प्रेरितों 27:20-21
प्रेरितों 27:20-21 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
जब बहुत दिनों तक न सूर्य, न तारे दिखाई दिए और बड़ी आँधी चलती रही, तो अन्त में हमारे बचने की सारी आशा जाती रही। जब वे बहुत दिन तक भूखे रह चुके, तो पौलुस ने उनके बीच में खड़े होकर कहा, “हे लोगो, चाहिए था कि तुम मेरी बात मानकर क्रेते से न जहाज खोलते और न यह विपत्ति आती और न यह हानि उठाते।
प्रेरितों 27:20-21 पवित्र बाइबल (HERV)
फिर बहुत दिनों तक जब न सूरज दिखाई दिया, न तारे और तूफान अपने घातक थपेड़े मारता ही रहा तो हमारे बच पाने की आशा पूरी तरह जाती रही। बहुत दिनों से किसी ने भी कुछ खाया नहीं था। तब पौलुस ने उनके बीच खड़े होकर कहा, “हे पुरुषो यदि क्रीत से रवाना न होने की मेरी सलाह तुमने मानी होती तो तुम इस विनाश और हानि से बच जाते।
प्रेरितों 27:20-21 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जब कई दिन तक न तो सूरज दिखाई पड़ा और न तारे ही, और तूफानी हवा वेग से बहती रही, तो हमारे बच जाने की आशा भी समाप्त हो गयी। वे बहुत समय से कुछ भी नहीं खा रहे थे, इसलिए पौलुस ने उनके बीच खड़ा हो कर कहा, “सज्जनो! उचित तो यह था कि आप लोग मेरी बात पर ध्यान देते और क्रेते से प्रस्थान नहीं करते। तब आप को न तो यह संकट सहना पड़ता और न यह हानि उठानी पड़ती।
प्रेरितों 27:20-21 Hindi Holy Bible (HHBD)
और जब बहुत दिनों तक न सूर्य न तारे दिखाई दिए, और बड़ी आंधी चल रही थी, तो अन्त में हमारे बचने की सारी आशा जाती रही। जब वे बहुत उपवास कर चुके, तो पौलुस ने उन के बीच में खड़ा होकर कहा; हे लोगो, चाहिए था कि तुम मेरी बात मानकर, क्रेते से न जहाज खोलते और न यह विपत और हानि उठाते।
प्रेरितों 27:20-21 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
और जब बहुत दिनों तक न सूर्य न तारे दिखाई दिए, और बड़ी आँधी चल रही थी, तो अन्त में हमारे बचने की सारी आशा जाती रही। जब वे बहुत दिन तक भूखे रह चुके, तो पौलुस ने उनके बीच में खड़ा होकर कहा, “हे लोगों, चाहिए था कि तुम मेरी बात मानकर, क्रेते से न जहाज खोलते और न यह विपत्ति आती और न यह हानि उठाते।
प्रेरितों 27:20-21 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
अनेक दिन तक न तो सूर्य ही दिखाई दिया और न ही तारे. हवा का बहाव तेज बना हुआ था इसलिये हमारे जीवित बचे रहने की सारी आशा धीरे धीरे खत्म होती चली गई. एक लंबे समय तक भूखे रहने के बाद पौलॉस ने उनके मध्य खड़े होकर यह कहा, “मित्रो, उत्तम तो यह होता कि आप लोग मेरा विचार स्वीकार करते और क्रेते द्वीप से आगे ही न बढ़ते जिससे इस हानि से बचा जा सकता.