-चैन से था और अपने महल में सुख-समृद्धि भोग रहा था। मैंने एक स्वप्न देखा। उस स्वप्न ने मुझे डरा दिया। जब मैं पलंग पर लेटता तब मेरे मन के विचार, और स्वप्न के दृश्य मुझे परेशान करते थे। अत: मैंने एक राजाज्ञा प्रसारित की कि बेबीलोन देश के सब दरबारी विद्वान मेरे सम्मुख प्रस्तुत हों और मुझे मेरे स्वप्न का अर्थ बताएं। तब मेरे आदेश के अनुसार ज्योतिषी, तांत्रिक, शकुन विचारनेवाले और कसदी पंडित मेरे महल में आए। मैंने उन्हें अपना स्वप्न बताया, किन्तु वे उसका अर्थ मुझ पर प्रकट नहीं कर सके। तत्पश्चात् दानिएल आए, जिनका नाम मेरे ईश-देवता के नाम पर बेलतशस्सर रखा गया है, और जिनमें पवित्र परमेश्वर का आत्मा निवास करता है। मैंने दानिएल को अपना स्वप्न बताया और उनसे यह कहा, “ओ ज्योतिषियों के अगुए, बेलतशस्सर! मैं जनता हूं कि तुममें पवित्र परमेश्वर का आत्मा निवास करता है, और तुम्हारे लिए किसी भी रहस्य का भेद बताना कठिन नहीं है। सुनो, मैंने यह स्वप्न देखा है। मुझे इसका अर्थ बताओ। जब मैं पलंग पर लेटा हुआ था, तब मैंने ये दर्शन देखे: मैंने देखा कि पृथ्वी के बीचोंबीच एक पेड़ है और उस पेड़ की ऊंचाई बहुत ऊंची है। वह पेड़ बढ़ता ही गया और मजबूत होता गया। वह इतना बढ़ा कि उसका शिखर आकाश को छूने लगा। वह इतना ऊंचा हो गया कि पृथ्वी के छोर से दिखाई देने लगा। उसकी पत्तियां दिखने में सुन्दर थीं और वह फलों से लदा था। उसमें इतने फल थे कि सब प्राणी उनको खाकर तृप्त हो सकते थे। उसकी छांव में सब वन-पशु बसेरा कर रहे थे। उसकी शाखाओं पर आकाश के पक्षियों ने घोंसले बना लिए थे। पृथ्वी के प्राणी उसका फल खाकर अपना भरण-पोषण करते थे। ‘जब मैं पलंग पर लेटा हुआ अपने मन में यह दर्शन देख रहा था, तब मैंने दर्शन में एक प्रहरी को देखा। वह पवित्र दूत था, जो स्वर्ग से नीचे उतरा। उसने उच्च स्वर में पुकारा, और यह कहा, “इस वृक्ष को काट डालो, और इसकी शाखाओं को छांट दो। इसकी पत्तियों को झड़ा दो, और इसके फल बिखेर दो। इसकी छांव में बैठे हुए वनपशुओं को भगा दो। इसकी शाखाओं में बसेरा करनेवाले पक्षियों को उड़ा दो। किन्तु भूमि पर उसके तने को छोड़ दो, और उसकी जड़ मत उखाड़ो। तने को लोहे और पीतल की जंजीर से बांधो, और उसको मैदान में हरी घास के बीच छोड़ दो, ताकि वह आकाश की ओस से सींचा जाए और वनपशु की तरह भूमि की घास खाए। उसका हृदय बदल जाए! उसको मनुष्य के हृदय के बदले पशु का हृदय मिले। वह सात वर्ष तक इसी दशा में रहे।’ ‘यह दण्ड प्रहरियों के आदेश के अनुसार दिया गया। यह निर्णय पवित्र दूतों के वचन के अनुरूप है। यह इसलिए दिया गया कि जीव-लोक के प्राणी जान लें कि सर्वोच्च परमेश्वर मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिस को चाहता है, उसको यह राज्य देता है, और उस पर शासन करने के लिए छोटे-से-छोटे मनुष्य को भी नियुक्त करता है।’ “राजा नबूकदनेस्सर ने, मैंने यह स्वप्न देखा। अब, तुम, ओ बेलतशस्सर, इसका अर्थ बताओ; क्योंकि मेरे राज्य का कोई भी दरबारी विद्वान इसका अर्थ मुझे नहीं बता सका। पर तुम मेरे स्वप्न का अर्थ बता सकते हो; क्योंकि पवित्र परमेश्वर का आत्मा तुममें निवास करता है।” “यह सुनकर दानिएल, जो बेलतशस्सर कहलाते हैं, बहुत समय तक स्तब्ध खड़े रहे। उनके हृदय में अनेक विचार उठे, जिन्होंने उनको व्याकुल कर दिया। मैंने कहा, “ओ बेलतशस्सर, मेरे स्वप्न, अथवा उसके अर्थ से तुम व्याकुल मत हो।” बेलतशस्सर ने उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्वामी! काश, यह स्वप्न आपके बैरियों के लिए हो, इसका अर्थ आपके शत्रुओं पर पड़े! “महाराज, जो वृक्ष आपने देखा, और जो बढ़कर मजबूत हो गया, और जो इतना बढ़ा कि उसका शिखर आकाश को छूने लगा, और इतना ऊंचा हो गया कि आकाश के छोर से दिखाई देने लगा; जिसकी पत्तियां दिखने में सुन्दर थीं, और जो फलों से लदा था; जिसमें इतने फल लगे थे कि उनको खाकर सब प्राणी तृप्त हो सकते थे; जिसकी छांव में सब वन-पशु बसेरा कर रहे थे; और जिसकी शाखाओं पर आकाश के पक्षियों ने घोंसले बनाए थे, वह वृक्ष आप हैं, महाराज! आप ही बढ़कर शक्तिशाली हो गए हैं। आपकी महानता बढ़कर आकाश को छूने लगी है। आपका राज्य पृथ्वी के छोरों तक पहुंच गया है। “महाराज, जो पवित्र प्रहरी आपने देखा, जो स्वर्ग से नीचे उतरा और जिसने उच्च स्वर में यह कहा कि ‘इस वृक्ष को काट कर नष्ट कर दो, पर भूमि पर इसके तने को छोड़ दो, और इसकी जड़ मत उखाड़ो। किन्तु तने को लोहे और पीतल की जंजीरों से बांधो, और उसको मैदान में हरी घास के बीच छोड़ दो, ताकि वह आकाश की ओस से सींचा जाए, और वन-पशु की तरह वह भूमि की घास खाए। वह सात वर्ष तक इसी दशा में रहे’, महाराज, उसका यह अर्थ है: सर्वोच्च परमेश्वर का आदेश है; उसने महाराज के प्रति यह निर्णय किया है, और यह महाराज पर घटित होगा: आप मनुष्य-समाज के बीच से निकाल दिए जाएंगे, और आपको वन-पशुओं के साथ रहना पड़ेगा। आप बैल के समान घास चरेंगे, और आकाश की ओस में भीगा करेंगे। सात वर्ष तक आपकी यही दशा रहेगी। उसके बाद आपको अनुभव होगा कि सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिसको चाहता है, उसको यह राज्य दे देता है। “पवित्र प्रहरी ने यह आदेश दिया था कि तने को जड़ के साथ छोड़ दो। उसका यह अर्थ है : जिस समय आपको अनुभव हो जाएगा कि स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर ही मानव-जाति पर राज्य करता है, उस समय ही आपका राज्य आपको प्राप्त हो जाएगा। महाराज, मैं आपसे निवेदन करता हूं, आप मेरा यह परामर्श स्वीकार कीजिए: सद् आचरण कर अपने पाप के बन्धनों को तोड़ दीजिए। आप पीड़ितों के प्रति दया कर अधर्म से मुक्त हो जाइए। तब संभव है कि आपकी शांति के ये दिन लम्बे हो जाएं।” “स्वप्न का यह अर्थ राजा पर, अर्थात् मुझ-नबूकदनेस्सर पर घटा। बारह महीने के बाद मैं बेबीलोन के राजमहल की छत पर टहल रहा था। तब मैंने सोचा, “क्या यह बेबीलोन नगर महान नहीं है? मैंने इसको अपनी बड़ी ताकत से बनाया है ताकि यह मेरी राजधानी बने और इसके माध्यम से मेरे वैभव की चहुं ओर प्रशंसा हो।” ये शब्द मेरे मुंह में ही थे कि अचानक स्वर्ग से यह आवाज सुनाई दी: “ओ राजा नबूकदनेस्सर, यह बात तुझसे ही कही जा रही है। तेरा राज्य तेरे हाथ से निकल गया! तू मनुष्य-समाज के बीच से निकाल दिया जाएगा, और तुझको वन-पशुओं के साथ रहना पड़ेगा। तू बैल के समान घास चरेगा। सात वर्ष तक तेरी यही दशा रहेगी। उसके बाद ही तुझको अनुभव होगा कि सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिसको चाहता है, उसको यह राज्य दे देता है।” “तत्काल ही यह वाणी मुझ पर पूर्ण हुई। मैं मनुष्य-समाज के बीच से निकाल दिया गया। मैंने बैल के समान घास खाई। मेरा शरीर आकाश की ओस की बूंदों से भीगा। मेरे बाल गरुड़ के पैरों के समान लम्बे-लम्बे बढ़ गए। मेरे नाखून चिड़ियों के चंगुलों के समान बड़े-बड़े हो गए। “सात वर्ष बीतने के बाद मैं नबूकदनेस्सर ने स्वर्ग की ओर दीनता से आंखें उठाईं, और मेरा विवेक लौट आया। मैंने सर्वोच्च परमेश्वर को धन्य कहा, जो सदा-सर्वदा जीवित है। मैंने इन शब्दों में उसकी महिमा और स्तुति की; “परमेश्वर का राज्य शाश्वत है; उसका शासन पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है। पृथ्वी के समस्त निवासी उसके सम्मुख नगण्य हैं; वह स्वर्ग की सेना में, पृथ्वी के प्राणियों के मध्य, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्या किया?’ ” “उसी समय मेरा विवेक लौट आया। मेरे राज्य की कीर्ति के लिए मेरा प्रताप और वैभव मुझे पुन: प्राप्त हो गए। मेरे मंत्रियों और सामंतों ने मुझे जंगल में से ढूंढ़ निकाला, और मैं पुन: अपने राज्य के ऊपर राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गया। मेरी महानता और बढ़ गई।
दानिएल 4:1-36 Hindi Holy Bible (HHBD)
नबूकदनेस्सर राजा की ओर से देश-देश और जाति जाति के लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वाले जितने सारी पृथ्वी पर रहते हैं, उन सभों को यह वचन मिला, तुम्हारा कुशल क्षेम बढ़े! मुझे यह अच्छा लगा, कि परमप्रधान परमेश्वर ने मुझे जो जो चिन्ह और चमत्कार दिखाए हैं, उन को प्रगट करूं। उसके दिखाए हुए चिन्ह क्या ही बड़े, और उसके चमत्कारों में क्या ही बड़ी शक्ति प्रगट होती है! उसका राज्य तो सदा का और उसकी प्रभुता पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है॥ मैं नबूकदनेस्सर अपने भवन में चैन से और प्रफुल्लित रहता था। मैं ने ऐसा स्वप्न देखा जिसके कारण मैं डर गया; और पलंग पर पड़े पड़े जो विचार मेरे मन में आए और जो बातें मैं ने देखीं, उनके कारण मैं घबरा गया था। तब मैं ने आज्ञा दी कि बाबुल के सब पण्डित मेरे स्वप्न का फल मुझे बताने के लिये मेरे साम्हने हाजिर किए जाएं। तब ज्योतिषी, तन्त्री, कसदी और होनहार बताने वाले भीतर आए, और मैं ने उन को अपना स्वप्न बताया, परन्तु वे उसका फल न बता सके। निदान दानिय्येल मेरे सम्मुख आया, जिसका नाम मेरे देवता के नाम के कारण बेलतशस्सर रखा गया था, और जिस में पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है; और मैं ने उसको अपना स्वप्न यह कह कर बता दिया, कि, हे बेलेतश्स्सर तू तो सब ज्योतिषियों का प्रधान है, मैं जानता हूं कि तुझ में पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, और तू किसी भेद के कारण नहीं घबराता; इसलिये जो स्वपन मैं ने देखा है उसे फल समेत मुझे बता कर समझा दे। जो दर्शन मैं ने पलंग पर पाया वह यह है: मैं ने देखा, कि पृथ्वी के बीचों-बीच एक वृक्ष लगा है; उसकी ऊंचाई बहुत बड़ी है। वह वृक्ष बड़ा हो कर दृढ़ हो गया, और उसकी ऊंचाई स्वर्ग तक पहुंची, और वह सारी पृथ्वी की छोर तक देख पड़ता था। उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहां तक कि उस में सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिडिय़ां बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे॥ मैं ने पलंग पर दर्शन पाते समय क्या देखा, कि एक पवित्र पहरूआ स्वर्ग से उतर आया। उसने ऊंचे शब्द से पुकार कर यह कहा, वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छांट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल छितरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएं, और चिडिय़ें उसकी डालियों पर से उड़ जाएं। तौभी उसके ठूंठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बान्ध कर मैदान की हरी घास के बीच रहने दो। वह आकाश की ओस से भीगा करे और भूमि की घास खाने में मैदान के पशुओं के संग भागी हो। उसका मन बदले और मनुष्य का न रहे, परन्तु पशु का सा बन जाए; और उस पर सात काल बीतें। यह आज्ञा पहरूओं के निर्णय से, और यह बात पवित्र लोगों के वचन से निकली, कि जो जीवित हैं वे जान लें कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और उसको जिसे चाहे उसे दे देता है, और वह छोटे से छोटे मनुष्य को भी उस पर नियुक्त कर देता है। मुझ नबूकदनेस्सर राजा ने यही स्वपन देखा। सो हे बेलतशस्सर, तू इसका फल बता, क्योंकि मेरे राज्य में और कोई पण्डित इसका फल मुझे समझा नहीं सकता, परन्तु तुझ में तो पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, इस कारण तू उसे समझा सकता है॥ तब दानिय्येल जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, घड़ी भर घबराता रहा, और सोचते सोचते व्याकुल हो गया। तब राजा कहने लगा, हे बेलतशस्सर इस स्वप्न से, वा इसके फल से तू व्याकुल मत हो। बेलतशस्सर ने कहा, हे मेरे प्रभु, यह स्वप्न तेरे बैरियों पर, और इसका अर्थ तेरे द्रोहियों पर फले! जिस वृक्ष हो तू ने देखा, जो बड़ा और दृढ़ हो गया, और जिसकी ऊंचाई स्वर्ग तक पहुंची और जो पृथ्वी के सिरे तक दिखाई देता था; जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिस में सभों के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिडिय़ां बसेरा करती थीं, हे राजा, वह तू ही है। तू महान और सामर्थी हो गया, तेरी महिमा बढ़ी और स्वर्ग तक पहुंच गई, और तेरी प्रभुता पृथ्वी की छोर तक फैली है। और हे राजा, तू ने जो एक पवित्र पहरूए को स्वर्ग से उतरते और यह कहते देखा कि वृक्ष को काट डालो और उसका नाश करो, तौभी उसके ठूंठ को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बान्ध कर मैदान की हरी घास के बीच में रहने दो; वह आकाश की ओस से भीगा करे, और उसको मैदान के पशुओं के संग ही भाग मिले; और जब तक सात युग उस पर बीत न चुकें, तब तक उसकी ऐसी ही दशा रहे। हे राजा, इसका फल जो परमप्रधान ने ठाना है कि राजा पर घटे, वह यह है, कि तू मनुष्यों के बीच से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; तू बैलों की नाईं घास चरेगा और आकाश की ओस से भीगा करेगा; और सात युग तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान ही प्रभुता करता है, और जिसे चाहे वह उसे दे देता है। और उस वृक्ष के ठूंठ को जड़ समेत छोड़ने की आज्ञा जो हुई है, इसका अर्थ यह है कि तेरा राज्य तेरे लिये बना रहेगा; और जब तू जान लेगा कि जगत का प्रभु स्वर्ग ही में है, तब तू फिर से राज्य करने पाएगा। इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़ कर धर्म करने लगे, और अधर्म छोड़ कर दीन-हीनों पर दया करने लगे, तो सम्भव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे॥ यह सब कुछ नबूकदनेस्सर राजा पर घट गया। बारह महीने बीतने पर जब वह बाबुल के राजभवन की छत पर टहल रहा था, तब वह कहने लगा, क्या यह बड़ा बाबुल नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है? यह वचन राजा के मुंह से निकलने भी न पाया था कि आकाशवाणी हुई, हे राजा नबूकदनेस्सर तेरे विषय में यह आज्ञा निकलती है कि राज्य तेरे हाथ से निकल गया, और तू मनुष्यों के बीच में से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; और बैलों की नाईं घास चरेगा और सात काल तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहे वह उसे दे देता है। उसी घड़ी यह वचन नबूकदनेस्सर के विषय में पूरा हुआ। वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलों की नाईं घास चरने लगा, और उसकी देह आकाश की ओस से भीगती थी, यहां तक कि उसके बाल उकाब पक्षियों के परों से और उसके नाखून चिडिय़ोंके चंगुलों के समान बढ़ गए॥ उन दिनों के बीतने पर, मुझ नबूकदनेस्सर ने अपनी आंखें स्वर्ग की ओर उठाईं, और मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; तब मैं ने परमप्रधान को धन्य कहा, और जो सदा जीवित है उसकी स्तुति और महिमा यह कह कर करने लगा: उसकी प्रभुता सदा की है और उसका राज्य पीढ़ी से पीढ़ी तब बना रहने वाला है। पृथ्वी के सब रहने वाले उसके साम्हने तुच्छ गिने जाते हैं, और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहने वालों के बीच अपनी इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोक कर उस से नहीं कह सकता है, तू ने यह क्या किया है? उसी समय, मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; और मेरे राज्य की महिमा के लिये मेरा प्रताप और मुकुट मुझ पर फिर आ गया। और मेरे मन्त्री और प्रधान लोग मुझ से भेंट करने के लिये आने लगे, और मैं राज्य में स्थिर हो गया; और मेरी और अधिक प्रशंसा होने लगी।
दानिएल 4:1-36 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
नबूकदनेस्सर राजा की ओर से देश-देश और जाति-जाति के लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाले जितने सारी पृथ्वी पर रहते हैं, उन सभी को यह वचन मिला, “तुम्हारा कुशल क्षेम बढ़े! मुझे यह अच्छा लगा, कि परमप्रधान परमेश्वर ने मुझे जो-जो चिन्ह और चमत्कार दिखाए हैं, उनको प्रगट करूँ। (भज. 66:16) उसके दिखाए हुए चिन्ह क्या ही बड़े, और उसके चमत्कारों में क्या ही बड़ी शक्ति प्रगट होती है! उसका राज्य तो सदा का और उसकी प्रभुता पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है। “मैं नबूकदनेस्सर अपने भवन में चैन से और अपने महल में प्रफुल्लित रहता था। मैंने ऐसा स्वप्न देखा जिसके कारण मैं डर गया; और पलंग पर पड़े-पड़े जो विचार मेरे मन में आए और जो बातें मैंने देखीं, उनके कारण मैं घबरा गया था। तब मैंने आज्ञा दी कि बाबेल के सब पंडित मेरे स्वप्न का अर्थ मुझे बताने के लिये मेरे सामने हाजिर किए जाएँ। तब ज्योतिषी, तांत्रिक, कसदी और भावी बतानेवाले भीतर आए, और मैंने उनको अपना स्वप्न बताया, परन्तु वे उसका अर्थ न बता सके। अन्त में दानिय्येल मेरे सम्मुख आया, जिसका नाम मेरे देवता के नाम के कारण बेलतशस्सर रखा गया था, और जिसमें पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है; और मैंने उसको अपना स्वप्न यह कहकर बता दिया, हे बेलतशस्सर तू तो सब ज्योतिषियों का प्रधान है, मैं जानता हूँ कि तुझ में पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, और तू किसी भेद के कारण नहीं घबराता; इसलिए जो स्वप्न मैंने देखा है उसे अर्थ समेत मुझे बताकर समझा दे। जो दर्शन मैंने पलंग पर पाया वह यह है: मैंने देखा, कि पृथ्वी के बीचोबीच एक वृक्ष लगा है; उसकी ऊँचाई बहुत बड़ी है। वह वृक्ष बड़ा होकर दृढ़ हो गया, और उसकी ऊँचाई स्वर्ग तक पहुँची, और वह सारी पृथ्वी की छोर तक दिखाई पड़ता था। उसके पत्ते सुन्दर, और उसमें बहुत फल थे, यहाँ तक कि उसमें सभी के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उससे आहार पाते थे। (मत्ती 13:32) “मैंने पलंग पर दर्शन पाते समय क्या देखा, कि एक पवित्र दूत स्वर्ग से उतर आया। उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर यह कहा, ‘वृक्ष को काट डालो, उसकी डालियों को छाँट दो, उसके पत्ते झाड़ दो और उसके फल छितरा डालो; पशु उसके नीचे से हट जाएँ, और चिड़ियाँ उसकी डालियों पर से उड़ जाएँ। तो भी उसके ठूँठे को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर मैदान की हरी घास के बीच रहने दो। वह आकाश की ओस से भीगा करे और भूमि की घास खाने में मैदान के पशुओं के संग भागी हो। उसका मन बदले और मनुष्य का न रहे, परन्तु पशु का सा बन जाए; और उस पर सात काल बीतें। यह आज्ञा उस दूत के निर्णय से, और यह बात पवित्र लोगों के वचन से निकली, कि जो जीवित हैं वे जान लें कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और उसको जिसे चाहे उसे दे देता है, और वह छोटे से छोटे मनुष्य को भी उस पर नियुक्त कर देता है।’ मुझ नबूकदनेस्सर राजा ने यही स्वप्न देखा। इसलिए हे बेलतशस्सर, तू इसका अर्थ बता, क्योंकि मेरे राज्य में और कोई पंडित इसका अर्थ मुझे समझा नहीं सका, परन्तु तुझ में तो पवित्र ईश्वरों की आत्मा रहती है, इस कारण तू उसे समझा सकता है।” तब दानिय्येल जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, घड़ी भर घबराता रहा, और सोचते-सोचते व्याकुल हो गया। तब राजा कहने लगा, “हे बेलतशस्सर इस स्वप्न से, या इसके अर्थ से तू व्याकुल मत हो।” बेलतशस्सर ने कहा, “हे मेरे प्रभु, यह स्वप्न तेरे बैरियों पर, और इसका अर्थ तेरे द्रोहियों पर फले! जिस वृक्ष को तूने देखा, जो बड़ा और दृढ़ हो गया, और जिसकी ऊँचाई स्वर्ग तक पहुँची और जो पृथ्वी के सिरे तक दिखाई देता था; जिसके पत्ते सुन्दर और फल बहुत थे, और जिसमें सभी के लिये भोजन था; जिसके नीचे मैदान के सब पशु रहते थे, और जिसकी डालियों में आकाश की चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, हे राजा, वह तू ही है। तू महान और सामर्थी हो गया, तेरी महिमा बढ़ी और स्वर्ग तक पहुँच गई, और तेरी प्रभुता पृथ्वी की छोर तक फैली है। और हे राजा, तूने जो एक पवित्र दूत को स्वर्ग से उतरते और यह कहते देखा कि वृक्ष को काट डालो और उसका नाश करो, तो भी उसके ठूँठे को जड़ समेत भूमि में छोड़ो, और उसको लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर मैदान की हरी घास के बीच में रहने दो; वह आकाश की ओस से भीगा करे, और उसको मैदान के पशुओं के संग ही भाग मिले; और जब तक सात युग उस पर बीत न चुकें, तब तक उसकी ऐसी ही दशा रहे। हे राजा, इसका अर्थ जो परमप्रधान ने ठाना है कि राजा पर घटे, वह यह है, तू मनुष्यों के बीच से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; तू बैलों के समान घास चरेगा; और आकाश की ओस से भीगा करेगा और सात युग तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान ही प्रभुता करता है, और जिसे चाहे वह उसे दे देता है। और उस वृक्ष के ठूँठे को जड़ समेत छोड़ने की आज्ञा जो हुई है, इसका अर्थ यह है कि तेरा राज्य तेरे लिये बना रहेगा; और जब तू जान लेगा कि जगत का प्रभु स्वर्ग ही में है, तब तू फिर से राज्य करने पाएगा। इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़कर धार्मिकता करने लगे, और अधर्म छोड़कर दीन-हीनों पर दया करने लगे, तो सम्भव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे।” यह सब कुछ नबूकदनेस्सर राजा पर घट गया। बारह महीने बीतने पर जब वह बाबेल के राजभवन की छत पर टहल रहा था, तब वह कहने लगा, “क्या यह बड़ा बाबेल नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ्य से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?” यह वचन राजा के मुँह से निकलने भी न पाया था कि आकाशवाणी हुई, “हे राजा नबूकदनेस्सर तेरे विषय में यह आज्ञा निकलती है कि राज्य तेरे हाथ से निकल गया, और तू मनुष्यों के बीच में से निकाला जाएगा, और मैदान के पशुओं के संग रहेगा; और बैलों के समान घास चरेगा और सात काल तुझ पर बीतेंगे, जब तक कि तू न जान ले कि परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहे वह उसे दे देता है।” उसी घड़ी यह वचन नबूकदनेस्सर के विषय में पूरा हुआ। वह मनुष्यों में से निकाला गया, और बैलों के समान घास चरने लगा, और उसकी देह आकाश की ओस से भीगती थी, यहाँ तक कि उसके बाल उकाब पक्षियों के परों से और उसके नाखून चिड़ियाँ के पंजों के समान बढ़ गए। उन दिनों के बीतने पर, मुझ नबूकदनेस्सर ने अपनी आँखें स्वर्ग की ओर उठाई, और मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; तब मैंने परमप्रधान को धन्य कहा, और जो सदा जीवित है उसकी स्तुति और महिमा यह कहकर करने लगा: उसकी प्रभुता सदा की है और उसका राज्य पीढ़ी से पीढ़ी तब बना रहनेवाला है। (भज. 145:13, 1 तीमु. 1:17) पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके सामने तुच्छ गिने जाते हैं, और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहनेवालों के बीच अपनी इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोककर उससे नहीं कह सकता है, “तूने यह क्या किया है?” उसी समय, मेरी बुद्धि फिर ज्यों की त्यों हो गई; और मेरे राज्य की महिमा के लिये मेरा प्रताप और मुकुट मुझ पर फिर आ गया। और मेरे मंत्री और प्रधान लोग मुझसे भेंट करने के लिये आने लगे, और मैं अपने राज्य में स्थिर हो गया; और मेरी और अधिक प्रशंसा होने लगी।
दानिएल 4:1-36 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
राजा नबूकदनेज्ज़र की ओर से, सारी पृथ्वी पर रहनेवाले जाति-जाति और हर भाषा के लोगों को यह वचन: आप सब की बहुत उन्नति हो! सर्वोच्च परमेश्वर द्वारा मेरे लिये किए गए उन अद्भुत चिन्हों और आश्चर्य कर्मों के बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे खुशी हो रही है. क्या ही बड़े हैं उसके दिखाए चिन्ह, क्या ही महान हैं उसके आश्चर्यकर्म! उसका राज्य एक सदाकाल का राज्य है; उसकी प्रभुता पीढ़ी-पीढ़ी तक बनी रहती है. मैं, नबूकदनेज्ज़र अपने महल में संतुष्ट और सम्पन्न था. मैंने एक स्वप्न देखा, जिससे मैं भयभीत हो गया. जब मैं अपने पलंग पर लेटा हुआ था, तो जो चित्र और दर्शन मेरे मन में आये, उनसे मैं भयभीत हो गया. इसलिये मैंने आज्ञा दी कि बाबेल के सारे बुद्धिमान लोग मेरे सामने लाए जाएं कि वे मेरे स्वप्न का अर्थ बताएं. जब जादूगर, टोन्हे, तांत्रिक, ज्योतिषी और दैवीय शक्तिवाले मेरे पास आये, तो मैंने उन्हें अपना स्वप्न बताया, पर वे मुझको उसका अर्थ नहीं बता सके. आखिर में, दानिएल मेरे सामने आया और मैंने उसे अपना स्वप्न बताया. (उसका नाम मेरे देवता के नाम से बैलशत्सर रखा गया है, और पवित्र देवताओं की आत्मा उसमें है.) मैंने कहा, “हे बैलशत्सर, जादूगरों का मुखिया, मैं जानता हूं कि पवित्र देवताओं की आत्मा तुममें है और कोई भी रहस्य तुम्हारे लिये कठिन नहीं है. यह मेरा स्वप्न है; मुझे इसका अर्थ बताओ. ये वे दर्शन हैं जिन्हें मैंने पलंग पर लेटे हुए देखा: मैंने देखा कि पृथ्वी के बीच एक पेड़ लगा है. वह बहुत ऊंचा था. वह पेड़ बड़ा होकर मजबूत हो गया और इसका सिरा आकाश को छूने लगा; इसे सारी पृथ्वी के छोर से भी देखा जा सकता था. इसकी पत्तियां सुंदर थी और इसमें बहुत सारे फल लगे थे, और इसमें सबके लिये भोजन था. इसके नीचे जंगली जानवर रहते थे, और आकाश के पक्षी इसकी शाखाओं पर बसेरा करते थे; इसमें से हर एक जीव-जन्तु भोजन पाते थे. “पलंग पर लेटे हुए मैंने दर्शन में देखा कि स्वर्ग से एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक नीचे आ रहा था. उसने ऊंची आवाज में कहा: ‘काट डालो इस पेड़ को और इसकी शाखाओं को अलग कर दो; इसकी पत्तियों को गिरा दो और इसके फल को बिखरा दो. जानवर इसके नीचे से भाग जाएं और चिड़िया इसकी शाखाओं से उड़ जाएं. पर पेड़ के ठूंठ और इसकी जड़ों को लोहे और कांसा से बंधे रहकर ज़मीन के घास पर, भूमि में रहने दो. “ ‘उसे आकाश की ओस से भीगने दो, और उसे पृथ्वी के पौधों के बीच जानवरों के साथ रहने दो. उसका मन बदल दिया जाए और एक मनुष्य के समान उसका मन न रहे और उसे सात कालखण्ड बीतने तक एक जानवर का मन दिया जाए. “ ‘इस निर्णय का ऐलान संदेशवाहकों के द्वारा किया जाता है, पवित्र जन इस निर्णय की घोषणा करते हैं, ताकि जीवित लोग इस बात को जानें कि वह जो सर्वोच्च हैं, वे ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं, उसे उन राज्यों को दे देते हैं और छोटे से छोटे व्यक्ति को उनके ऊपर नियुक्त कर देते हैं.’ “यही है वह स्वप्न जिसे मैं, राजा नबूकदनेज्ज़र ने देखा. अब, हे बैलशत्सर, मुझे बताओ कि इसका क्या अर्थ है, क्योंकि मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति मुझे इसका अर्थ नहीं बता सकता. पर तुम बता सकते हो, क्योंकि तुममें पवित्र देवताओं की आत्मा है.” तब दानिएल (जिसे बैलशत्सर भी कहा जाता था) थोड़ी देर के लिये व्याकुल हो गया, और उसके विचार उसे भयभीत करने लगे. इसलिये राजा ने कहा, “हे बैलशत्सर, मेरे स्वप्न या इसके अर्थ से भयभीत न हो.” बैलशत्सर ने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, काश, यह स्वप्न सिर्फ आपके शत्रुओं और इसका अर्थ आपके विरोधियों पर लागू होता! वह पेड़ जिसे आपने देखा, जो बड़ा होकर मजबूत हो गया, जिसका सिरा आकाश को छूने लगा था, और जिसे सारी पृथ्वी से देखा जा सकता था, जिसकी पत्तियां सुंदर और जिसमें बहुत सारे फल थे, जिससे सबको भोजन मिलता था, जो जंगली जानवरों को आश्रय देता था, और चिड़ियां जिसकी शाखाओं पर घोंसला बनाती थीं— हे महाराज, वह पेड़ आप हैं! आप बड़े और मजबूत हो गये हैं; आपकी महानता इतनी हो गई है कि यह आकाश को छूने लगी है, और आपका राज्य पृथ्वी में दूर-दूर तक फैल गया है. “हे महाराज, आपने एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक को स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा जो यह कह रहा था, ‘इस पेड़ को काट डालो और इसे नष्ट कर दो, पर इसके ठूंठ को, लोहा और कांसा से बंधे हुए ज़मीन के घांस में रहने दो तथा इसके जड़ों को भूमि में छोड़ दो. उसे आकाश की ओस से भीगने दो; उसे जंगली जानवरों के साथ रहने दो, जब तक कि उसके लिये सात कालखण्ड पूरे न हो जाएं.’ “हे महाराज, यह उसका अर्थ है, और यह वह फैसला है, जिसे सर्वोच्च परमेश्वर ने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध दिया है: आपको लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और आप जंगली जानवरों के साथ रहेंगे; आप बैल की तरह घांस खाएंगे और आकाश की ओस से भीगेंगे. सात कालखण्ड के बीतने तक आप इसी स्थिति में रहेंगे, और तब आप यह मान लेंगे कि पृथ्वी पर सारे राज्यों के ऊपर सर्वोच्च परमेश्वर ही परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे ये राज्य दे देते हैं. पेड़ के ठूंठ को इसके जड़ों सहित छोड़ने की जो आज्ञा दी गई है, उसका अर्थ यह है कि आपको आपका राज्य लौटा दिया जाएगा, जब आप यह बात मान लेंगे कि स्वर्ग ही शासन करता है. इसलिये, हे महाराज, खुशी से मेरी सलाह को मान लीजिये: आप अपने पापों को छोड़कर भले काम करिये, और दुष्टता को छोड़कर सताये हुए लोगों पर दया कीजिये. तब यह हो सकता है कि आपकी समृद्धि होने लगे.” ये सब बातें राजा नबूकदनेज्ज़र के साथ हुई. बारह महीनों के बाद, जब राजा बाबेल के राजमहल के छत पर टहल रहा था, तब उसने कहा, “क्या यह वह बड़ा बाबेल नहीं है, जिसे मैंने अपने बड़े शक्ति से शाही निवास के रूप में अपने वैभव की महिमा के लिये बनाया है?” अभी राजा के ये वचन उसके मुंह से निकले भी नहीं थे कि स्वर्ग से एक आवाज आई, “हे राजा नबूकदनेज्ज़र, तुम्हारे लिए यह फैसला किया जाता है: तुम्हारा शाही अधिकार तुमसे छीन लिया गया है. तुम्हें लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और तुम जंगली जानवरों के साथ रहोगे; तुम बैल की तरह घांस खाओगे. इसी स्थिति में तुम्हारे लिये सात कालखण्ड बीतेगा और तब तुम यह मान लोगे कि सर्वोच्च परमेश्वर ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे इन राज्यों को दे देते हैं.” नबूकदनेज्ज़र के बारे में जो बात कही गई, वह उसी घड़ी पूरी हो गई. उसे लोगों के बीच से भगा दिया गया और वह बैल की तरह घांस खाने लगा. उसका शरीर आकाश की ओस से भीगता था, यहां तक कि उसके बाल बढ़कर गरुड़ के पंखों के समान और उसके नाखून चिड़ियों के पंजों के समान हो गये. निर्धारित समय के अंत में, मैं, नबूकदनेज्ज़र ने स्वर्ग की ओर अपनी दृष्टि उठाई, और मेरी मानसिक अवस्था फिर पहले जैसे हो गई. तब मैंने सर्वोच्च परमेश्वर की महिमा की; मैंने उसका आदर और प्रशंसा किया, जो सदाकाल तक जीवित रहता है. उसकी प्रभुता सदाकाल की है; उसका राज्य पीढ़ी-पीढ़ी तक बना रहता है. पृथ्वी के सारे लोगों का कोई महत्व नहीं है. वह जैसा चाहता है वैसा स्वर्ग की शक्तियों और पृथ्वी के लोगों के साथ करता है. उसे कोई भी रोक नहीं सकता या यह कह नहीं सकता: “आपने यह क्या कर डाला?” जिस समय मेरी मानसिक अवस्था पहले जैसी हो गई, उसी समय मेरा सम्मान और वैभव भी मेरे राज्य के गौरव हेतु मेरे पास लौट आया. मेरे सलाहकारों और कुलीन लोगों ने मुझे ढूंढ़ निकाला, और मुझे फिर से मेरे सिंहासन पर बैठाया गया और मैं पहले से भी ज्यादा महान हो गया.