प्रेरितों 28:26-27
प्रेरितों 28:26-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“ ‘इन लोगों से जाकर कहो, “तुम लोग सुनते तो रहोगे, किंतु समझोगे नहीं. तुम लोग देखते भी रहोगे, किंतु पहचान न सकोगे.” क्योंकि इन लोगों का हृदय जड़ हो चुका है. अपने कानों से वे कदाचित ही कुछ सुन पाते हैं और आंखें तो उन्होंने मूंद ही रखी हैं, कि कहीं वे आंखों से देख न लें और कानों से सुन न लें और अपने हृदय से समझकर लौट आएं और मैं, परमेश्वर, उन्हें स्वस्थ और पूर्ण बना दूं.’
प्रेरितों 28:26-27 पवित्र बाइबल (HERV)
‘जाकर इन लोगों से कह दे: तुम सुनोगे, पर न समझोगे कदाचित्! तुम बस देखते ही देखते रहोगे पर न बूझोगे कभी भी! क्योंकि इनका ह्रदय जड़ता से भर गया कान इनके कठिनता से श्रवण करते और इन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली क्योंकि कभी ऐसा न हो जाए कि ये अपनी आँख से देखें, और कान से सुनें और ह्रदय से समझे, और कदाचित् लौटें मुझको स्वस्थ करना पड़े उनको।’
प्रेरितों 28:26-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
‘इन लोगों के पास जा कर यह कहो : तुम सुनोगे अवश्य, पर नहीं समझोगे। तुम देखोगे अवश्य, पर तुम्हें सूझ नहीं पड़ेगा; क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं। इन्होंने अपनी आँखें बन्द कर ली हैं। कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, मन से समझें और मुझ-प्रभु की ओर अभिमुख हो जायें, और मैं इन्हें स्वस्थ कर दूँ।’
प्रेरितों 28:26-27 Hindi Holy Bible (HHBD)
कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बुझोगे। क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उन के कान भारी हो गए, और उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।
प्रेरितों 28:26-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
‘जाकर इन लोगों से कह, कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बूझोगे;* क्योंकि इन लोगों का मन मोटा और उनके कान भारी हो गए हैं, और उन्होंने अपनी आँखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आँखों से देखें और कानों से सुनें और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’
प्रेरितों 28:26-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
‘जाकर इन लोगों से कह, कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बूझोगे; क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उनके कान भारी हो गए हैं, और उन्होंने अपनी आँखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आँखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’ (यशा. 6:9,10)