प्रेरितों 4:1-22

प्रेरितों 4:1-22 पवित्र बाइबल (HERV)

अभी पतरस और यूहन्ना लोगों से बात कर रहे थे कि याजक, मन्दिर के सिपाहियों का मुखिया और कुछ सदूकी उनके पास आये। वे उनसे इस बात पर चिढ़े हुए थे कि पतरस और यूहन्ना लोगों को उपदेश देते हुए यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा पुनरुत्थान का प्रचार कर रहे थे। सो उन्होंने उन्हें बंदी बना लिया और क्योंकि उस समय साँझ हो चुकी थी, इसलिये अगले दिन तक हिरासत में रख छोड़ा। किन्तु जिन्होंने वह संदेश सुना उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया और इस प्रकार उनकी संख्या लगभग पाँच हजार पुरूषों तक जा पहुँची। अगले दिन उनके नेता, बुजुर्ग और यहूदी धर्मशास्त्री यरूशलेम में इकट्ठे हुए। महायाजक हन्ना, कैफ़ा, यूहन्ना, सिकन्दर और महायाजक के परिवार के सभी लोग भी वहाँ उपस्थित थे। वे इन प्रेरितों को उनके सामने खड़ा करके पूछने लगे, “तुमने किस शक्ति या अधिकार से यह कार्य किया?” फिर पवित्र आत्मा से भावित होकर पतरस ने उनसे कहा, “हे लोगों के नेताओ और बुजुर्ग नेताओं! यदि आज हमसे एक लँगड़े व्यक्ति के साथ की गयी भलाई के बारे में यह पूछताछ की जा रही है कि वह अच्छा कैसे हो गया तो तुम सब को और इस्राएल के लोगों को यह पता हो जाना चाहिये कि यह काम नासरी यीशु मसीह के नाम से हुआ है जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ा दिया और जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से पुनर्जीवित कर दिया है। उसी के द्वारा पूरी तरह से ठीक हुआ यह व्यक्ति तुम्हारे सामने खड़ा है। यह यीशु वही, ‘वह पत्थर जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने नाकारा ठहराया था, वही अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पत्थर बन गया है।’ किसी भी दूसरे में उद्धार निहित नहीं है। क्योंकि इस आकाश के नीचे लोगों को कोई दूसरा ऐसा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो पाये।” उन्होंने जब पतरस और यूहन्ना की निर्भीकता को देखा और यह समझा कि वे बिना पढ़े लिखे और साधारण से मनुष्य हैं तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। फिर वे जान गये कि ये यीशु के साथ रह चुके लोग हैं। और क्योंकि वे उस व्यक्ति को जो चंगा हुआ था, उन ही के साथ खड़ा देख पा रहे थे सो उनके पास कहने को कुछ नहीं रहा। उन्होंने उनसे यहूदी महासभा से निकल जाने को कहा और फिर वे यह कहते हुए आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “इन लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाये? क्योंकि यरूशलेम में रहने वाला हर कोई जानता है कि इनके द्वारा एक उल्लेखनीय आश्चर्यकर्म किया गया है और हम उसे नकार भी नहीं सकते। किन्तु हम इन्हें चेतावनी दे दें कि वे इस नाम की चर्चा किसी और व्यक्ति से न करें ताकि लोगों में इस बात को और फैलने से रोका जा सके।” सो उन्होंने उन्हें अन्दर बुलाया और आज्ञा दी कि यीशु के नाम पर वे न तो किसी से कोई ही चर्चा करें और न ही कोई उपदेश दें। किन्तु पतरस और यूहन्ना ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही बताओ, क्या परमेश्वर के सामने हमारे लिये यह उचित होगा कि परमेश्वर की न सुन कर हम तुम्हारी सुनें? हम, जो कुछ हमने देखा है और सुना है, उसे बताने से नहीं चूक सकते।” फिर उन्होंने उन्हें और धमकाने के बाद छोड़ दिया। उन्हें दण्ड देने का उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल सका क्योंकि जो घटना घटी थी, उसके लिये सभी लोग परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे। जिस व्यक्ति पर अच्छा करने का यह आश्चर्यकर्म किया गया था, उसकी आयु चालीस साल से ऊपर थी।

प्रेरितों 4:1-22 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

पतरस और योहन लोगों से बोल ही रहे थे कि पुरोहित, मन्‍दिर-आरक्षी का नायक और सदूकी संप्रदायी उनके पास आ धमके। वे बहुत नाराज थे, क्‍योंकि प्रेरित जनता को शिक्षा दे रहे थे और येशु का उदाहरण दे कर मृतकों के पुनरुत्‍थान का प्रचार कर रहे थे। सन्‍ध्‍या हो चली थी, इसलिए उन्‍होंने उन को गिरफ्‍तार कर रात भर के लिए बन्‍दीगृह में डाल दिया। जिन्‍होंने प्रेरितों का प्रवचन सुना था, उन में बहुतों ने विश्‍वास किया। विश्‍वास करनेवाले पुरुषों की संख्‍या अब लगभग पाँच हजार तक पहुँच गयी। दूसरे दिन यरूशलेम में शासकों, धर्मवृद्धों और शास्‍त्रियों की सभा हुई। प्रधान महापुरोहित हन्ना, काइफा, योहानान, सिकन्‍दर और महापुरोहित-वंश के सभी सदस्‍य वहाँ उपस्‍थित थे। वे पतरस तथा योहन को बीच में खड़ा कर इस प्रकार उन से पूछ-ताछ करने लगे, “तुम लोगों ने किस सामर्थ्य से या किसके नाम से यह काम किया है?” पतरस ने पवित्र आत्‍मा से परिपूर्ण हो कर उन से कहा, “जनता के शासको और धर्मवृद्धो! हमने एक दुर्बल मनुष्‍य का उपकार किया है और आज हम से पूछ-ताछ की जा रही है कि वह किस तरह रोग-मुक्‍त हो गया है। आप सभी लोग और इस्राएल की सारी प्रजा यह जान लें कि नासरत-निवासी येशु मसीह के नाम से यह मनुष्‍य स्‍वस्‍थ हो कर आप लोगों के सामने खड़ा है। उन्‍हीं येशु को आप लोगों ने क्रूस पर चढ़ा दिया था, किन्‍तु परमेश्‍वर ने उन्‍हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया। यह वह पत्‍थर हैं, ‘जिसे आप, कारीगरों ने तुच्‍छ समझा था और जो कोने की नींव का पत्‍थर बन गया है।’ किसी दूसरे व्यक्‍ति द्वारा मुक्‍ति नहीं है; क्‍योंकि समस्‍त संसार में मनुष्‍यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्‍ति मिल सकती है।” पतरस और योहन की निर्भीकता देख कर और यह जानकर कि वे अशििक्षत तथा साधारण मनुष्‍य हैं, धर्म-महासभा के सदस्‍य अचम्‍भे में पड़ गये। फिर, वे पहचान गये कि ये तो येशु के साथ रह चुके हैं; किन्‍तु स्‍वस्‍थ किये गये मनुष्‍य को इनके साथ खड़ा देख कर, वे उत्तर में कुछ नहीं बोल सके। उन्‍होंने पतरस और योहन को सभा से बाहर जाने का आदेश किया और यह कहते हुए आपस में विचार-विमर्श किया कि, “हम इन लोगों के साथ क्‍या करें? यरूशलेम में रहने वाले सभी लोगों को यह मालूम हो गया कि इन्‍होंने एक अपूर्व चमत्‍कार दिखाया है। हम यह अस्‍वीकार नहीं कर सकते। फिर भी जनता में इसका और अधिक प्रचार न हो, इसलिए हम इन्‍हें कड़ी चेतावनी दें कि अब से तुम इस नाम पर किसी से कुछ नहीं कहोगे।” उन्‍होंने पतरस तथा योहन को बुला भेजा और उन्‍हें आदेश दिया कि वे येशु का नाम लेकर न तो जनता को सम्‍बोधित करें और न शिक्षा दें। इस पर पतरस और योहन ने उन्‍हें यह उत्तर दिया, “आप लोग स्‍वयं निर्णय करें : क्‍या परमेश्‍वर की दृष्‍टि में यह उचित होगा कि हम परमेश्‍वर की नहीं, बल्‍कि आप लोगों की बात मानें? क्‍योंकि हमने जो देखा और सुना है, उसके विषय में नहीं बोलना हमारे लिए सम्‍भव नहीं।” इस पर उन्‍होंने पतरस और योहन को फिर धमका कर छोड़ दिया; क्‍योंकि जनता के कारण उन्‍हें दंड देने का कोई दांव नहीं मिला। सब लोग इस घटना के कारण परमेश्‍वर की स्‍तुति कर रहे थे। जिस मनुष्‍य को उस आश्‍चर्य कर्म द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य-लाभ हुआ था, उसकी उम्र चालीस वर्ष से अधिक थी।

प्रेरितों 4:1-22 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब वे लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। क्योंकि वे बहुत क्रोधित हुए कि वे लोगों को सिखाते थे और यीशु का उदाहरण दे देकर मरे हुओं के जी उठने का प्रचार करते थे। और उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्धया हो गई थी। परन्तु वचन के सुनने वालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उन की गिनती पांच हजार पुरूषों के लगभग हो गई॥ दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उन के सरदार और पुरिनये और शास्त्री। और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। और उन्हें बीच में खड़ा करके पूछने लगे, कि तुम ने यह काम किस सामर्थ से और किस नाम से किया है? तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उन से कहा। हे लोगों के सरदारों और पुरनियों, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछ पाछ की जाती है, कि वह क्योंकर अच्छा हुआ। तो तुम सब और सारे इस्त्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है। यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें॥ जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। और उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उन के साथ खड़े देखकर, वे विरोध में कुछ न कह सके। परन्तु उन्हें सभा के बाहर जाने की आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, कि हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहने वालों पर प्रगट है, कि इन के द्वारा एक प्रसिद्ध चिन्ह दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। परन्तु इसलिये कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएं, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें। तब उन्हें बुलाया और चितौनी देकर यह कहा, कि यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखलाना। परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया, कि तुम ही न्याय करो, कि क्या यह परमेश्वर के निकट भला है, कि हम परमेश्वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें। क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें। तब उन्होंने उन को और धमका कर छोड़ दिया, क्योंकि लोगों के कारण उन्हें दण्ड देने का कोई दांव नहीं मिला, इसलिये कि जो घटना हुई थी उसके कारण सब लोग परमेश्वर की बड़ाई करते थे। क्योंकि वह मनुष्य, जिस पर यह चंगा करने का चिन्ह दिखाया गया था, चालीस वर्ष से अधिक आयु का था।

प्रेरितों 4:1-22 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब वे लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। क्योंकि वे बहुत क्रोधित हुए कि वे लोगों को सिखाते थे और यीशु का उदाहरण दे देकर मरे हुओं के जी उठने का प्रचार करते थे। उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्ध्या हो गई थी। परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्‍वास किया, और उनकी गिनती पाँच हज़ार पुरुषों के लगभग हो गई। दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उनके सरदार और पुरनिये और शास्त्री और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। वे उन्हें बीच में खड़ा करके पूछने लगे कि तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है। तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उनसे कहा, “हे लोगों के सरदारो और पुरनियो, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछताछ की जाती है, कि वह कैसे अच्छा हुआ। तो तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्‍वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें।” जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो आश्‍चर्य किया; फिर उनको पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़े देखकर, वे विरोध में कुछ न कह सके। परन्तु उन्हें सभा के बाहर जाने की आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, “हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहनेवालों पर प्रगट है, कि इनके द्वारा एक प्रसिद्ध चिह्न दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। परन्तु इसलिये कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएँ, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें।” तब उन्हें बुलाया और चेतावनी देखकर यह कहा, “यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखाना।” परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो; क्या यह परमेश्‍वर के निकट भला है कि हम परमेश्‍वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें। क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।” तब उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया, क्योंकि लोगों के कारण उन्हें दण्ड देने का कोई दाँव नहीं मिला, इसलिये कि जो घटना हुई थी उसके कारण सब लोग परमेश्‍वर की बड़ाई करते थे। वह मनुष्य, जिस पर यह चंगा करने का चिह्न दिखाया गया था, चालीस वर्ष से अधिक आयु का था।

प्रेरितों 4:1-22 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब पतरस और यूहन्ना लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। वे बहुत क्रोधित हुए कि पतरस और यूहन्ना यीशु के विषय में सिखाते थे और उसके मरे हुओं में से जी उठने का प्रचार करते थे। और उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि संध्या हो गई थी। परन्तु वचन के सुननेवालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उनकी गिनती पाँच हजार पुरुषों के लगभग हो गई। दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उनके सरदार और पुरनिए और शास्त्री। और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। और पतरस और यूहन्ना को बीच में खड़ा करके पूछने लगे, “तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है?” तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उनसे कहा, “हे लोगों के सरदारों और प्राचीनों, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछताछ की जाती है, कि वह कैसे अच्छा हुआ। तो तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। (भज. 118:22,23, दानि. 2:34,35) और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सके।” जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उनको पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। परन्तु उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़े देखकर, यहूदी उनके विरोध में कुछ न कह सके। परन्तु उन्हें महासभा के बाहर जाने की आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, “हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहनेवालों पर प्रगट है, कि इनके द्वारा एक प्रसिद्ध चिन्ह दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। परन्तु इसलिए कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएँ, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें।” तब पतरस और यूहन्ना को बुलाया और चेतावनी देकर यह कहा, “यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखाना।” परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो, कि क्या यह परमेश्वर के निकट भला है, कि हम परमेश्वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें? क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हमने देखा और सुना है, वह न कहें।” तब उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया, क्योंकि लोगों के कारण उन्हें दण्ड देने का कोई कारण नहीं मिला, इसलिए कि जो घटना हुई थी उसके कारण सब लोग परमेश्वर की बड़ाई करते थे। क्योंकि वह मनुष्य, जिस पर यह चंगा करने का चिन्ह दिखाया गया था, चालीस वर्ष से अधिक आयु का था।

प्रेरितों 4:1-22 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब वे भीड़ को संबोधित कर ही रहे थे, कि अचानक पुरोहित गण, मंदिर रखवालों का प्रधान तथा सदूकी उनके पास आ पहुंचे. वे अत्यंत क्रोधित थे क्योंकि प्रेरित भीड़ को शिक्षा देते हुए मसीह येशु में मरे हुओं के जी उठने की घोषणा कर रहे थे. उन्होंने उन्हें बंदी बनाकर अगले दिन तक के लिए कारागार में डाल दिया क्योंकि दिन ढल चुका था. उनके संदेश को सुनकर अनेकों ने विश्वास किया, जिनकी संख्या लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गई. अगले दिन यहूदियों के राजा, पुरनिये और शास्त्री येरूशलेम में इकट्ठा थे. वहां महापुरोहित हन्‍ना, कायाफ़स, योहन, अलेक्सान्दरॉस तथा महायाजकीय वंश के सभी सदस्य इकट्ठा थे. उन्होंने प्रेरितों को सबके बीच खड़ा कर प्रश्न करना प्रारंभ कर दिया: “तुमने किस अधिकार से या किस नाम में यह किया है?” तब पवित्र आत्मा से भरकर पेतरॉस ने उत्तर दिया: “सम्माननीय राजागण और समाज के पुरनियों! यदि आज हमारा परीक्षण इसलिये किया जा रहा है कि एक अपंग का कल्याण हुआ है और इसलिये कि यह व्यक्ति किस प्रक्रिया द्वारा स्वस्थ हुआ है, तो आप सभी को तथा, सभी इस्राएल राष्ट्र को यह मालूम हो कि यह सब नाज़रेथवासी, मसीह येशु के द्वारा किया गया है, जिन्हें आपने क्रूस का मृत्यु दंड दिया, किंतु जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया. आज उन्हीं के नाम के द्वारा स्वस्थ किया गया-यह व्यक्ति आपके सामने खड़ा है. मसीह येशु ही वह चट्टान हैं “ ‘जिन्हें आप भवन निर्माताओं ने ठुकरा कर अस्वीकृत कर दिया, जो कोने का प्रधान पत्थर बन गए.’ उद्धार किसी अन्य में नहीं है क्योंकि आकाश के नीचे मनुष्यों के लिए दूसरा कोई नाम दिया ही नहीं गया जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो.” पेतरॉस तथा योहन का यह साहस देख और यह जानकर कि वे दोनों अनपढ़ और साधारण व्यक्ति हैं, वे चकित रह गए. उन्हें धीरे धीरे यह याद आया कि ये वे हैं, जो मसीह येशु के साथी रहे हैं. किंतु स्वस्थ हुए व्यक्ति की उपस्थिति के कारण वे कुछ न कह सके; उन्होंने उन्हें सभागार से बाहर जाने की आज्ञा दी. तब वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “हम इनके साथ क्या करें? यह तो स्पष्ट है कि इनके द्वारा एक असाधारण चमत्कार अवश्य हुआ है और यह येरूशलेम निवासियों को भी मालूम हो चुका है. इस सच को हम नकार नहीं सकते. किंतु लोगों में इस समाचार का और अधिक प्रसार न हो, हम इन्हें यह चेतावनी दें कि अब वे किसी से भी इस नाम का वर्णन करते हुए बातचीत न करें.” तब उन्होंने उन्हें भीतर बुलाकर आज्ञा दी कि वे न तो येशु नाम का वर्णन करें और न ही उसके विषय में कोई शिक्षा दें. किंतु पेतरॉस और योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “आप स्वयं निर्णय कीजिए कि परमेश्वर की दृष्टि में उचित क्या है: आपकी आज्ञा का पालन या परमेश्वर की आज्ञा का. हमसे तो यह हो ही नहीं सकता कि जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका वर्णन न करें.” इस पर यहूदी प्रधानों ने उन्हें दोबारा धमकी देकर छोड़ दिया. उन्हें यह सूझ ही नहीं रहा था कि उन्हें किस आधार पर दंड दिया जाए क्योंकि सभी लोग इस घटना के लिए परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे. उस व्यक्ति की उम्र, जो अद्भुत रूप से स्वस्थ हुआ था, चालीस वर्ष से अधिक थी.