प्रेरितों 5:27-42

प्रेरितों 5:27-42 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

उन्होंने उन्हें लाकर महासभा के सामने खड़ा कर दिया; तब महायाजक ने उनसे पूछा, “क्या हम ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्‍ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।” तब पतरस और अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है। हमारे बापदादों के परमेश्‍वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था। उसी को परमेश्‍वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर, अपने दाहिने हाथ पर उच्‍च कर दिया, कि वह इस्राएलियों को मन फिराव की शक्‍ति और पापों की क्षमा प्रदान करे। हम इन बातों के गवाह हैं और वैसे ही पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्‍वर ने उन्हें दिया है जो उसकी आज्ञा मानते हैं।” यह सुनकर वे जल गए, और उन्हें मार डालना चाहा। परन्तु गमलीएल नामक एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, न्यायालय में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी। तब उसने कहा, “हे इस्राएलियो, तुम जो कुछ इन मनुष्यों से करना चाहते हो, सोच समझ के करना। क्योंकि इन दिनों से पहले थियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूँ; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिए, परन्तु वह मारा गया और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर–बितर हुए और मिट गए। उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिए; वह भी नष्‍ट हो गया और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर–बितर हो गए। इसलिये अब मैं तुम से कहता हूँ, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और इन से कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा; परन्तु यदि परमेश्‍वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे। कहीं ऐसा न हो कि तुम परमेश्‍वर से भी लड़नेवाले ठहरो।” तब उन्होंने उसकी बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आदेश देकर छोड़ दिया कि यीशु के नाम से फिर कोई बात न करना। वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये अपमानित होने के योग्य तो ठहरे। वे प्रतिदिन मन्दिर में और घर–घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से कि यीशु ही मसीह है न रुके।

प्रेरितों 5:27-42 पवित्र बाइबल (HERV)

वे उन्हें भीतर ले आये और सर्वोच्च यहूदी सभा के सामने खड़ा कर दिया। फिर महायाजक ने उनसे पूछते हुए कहा, “हमने इस नाम से उपदेश न देने के लिए तुम्हें कठोर आदेश दिया था और तुमने फिर भी समूचे यरूशलेम को अपने उपदेशों से भर दिया है। और तुम इस व्यक्ति की मृत्यु का अपराध हम पर लादना चाहते हो।” पतरस और दूसरे प्रेरितों ने उत्तर दिया, “हमें मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्वर की बात माननी चाहिये। उस यीशु को हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने मृत्यु से फिर जिला कर खड़ा कर दिया है जिसे एक पेड़ पर लटका कर तुम लोगों ने मार डाला था। उसे ही प्रमुख और उद्धारकर्ता के रूप में महत्त्व देते हुए परमेश्वर ने अपने दाहिने स्थित किया है ताकि इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान की जा सके। इन सब बातों के हम साक्षी हैं और वैसे ही वह पवित्र आत्मा भी है जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।” जब उन्होंने यह सुना तो वे आग बबूला हो उठे और उन्हें मार डालना चाहा। किन्तु महासभा में से एक गमलिएल नामक फ़रीसी, जो धर्मशास्त्र का शिक्षक भी था, तथा जिसका सब लोग आदर करते थे, खड़ा हुआ और आज्ञा दी कि इन्हें थोड़ी देर के लिये बाहर कर दिया जाये। फिर वह उनसे बोला, “इस्राएल के पुरूषो, तुम इन लोगों के साथ जो कुछ करने पर उतारू हो, उसे सोच समझ कर करना। कुछ समय पहले अपने आपको बड़ा घोषित करते हुए थियूदास प्रकट हुआ था। और कोई चार सौ लोग उसके पीछे भी हो लिये थे, पर वह मार डाला गया और उसके सभी अनुयायी तितर-बितर हो गये। परिणाम कुछ नहीं निकला। उसके बाद जनगणना के समय गलील का रहने वाला यहूदा प्रकट हुआ। उसने भी कुछ लोगों को अपने पीछे आकर्षित कर लिया था। वह भी मारा गया। उसके भी सभी अनुयायी इधर उधर बिखर गये। इसीलिए इस वर्तमान विषय में मैं तुमसे कहता हूँ, इन लोगों से अलग रहो, इन्हें ऐसे अकेले छोड़ दो क्योंकि इनकी यह योजना या यह काम मनुष्य की ओर से है तो स्वयं समाप्त हो जायेगा। किन्तु यदि यह परमेश्वर की ओर से है तो तुम उन्हें रोक नहीं पाओगे। और तब हो सकता है तुम अपने आपको ही परमेश्वर के विरोध में लड़ते पाओ!” उन्होंने उसकी सलाह मान ली। और प्रेरितों को भीतर बुला कर उन्होंने कोड़े लगवाये और यह आज्ञा देकर कि वे यीशु के नाम की कोई चर्चा न करें, उन्हें चले जाने दिया। सो वे प्रेरित इस बात का आनन्द मनाते हुए कि उन्हें उसके नाम के लिये अपमान सहने योग्य गिना गया है, यहूदी महासभा से चले गये। फिर मन्दिर और घर-घर में हर दिन इस सुसमाचार का कि यीशु मसीह है उपदेश देना और प्रचार करना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।

प्रेरितों 5:27-42 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

उन्‍होंने प्रेरितों को ला कर धर्म-महासभा के सामने पेश किया। प्रधान महापुरोहित ने उन से पूछताछ कर यह कहा, “क्‍या हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश नहीं दिया था कि इस नाम से शिक्षा मत देना; परन्‍तु तुम लोगों ने सारा यरूशलेम अपनी शिक्षा से भर दिया है और उस मनुष्‍य की हत्‍या का दोष हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो?” इस पर पतरस और अन्‍य प्रेरितों ने यह उत्तर दिया, “हमें मनुष्‍यों की आज्ञा की अपेक्षा परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए। आप लोगों ने येशु को क्रूस के काठ पर लटका कर मार डाला था, किन्‍तु हमारे पूर्वजों के परमेश्‍वर ने उन्‍हें पुनर्जीवित किया। परमेश्‍वर ने उन्‍हें अधिनायक तथा मुक्‍तिदाता का उच्‍च पद देकर अपने दाहिने हाथ से उन्नत किया, कि वह इस्राएल को पश्‍चात्ताप और पापक्षमा प्रदान करें। इन बातों के साक्षी हम हैं और पवित्र आत्‍मा भी, जिसे परमेश्‍वर ने उन लोगों को प्रदान किया है, जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।” यह सुन कर धर्म-महासभा के सदस्‍य आग-बबूला हो गए और उन्‍होंने प्रेरितों को मार डालना चाहा। परंतु गमलीएल नामक एक फरीसी, जो व्‍यवस्‍था का अध्‍यापक और सारी जनता में सम्‍मानित था, धर्म-महासभा में उठ खड़ा हुआ। उसने प्रेरितों को थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाने का आदेश दिया और धर्म-महासभा के सदस्‍यों से यह कहा, “इस्राएली भाइयो! आप सावधानी से विचार करें कि इन लोगों के साथ क्‍या करने जा रहे हैं। कुछ समय पहले थेउदास ने विद्रोह का झण्‍डा उठाया था। वह दावा करता था कि मैं भी कुछ हूँ और लगभग चार सौ लोग उसके अनुयायी बन गये। वह मारा गया, उसके मानने वाले सब लोग बिखर गये और उनका नाम-निशान भी नहीं रहा। उसके बाद, जनगणना के समय, गलील-निवासी यहूदा ने सिर उठाया। उसने बहुत-से लोगों को बहका कर अपने विद्रोह में सम्‍मिलित कर लिया। वह भी नष्‍ट हो गया और उसके मानने वाले सब लोग बिखर गये। इसलिए इस मामले के सम्‍बन्‍ध में मैं आप लोगों से यह कहना चाहता हूँ कि आप इनके काम में दखल न दें और इन्‍हें अपनी राह चलने दें। यदि यह योजना या कार्य मनुष्‍य की ओर से है, तो यह अपने आप मिट जायेगा। परन्‍तु यदि यह परमेश्‍वर की ओर से है, तो आप इन्‍हें नहीं मिटा सकेंगे और यह बहुत संभव है कि आप परमेश्‍वर के विरोधी प्रमाणित होंगे।” वे उसकी बात मान गये। उन्‍होंने प्रेरितों को बुला भेजा, उन्‍हें कोड़े लगवाये और यह कड़ा आदेश दे कर छोड़ दिया कि वे येशु के नाम से कुछ न कहें। प्रेरित इसलिए आनन्‍दित हो कर धर्म-महासभा के भवन से निकले कि उन्‍हें येशु के नाम के लिए अपमानित होने का गौरव मिला। वे प्रतिदिन मन्‍दिर में और घर-घर जा कर निरंतर शिक्षा देते रहे और येशु मसीह का शुभ समाचार सुनाते रहे।

प्रेरितों 5:27-42 Hindi Holy Bible (HHBD)

उन्होंने उन्हें फिर लाकर महासभा के साम्हने खड़ा कर दिया और महायाजक ने उन से पूछा। क्या हम ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लोहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो। तब पतरस और, और प्रेरितों ने उत्तर दिया, कि मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है। हमारे बाप दादों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटका कर मार डाला था। उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारक ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च कर दिया, कि वह इस्त्राएलियों को मन फिराव की शक्ति और पापों की क्षमा प्रदान करे। और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उस की आज्ञा मानते हैं॥ यह सुनकर वे जल गए, और उन्हें मार डालना चाहा। परन्तु गमलीएल नाम एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, न्यायालय में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी। तब उस ने कहा, हे इस्त्राएलियों, जो कुछ इन मनुष्यों से किया चाहते हो, सोच समझ के करना। क्योंकि इन दिनों से पहले यियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूं; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिये, परन्तु वह मारा गया; और जितने लोग उसे मानते थे, सब तित्तर बित्तर हुए और मिट गए। उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिये: वह भी नाश हो गया, और जितने लागे उसे मानते थे, सब तित्तर बित्तर हो गए। इसलिये अब मैं तुम से कहता हूं, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उन से कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा। परन्तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्वर से भी लड़ने वाले ठहरो। तब उन्होंने उस की बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना। वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के साम्हने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। और प्रति दिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रूके॥

प्रेरितों 5:27-42 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

उन्होंने उन्हें फिर लाकर महासभा के सामने खड़ा कर दिया और महायाजक ने उनसे पूछा, “क्या हमने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना? फिर भी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।” तब पतरस और, अन्य प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही हमारा कर्तव्य है। हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था। (व्यव. 21:22,23) उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च किया, कि वह इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान करे। (लूका 24:47) और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उसकी आज्ञा मानते हैं।” यह सुनकर वे जल उठे, और उन्हें मार डालना चाहा। परन्तु गमलीएल नामक एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, महासभा में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी। तब उसने कहा, “हे इस्राएलियों, जो कुछ इन मनुष्यों से करना चाहते हो, सोच समझ के करना। क्योंकि इन दिनों से पहले थियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूँ; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिए, परन्तु वह मारा गया; और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हुए और मिट गए। उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिए; वह भी नाश हो गया, और जितने लोग उसे मानते थे, सब तितर-बितर हो गए। इसलिए अब मैं तुम से कहता हूँ, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उनसे कुछ काम न रखो; क्योंकि यदि यह योजना या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा; परन्तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्वर से भी लड़नेवाले ठहरो।” तब उन्होंने उसकी बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना। वे इस बात से आनन्दित होकर महासभा के सामने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। इसके बाद हर दिन, मन्दिर में और घर-घर में, वे लगातार सिखाते और प्रचार करते थे कि यीशु ही मसीह है।

प्रेरितों 5:27-42 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

उनके वहां उपस्थित किए जाने पर महापुरोहित ने उनसे पूछताछ शुरू की, “हमने तुम्हें कड़ी आज्ञा दी थी कि इस नाम में अब कोई शिक्षा मत देना, पर देखो, तुमने तो येरूशलेम को अपनी शिक्षा से भर दिया है, और तुम इस व्यक्ति की हत्या का दोष हम पर मढ़ने के लिए निश्चय कर चुके हो.” पेतरॉस तथा प्रेरितों ने इसका उत्तर दिया, “हम तो मनुष्यों की बजाय परमेश्वर के ही आज्ञाकारी रहेंगे. हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित कर दिया, जिनकी आप लोगों ने काठ पर लटकाकर हत्या कर दी, जिन्हें परमेश्वर ने अपनी दायीं ओर सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के पद पर बैठाया कि वह इस्राएल को पश्चाताप और पाप क्षमा प्रदान करें. हम इन घटनाओं के गवाह हैं—तथा पवित्र आत्मा भी, जिन्हें परमेश्वर ने अपनी आज्ञा माननेवालों को दिया है.” यह सुन वे तिलमिला उठे और उनकी हत्या की कामना करने लगे. किंतु गमालिएल नामक फ़रीसी ने, जो व्यवस्था के शिक्षक और जनसाधारण में सम्मानित थे, महासभा में खड़े होकर आज्ञा दी कि प्रेरितों को सभाकक्ष से कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया जाए. तब गमालिएल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “इस्राएली बंधुओं, भली-भांति विचार कर लीजिए कि आप इनके साथ क्या करना चाहते हैं. कुछ ही समय पूर्व थद्देयॉस ने कुछ होने का दावा किया था और चार सौ व्यक्ति उसके साथ हो लिए. उसकी हत्या कर दी गई और उसके अनुयायी तितर-बितर होकर नाश हो गए. इसके बाद गलीलवासी यहूदाह ने जनगणना के अवसर पर सिर उठाया और लोगों को भरमा दिया. वह भी मारा गया और उसके अनुयायी भी तितर-बितर हो गए. इसलिये इनके विषय में मेरी सलाह यह है कि आप इन्हें छोड़ दें और इनसे दूर ही रहें क्योंकि यदि इनके कार्य की उपज और योजना मनुष्य की ओर से है तो यह अपने आप ही विफल हो जाएगी; मगर यदि यह सब परमेश्वर की ओर से है तो आप उन्हें नाश नहीं कर पाएंगे—ऐसा न हो कि इस सिलसिले में आप स्वयं को परमेश्वर का ही विरोध करता हुआ पाएं.” महासभा ने गमालिएल का विचार स्वीकार कर लिया. उन्होंने प्रेरितों को कक्ष में बुलवाकर कोड़े लगवाए, और उन्हें यह आज्ञा दी कि वे अब से येशु के नाम में कुछ न कहें और फिर उन्हें मुक्त कर दिया. प्रेरित महासभा से आनंद मनाते हुए चले गए कि उन्हें मसीह येशु के कारण अपमान-योग्य तो समझा गया. वे प्रतिदिन नियमित रूप से मंदिर प्रांगण में तथा घर-घर जाकर यह प्रचार करते तथा यह शिक्षा देते रहे कि येशु ही वह मसीह हैं.