2 शमूएल 11:1-27

2 शमूएल 11:1-27 पवित्र बाइबल (HERV)

बसन्त में, जब राजा युद्ध पर निकलते हैं, दाऊद ने योआब उसके अधिकारियों और सभी इस्राएलियों को अम्मोनियों को नष्ट करने के लिये भेजा। योआब की सेना ने रब्बा (राजधानी) पर भी आक्रमण किया। किन्तु दाऊद यरूशलेम में रुका। शाम को वह अपने बिस्तर से उठा। वह राजमहल की छत पर चारों ओर घूमा। जब दाऊद छत पर था, उसने एक स्त्री को नहाते देखा। स्त्री बहुत सुन्दर थी। इसलिये दाऊद ने अपने सेवकों को बुलाया और उनसे पूछा कि वह स्त्री कौन थी? एक सेवक ने उत्तर दिया, “वह स्त्री एलीआम की पुत्री बतशेबा है। वह हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी है।” दाऊद ने बतशेबा को अपने पास बुलाने के लिये दूत भेजे। जब वह दाऊद के पास आई तो उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। उसने स्नान किया और वह अपने घर चली गई। किन्तु बतशेबा गर्भवती हो गई। उसने दाऊद को सूचना भेजी। उसने उससे कहा, “मैं गर्भवती हूँ।” दाऊद ने योआब को सन्देश भेजा, “हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेजो।” इसलिये योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेजा। ऊरिय्याह दाऊद के पास आया। दाऊद ने ऊरिय्याह से बात की। दाऊद ने ऊरिय्याह से पूछा कि योआब कैसा है, सैनिक कैसे हैं और युद्ध कैसे चल रहा है। तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “घर जाओ और आराम करो।” ऊरिय्याह ने राजा का महल छोड़ा। राजा ने ऊरिय्याह को एक भेंट भी भेजी। किन्तु ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया। ऊरिय्याह राजा के महल के बाहर द्वारा पर सोया। वह उसी प्रकार सोया जैसे राजा के अन्य सेवक सोये। सेवकों ने दाऊद से कहा, “उरिय्याह अपने घर नहीं गया।” तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “तुम लम्बी यात्रा से आए। तुम घर क्यों नहीं गए?” ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “पवित्र सन्दूक तथा इस्राएल और यहूदा के सैनिक डेरों में ठहरे हैं। मेरे स्वामी योआब और मेरे स्वामी (दाऊद) के सेवक बाहर मैदानों में खेमा डाले पड़े हैं। इसलिये यह अच्छा नहीं कि मैं घर जाऊँ, खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ।” दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “आज यहीं ठहरो। कल मैं तुम्हें युद्ध में वापस भेजूँगा।” ऊरिय्याह उस दिन यरूशलेम में ठहरा। वह अगली सुबह तक रुका। तब दाऊद ने उसे आने और खाने के लिये बुलाया। ऊरिय्याह ने दाऊद के साथ पीया और खाया। दाऊद ने ऊरिय्याह को नशे में कर दिया। किन्तु ऊरिय्याह, फिर भी घर नहीं गया। उस शाम को ऊरिय्याह राजा के सेवकों के साथ राजा के द्वार के बाहर सोया। अगले प्रातःकाल, दाऊद ने योआब के लिये एक पत्र लिखा। दाऊद ने ऊरिय्याह को वह पत्र ले जाने को दिया। पत्र में दाऊद ने लिखा: “ऊरिय्याह को अग्रिम पंक्ति में रखो जहाँ युद्ध भयंकर हो। तब उसे अकेले छोड़ दो और उसे युद्ध में मारे जाने दो।” योआब ने नगर के घेरे बन्दी के समय यह देखा कि सबसे अधिक वीर अम्मोनी योद्धा कहाँ है। उसने ऊरिय्याह को उस स्थान पर जाने के लिये चुना। नगर (रब्बा) के आदमी योआब के विरुद्ध लड़ने को आये। दाऊद के कुछ सैनिक मारे गये। हित्ती ऊरिय्याह उन लोगों में से एक था। तब योआब ने दाऊद को युद्ध में जो हुआ, उसकी सूचना भेजी। योआब ने दूत से कहा कि वह राजा दाऊद से कहे कि युद्ध में क्या हुआ। “सम्भव है कि राजा क्रुद्ध हो। संभव है कि राजा पूछे, ‘योआब की सेना नगर के पास लड़ने क्यों गई? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि लोग नगर के प्राचीर से भी बाण चला सकते हैं? क्या तुम नहीं जानते कि यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मारा? वहाँ एक स्त्री नगर—दीवार पर थी जिसने अबीमेलेक के ऊपर चक्की का ऊपरी पाट फेंका। उस स्त्री ने उसे तेबेस में मार डाला। तुम दीवार के निकट क्यों गये?’ यदि राजा दाऊद यह पूछता है तो तुम्हें उत्तर देना चाहिये, ‘आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया।’” दूत गया और उसने दाऊद को वह सब बताया जो उसे योआब ने कहने को कहा था। दूत ने दाऊद से कहा, “अम्मोन के लोग जीत रहे थे बाहर आये तथा उन्होंने खुले मैदान में हम पर आक्रमण किया। किन्तु हम लोग उनसे नगर—द्वार पर लड़े। नगर दीवार के सैनिकों ने आपके सेवकों पर बाण चलाये। आपके कुछ सेवक मारे गए। आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मारा गया।” दाऊद ने दूत से कहा, “तुम्हें योआब से यह कहना है: ‘इस परिणाम से परेशान न हो। हर युद्ध में कुछ लोग मारे जाते हैं यह किसी को नहीं मालूम कि कौन मारा जायेगा। रब्बा नगर पर भीषण आक्रमण करो। तब तुम उस नगर को नष्ट करोगे।’ योआब को इन शब्दों से प्रोत्साहित करो।” बतशेबा ने सुना कि उसका पति ऊरिय्याह मर गया। तब वह अपने पति के लिये रोई। जब उसने शोक का समय पूरा कर लिया, तब दाऊद ने उसे अपने घर में लाने के लिये सेवकों को भेजा। वह दाऊद की पत्नी हो गई, और उसने दाऊद के लिये एक पुत्र उत्पन्न किया। दाऊद ने जो बुरा काम किया यहोवा ने उसे पसन्द नहीं किया।

2 शमूएल 11:1-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

राजा वसन्‍त की वर्षा के बाद युद्ध पर जाया करते थे। अत: दाऊद ने इसी समय योआब और उसके साथ अपने सब कर्मचारियों और समस्‍त इस्राएली सेना को युद्ध पर भेज दिया। उन्‍होंने अम्‍मोन देश को उजाड़ दिया, और रब्‍बाह नगर को घेर लिया। दाऊद यरूशलेम नगर में ही रह गया था। एक दिन दोपहर के बाद दाऊद अपने पलंग से उठा। वह राजमहल की छत पर टहलने लगा। तब उसने छत से एक स्‍त्री को देखा। स्‍त्री नहा रही थी। वह देखने में अत्‍यन्‍त सुन्‍दर थी। दाऊद ने एक सेवक को भेजा, और स्‍त्री के विषय में पूछताछ की। किसी ने बताया, ‘यह एलीआम की पुत्री और हित्ती जाति के ऊरियाह की पत्‍नी बतशेबा है।’ अत: दाऊद ने दूत भेजे, और उसे बुलाया। वह मासिक धर्म के पश्‍चात् नहाने से शुद्ध हुई थी। वह दाऊद के पास आई। दाऊद ने उसके साथ सहवास किया। तब वह अपने घर लौट गई। वह गर्भवती हो गई। उसने दाऊद को सन्‍देश भेजा और उसे यह बताया, ‘मैं गर्भवती हूँ।’ अत: दाऊद ने योआब के पास पड़ाव में यह खबर भेजी, ‘ऊरियाह हित्ती को मेरे पास भेजो।’ योआब ने ऊरियाह को दाऊद के पास भेज दिया। ऊरियाह दाऊद के पास गया। दाऊद ने उससे योआब तथा सेना का कुशल-मंगल और युद्ध का समाचार पूछा। तत्‍पश्‍चात् दाऊद ने ऊरियाह से कहा, ‘अब तुम अपने घर जाओ। हाथ-पैर धोओ।’ ऊरियाह राजमहल से बाहर निकला। उसके पीछे-पीछे राजा की ओर से व्‍यंजन भेजे गए, परन्‍तु ऊरियाह अपने स्‍वामी के सेवकों के साथ राज-महल के द्वार पर ही सो गया। वह अपने घर नहीं गया। सेवकों ने दाऊद को यह बात बताई। उन्‍होंने कहा, ‘ऊरियाह अपने घर नहीं गया।’ तब दाऊद ने ऊरियाह से पूछा, ‘तुम अभी सफर से आए हो। फिर भी तुम अपने घर नहीं गए?’ ऊरियाह ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘महाराज, मंजूषा तथा इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के सैनिक झोपड़ियों में निवास कर रहे हैं। मेरे स्‍वामी योआब और उनके सेवक खुले मैदान में पड़ाव डाले हुए हैं। ऐसी स्‍थिति में मैं अपने घर जाऊं? खाऊं-पीऊं और अपनी पत्‍नी के साथ सोऊं? जीवन्‍त प्रभु की सौगन्‍ध! मैं यह कार्य कदापि नहीं करूँगा।’ दाऊद ने ऊरियाह से कहा, ‘तुम आज भी यहाँ ठहर जाओ। मैं कल तुम्‍हें भेज दूँगा।’ अत: ऊरियाह उस दिन तथा दूसरे दिन भी यरूशलेम नगर में ठहर गया। दाऊद ने उसे भोजन के लिए निमन्‍त्रण दिया। उसने दाऊद के साथ भोजन किया। दाऊद ने उसको शराब पिलाई। वह सन्‍ध्‍या को राजमहल से बाहर निकला, और अपने स्‍वामी के सेवकों के पास खाट पर सो गया। वह अपने घर नहीं गया। दाऊद ने सबेरे योआब को एक पत्र लिखा और उसको ऊरियाह के हाथ से भेजा। दाऊद ने पत्र में यह लिखा था : ‘जहाँ घमासान युद्ध हो रहा है, वहाँ सेना की अगली पंिक्‍त में ऊरियाह को भेज देना। तत्‍पश्‍चात् तुम्‍हारे सैनिक उसके पास से पीछे हट जाएँ, जिससे शत्रु उस पर प्रहार करें और वह मर जाए।’ योआब उस समय रब्‍बाह नगर को घेरे हुए था। वह जानता था कि किस स्‍थान पर शत्रु के बलवान सैनिक हैं। अत: उसने ऊरियाह को वहाँ भेज दिया। तब उस नगर के सैनिक बाहर निकले, और योआब से युद्ध करने लगे। अनेक सैनिक धराशायी हो गए। उनमें दाऊद के कुछ सैनिक थे। ऊरियाह हित्ती भी मारा गया। योआब ने दाऊद को सन्‍देश भेजा, और उसे युद्ध के सब समाचार बताए। योआब ने दूत को यह आदेश दिया था, ‘जब तुम महाराज को युद्ध का समाचार सुना दोगे तब यह सम्‍भव है कि तुम्‍हारी बातें सुनकर महाराज का क्रोध भड़क उठे। कदाचित् वह तुमसे यह कहें : “तुम युद्ध करने के लिए नगर के इतने समीप क्‍यों गए थे? क्‍या तुम यह बात नहीं जानते कि वे परकोटा से वार करते हैं? यरूब-बअल के पुत्र अबीमेलक का वध किसने किया था? एक स्‍त्री ने! उसने तेबेस नगर के परकोटा से चक्‍की का उपरला पाट अबीमेलक पर फेंका था, और वह वहीं मर गया था। तुम परकोटा के इतने समीप क्‍यों गए थे?” तब तुम यह कहना, “महाराज आपका सेवक ऊरियाह हित्ती भी मर गया।” ’ अत: दूत चला गया। वह दाऊद के पास आया। जो समाचार योआब ने उसके हाथ भेजा था, वह उसने दाऊद को दिया। दाऊद योआब से क्रुद्ध हुआ। उसने दूत से कहा, ‘तुम युद्ध के लिए नगर के इतने समीप क्‍यों गए थे? क्‍या तुम यह बात नहीं जानते थे कि वे परकोटा से वार करते हैं? यरुब-बअल के पुत्र अबीमेलक का वध किसने किया था? एक स्‍त्री ने! उसने तेबेस नगर के परकोटा से चक्‍की का उपरला पाट अबीमेलक पर फेंका था, और वह वहीं मर गया था। तुम परकोटा के इतने समीप क्‍यों गए थे?’ दूत ने दाऊद से कहा, ‘महाराज, शत्रु सेना के सैनिक हम पर प्रबल हो गए। वे नगर से निकल कर मैदान में हमारे समीप आ गए। परन्‍तु हमने उन्‍हें नगर के प्रवेश-द्वार तक धकेल दिया। तब उनके धनुष-धारियों ने परकोटा से आपके सैनिकों पर तीर चलाए। महाराज के कुछ सैनिक मारे गए। आपका सेवक ऊरियाह हित्ती भी मारा गया।’ दाऊद ने दूत से कहा, ‘तुम योआब से यह कहना, “तुम इस बात के कारण चिन्‍तित मत हो, क्‍योंकि तलवार कभी एक का वध करती है, कभी दूसरे का। नई शक्‍ति से नगर पर हमला करो, और उसको खंडहर बना दो।” इस प्रकार सेनापति का उत्‍साह बढ़ाना।’ जब ऊरियाह की पत्‍नी बतशेबा ने यह सुना कि उसका पति मर गया, तब वह अपने पति के लिए शोक मनाने लगी। शोक-दिवस समाप्‍त होने पर, दाऊद ने उसके पास दूत भेजे, और उसे अपने महल में रख लिया। वह उसकी स्‍त्री बन गई। उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। प्रभु को अपनी दृष्‍टि में दाऊद का यह कार्य बुरा लगा।

2 शमूएल 11:1-27 Hindi Holy Bible (HHBD)

फिर जिस समय राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, उस समय, अर्थात वर्ष के आरम्भ में दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपने सेवकों और समस्त इस्राएलियों को भेजा; और उन्होंने अम्मोनियों को नाश किया, और रब्बा नगर को घेर लिया। परन्तु दाऊद सरूशलेम में रह गया। सांझ के समय दाऊद पलंग पर से उठ कर राजभवन की छत पर टहल रहा था, और छत पर से उसको एक स्त्री, जो अति सुन्दर थी, नहाती हुई देख पड़ी। जब दाऊद ने भेज कर उस स्त्री को पुछवाया, तब किसी ने कहा, क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है? तब दाऊद ने दूत भेज कर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साथ सोया। ( वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई थी ) तब वह अपने घर लौट गई। और वह स्त्री गर्भवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा, कि मुझे गर्भ है। तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, कि हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेज, तब योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेज दिया। जब ऊरिय्याह उसके पास आया, तब दाऊद ने उस से योआब और सेना का कुशल क्षेम और युद्ध का हाल पूछा। तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, अपने घर जा कर अपने पांव धो। और ऊरिय्याह राजभवन से निकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया। परन्तु ऊरिय्याह अपने स्वामी के सब सेवकों के संग राजभवन के द्वार में लेट गया, और अपने घर न गया। जब दाऊद को यह समाचार मिला, कि ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया, तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, क्या तू यात्रा करके नहीं आया? तो अपने घर क्यों नहीं गया? ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोंपडिय़ों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जा कर खाऊं, पीऊं, और अपनी पत्नी के साथ सोऊं? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का। दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, आज यहीं रह, और कल मैं तुझे विदा करूंगा। इसलिये ऊरिय्याह उस दिन और दूसरे दिन भी यरूशलेम में रहा। तब दाऊद ने उसे नेवता दिया, और उसने उसके साम्हने खाया पिया, और उसी ने उसे मतवाला किया; और सांझ को वह अपने स्वामी के सेवकों के संग अपनी चारपाई पर सोने को निकला, परन्तु अपने घर न गया। बिहान को दाऊद ने योआब के नाम पर एक चिट्ठी लिखकर ऊरिय्याह के हाथ से भेजदी। उस चिट्ठी में यह लिखा था, कि सब से घोर युद्ध के साम्हने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोडकर लौट आओ, कि वह घायल हो कर मर जाए। और योआब ने नगर को अच्छी रीति से देख भालकर जिस स्थान में वह जानता था कि वीर हैं, उसी में ऊरिय्याह को ठहरा दिया। तब नगर के पुरुषों ने निकलकर योआब से युद्ध किया, और लोगों में से, अर्थात दाऊद के सेवकों में से कितने खेत आए; और उन में हित्ती ऊरिय्यह भी मर गया। तब योआब ने भेज कर दाऊद को युद्ध का पूरा हाल बताया; और दूत को आज्ञा दी, कि जब तू युद्ध का पूरा हाल राजा को बता चुके, तब यदि राजा जलकर कहने लगे, कि तुम लोग लड़ने को नगर के ऐसे निकट क्यों गए? क्या तुम न जानते थे कि वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ेंगे? यरुब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मार डाला? क्या एक स्त्री ने शहरपनाह पर से चक्की का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला कि वह तेबेस में मर गया? फिर तुम शहरपनाह के एसे निकट क्यों गए? तो तू यों कहना, कि तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया। तब दूत चल दिया, और जा कर दाऊद से योआब की सब बातें वर्णन कीं। दूत ने दाऊद से कहा, कि वे लोग हम पर प्रबल हो कर मैदान में हमारे पास निकल आए, फिर हम ने उन्हें फाटक तक खदेड़ा। तब धनुर्धारियों ने शहरपनाह पर से तेरे जनों पर तीर छोड़े; और राजा के कितने जन मर गए, और तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया। दाऊद ने दूत से कहा, योआब से यों कहना, कि इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इस को वैसे उसको नाश करती है; तो तू नगर के विरुद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे। और तू उसे हियाव बन्धा। जब ऊरिय्याह की स्त्री ने सुना कि मेरा पति मर गया, तब वह अपने पति के लिये रोने पीटने लगी। और जब उसके विलाप के दिन बीत चुके, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ।

2 शमूएल 11:1-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

फिर जिस समय राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, उस समय, अर्थात् वर्ष के आरम्भ में दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपने सेवकों और समस्त इस्राएलियों को भेजा; और उन्होंने अम्मोनियों का नाश किया, और रब्बा नगर को घेर लिया। परन्तु दाऊद यरूशलेम में रह गया। साँझ के समय दाऊद पलंग पर से उठकर राजभवन की छत पर टहल रहा था, और छत पर से उसको एक स्त्री, जो अति सुन्दर थी, नहाती हुई देख पड़ी। जब दाऊद ने भेजकर उस स्त्री को पुछवाया, तब किसी ने कहा, “क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है?” तब दाऊद ने दूत भेजकर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साथ सोया। (वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई थी)। तब वह अपने घर लौट गई। और वह स्त्री गर्भवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा कि मुझे गर्भ है। तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, “हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेज।” तब योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेज दिया। जब ऊरिय्याह उसके पास आया, तब दाऊद ने उससे योआब और सेना का कुशल क्षेम और युद्ध का हाल पूछा। तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “अपने घर जाकर अपने पाँव धो।” और ऊरिय्याह राजभवन से निकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया। परन्तु ऊरिय्याह अपने स्वामी के सबसेवकों के संग राजभवन के द्वार में लेट गया, और अपने घर न गया। जब दाऊद को यह समाचार मिला, “ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया,” तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “क्या तू यात्रा करके नहीं आया? तो अपने घर क्यों नहीं गया?” ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोपड़ियों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।” दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “आज यहीं रह, और कल मैं तुझे विदा करूँगा।” इसलिये ऊरिय्याह उस दिन और दूसरे दिन भी यरूशलेम में रहा। तब दाऊद ने उसे नेवता दिया, और उसने उसके सामने खाया पिया, और उसी ने उसे मतवाला किया; और साँझ को वह अपने स्वामी के सेवकों के संग अपनी चारपाई पर सोने को निकला, परन्तु अपने घर न गया। सबेरे दाऊद ने योआब के नाम पर एक चिट्ठी लिखकर ऊरिय्याह के हाथ से भेज दी। उस चिट्ठी में यह लिखा था, “सबसे घोर युद्ध के सामने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोड़कर लौट आओ, कि वह घायल होकर मर जाए।” अत: योआब ने नगर को अच्छी रीति से देख भालकर जिस स्थान में वह जानता था कि वीर हैं, उसी में ऊरिय्याह को ठहरा दिया। तब नगर के पुरुषों ने निकलकर योआब से युद्ध किया, और लोगों में से, अर्थात् दाऊद के सेवकों में से कितने खेत आए; और उनमें हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया। तब योआब ने दाऊद को युद्ध का पूरा हाल बताया; और दूत को आज्ञा दी, “जब तू युद्ध का पूरा हाल राजा को बता चुके, तब यदि राजा जलकर कहने लगे, ‘तुम लोग लड़ने को नगर के ऐसे निकट क्यों गए? क्या तुम न जानते थे कि वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ेंगे? यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मार डाला? क्या एक स्त्री ने शहरपनाह पर से चक्‍की का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला कि वह तेबेस में मर गया? फिर तुम शहरपनाह के ऐसे निकट क्यों गए?’ तो तू यों, कहना, ‘तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।’ ” तब दूत चल दिया, और जाकर दाऊद से योआब की सब बातों का वर्णन किया। दूत ने दाऊद से कहा, “वे लोग हम पर प्रबल होकर मैदान में हमारे पास निकल आए, फिर हम ने उन्हें फाटक तक खदेड़ा। तब धनुर्धारियों ने शहरपनाह पर से तेरे जनों पर तीर छोड़े; और राजा के कितने जन मर गए, और तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।” दाऊद ने दूत से कहा, “योआब से यों कहना, ‘इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इसको वैसे उसको भी नष्‍ट करती है; तू नगर के विरुद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे।’ और तू उसे हियाव बन्धा।” जब ऊरिय्याह की स्त्री ने सुना कि मेरा पति मर गया, तब वह अपने पति के लिये रोने पीटने लगी। और जब उसके विलाप के दिन बीत गए, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ।

2 शमूएल 11:1-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

फिर जिस समय राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, उस समय, अर्थात् वर्ष के आरम्भ में दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपने सेवकों और समस्त इस्राएलियों को भेजा; और उन्होंने अम्मोनियों का नाश किया, और रब्बाह नगर को घेर लिया। परन्तु दाऊद यरूशलेम में रह गया। साँझ के समय दाऊद पलंग पर से उठकर राजभवन की छत पर टहल रहा था, और छत पर से उसको एक स्त्री, जो अति सुन्दर थी, नहाती हुई देख पड़ी। जब दाऊद ने भेजकर उस स्त्री को पुछवाया, तब किसी ने कहा, “क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है?” तब दाऊद ने दूत भेजकर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साथ सोया। (वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई थी) तब वह अपने घर लौट गई। और वह स्त्री गर्भवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा, कि मुझे गर्भ है। तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, “हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेज।” तब योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेज दिया। जब ऊरिय्याह उसके पास आया, तब दाऊद ने उससे योआब और सेना का कुशल क्षेम और युद्ध का हाल पूछा। तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “अपने घर जाकर अपने पाँव धो।” और ऊरिय्याह राजभवन से निकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया। परन्तु ऊरिय्याह अपने स्वामी के सब सेवकों के संग राजभवन के द्वार में लेट गया, और अपने घर न गया। जब दाऊद को यह समाचार मिला, “ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया,” तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “क्या तू यात्रा करके नहीं आया? तो अपने घर क्यों नहीं गया?” ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोपड़ियों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।” दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, “आज यहीं रह, और कल मैं तुझे विदा करूँगा।” इसलिए ऊरिय्याह उस दिन और दूसरे दिन भी यरूशलेम में रहा। तब दाऊद ने उसे नेवता दिया, और उसने उसके सामने खाया पिया, और उसी ने उसे मतवाला किया; और साँझ को वह अपने स्वामी के सेवकों के संग अपनी चारपाई पर सोने को निकला, परन्तु अपने घर न गया। सवेरे दाऊद ने योआब के नाम पर एक चिट्ठी लिखकर ऊरिय्याह के हाथ से भेज दी। उस चिट्ठी में यह लिखा था, “सबसे घोर युद्ध के सामने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोड़कर लौट आओ, कि वह घायल होकर मर जाए।” अतः योआब ने नगर को अच्छी रीति से देख-भाल कर जिस स्थान में वह जानता था कि वीर हैं, उसी में ऊरिय्याह को ठहरा दिया। तब नगर के पुरुषों ने निकलकर योआब से युद्ध किया, और लोगों में से, अर्थात् दाऊद के सेवकों में से कितने मारे गए; और उनमें हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया। तब योआब ने दूत को भेजकर दाऊद को युद्ध का पूरा हाल बताया; और दूत को आज्ञा दी, “जब तू युद्ध का पूरा हाल राजा को बता दे, तब यदि राजा क्रोध में कहने लगे, ‘तुम लोग लड़ने को नगर के ऐसे निकट क्यों गए? क्या तुम न जानते थे कि वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ेंगे? यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मार डाला? क्या एक स्त्री ने शहरपनाह पर से चक्की का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला कि वह तेबेस में मर गया? फिर तुम शहरपनाह के ऐसे निकट क्यों गए?’ तो तू यह कहना, ‘तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।’” तब दूत चल दिया, और जाकर दाऊद से योआब की सब बातों का वर्णन किया। दूत ने दाऊद से कहा, “वे लोग हम पर प्रबल होकर मैदान में हमारे पास निकल आए, फिर हमने उन्हें फाटक तक खदेड़ा। तब धनुर्धारियों ने शहरपनाह पर से तेरे जनों पर तीर छोड़े; और राजा के कितने जन मर गए, और तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।” दाऊद ने दूत से कहा, “योआब से यह कहना, ‘इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इसको वैसे उसको नष्ट करती है; तू नगर के विरुद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे।’ और तू उसे हियाव बंधा।” जब ऊरिय्याह की स्त्री ने सुना कि मेरा पति मर गया, तब वह अपने पति के लिये रोने पीटने लगी। और जब उसके विलाप के दिन बीत चुके, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ।

2 शमूएल 11:1-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब वसन्त काल में राजा लोग युद्ध करने निकलते थे, दावीद ने योआब, उनके अधीनस्थ अधिकारियों और सारे इस्राएली सेना को युद्ध के लिए भेज दिया. उन्होंने अम्मोनियों का नाश कर दिया और रब्बाह पर अधिकार कर लिया. मगर दावीद येरूशलेम में ही रह गए थे. एक दिन, शाम के समय में, जब दावीद अपने बिछौने से उठकर राजमहल की छत पर टहल रहे थे, वहां से उन्हें स्‍नान करती हुई एक स्त्री दिखाई दी. वह स्त्री बहुत ही सुंदर थी. दावीद ने किसी को भेजकर यह मालूम करवाया कि वह स्त्री कौन थी. उन्हें सूचित किया गया, “वह एलियाम, की पुत्री बैथशेबा है; हित्ती उरियाह की पत्नी.” दावीद ने दूतों को भेजकर उसे बुलवा लिया. (इस समय वह अपने स्त्री-धर्म से शुद्ध हो चुकी थी.) वह दावीद के पास आ गई, और दावीद ने उसके साथ संबंध बनाया. इसके बाद वह अपने घर लौट गई. वह गर्भवती हो गई. उसने दावीद को यह संदेश भेजा, “मैं गर्भवती हो गई हूं.” यह मालूम होने पर दावीद ने योआब को यह संदेश भेजा, “हित्ती उरियाह को यहां भेज दो.” योआब ने उरियाह को दावीद के पास भेज दिया. जब उरियाह दावीद के सामने उपस्थित हुआ. दावीद ने उससे योआब का हाल-चाल मालूम किया, सैनिकों और युद्ध की स्थिति भी मालूम की. उसके बाद दावीद ने उरियाह को आदेश दिया, “अब तुम अपने घर चले जाओ.” राजा की ओर से उसके पीछे-पीछे उसके लिए उपहार भी भेजा गया. मगर उरियाह राजमहल के द्वार के निकट ही उसके स्वामी के सभी सेवकों के सोने के स्थान पर सो गया, और वह अपने घर नहीं गया. जब दावीद को यह बताया गया, “उरियाह तो अपने घर गया ही नहीं.” दावीद ने उरियाह से पूछा, “तुम यात्रा से लौटे हो, तो तुम अपने घर क्यों नहीं गए?” उरियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “संदूक, इस्राएल और यहूदिया की सेना मैदान में तंबू में ठहरे हुए हैं, और योआब मेरे स्वामी और मेरे स्वामी के सैनिक मैदान में शिविर डाले हुए हैं, तब क्या यह मेरे लिए सही है कि मैं अपने घर जाऊं, और खा-पीकर अपनी पत्नी के साथ सो जाऊं? आपकी और आपके प्राणों की शपथ, मुझसे वह सब हो ही नहीं सकता!” यह सुन दावीद ने उससे कहा, “आज भी यहां ठहरो, मैं तुम्हें कल विदा कर दूंगा.” तब उरियाह येरूशलेम में एक दिन और ठहर गया. तब दावीद ने उसे आमंत्रित किया. उसने दावीद के साथ भोजन किया और दावीद उसे मदोन्मत होने तक दाखमधु पिलाई. संध्याकाल में उरियाह वहां से निकलकर अपने स्वामी के सेवकों के लिए निर्धारित स्थान पर अपने बिछौने पर जाकर सो गया, मगर अपने घर नहीं गया. प्रातः दावीद ने योआब को एक पत्र लिखा और उसे उरियाह के ही हाथ से भेज दिया. दावीद ने पत्र में लिखा था, “उरियाह को ऐसे मोर्चे पर भेज दो, जहां युद्ध सबसे तेज हो और फिर उसे वहां अकेला छोड़ पीछे हट जाना, कि उस पर शत्रुओं का वार हो और वहीं उसकी मृत्यु हो जाए.” जब योआब नगर पर घेरा डाल रहे थे, उन्हें मालूम था कि किस स्थान पर शत्रु के सबसे अधिक बलवान सैनिक युद्ध कर रहे थे, तब उन्होंने उरियाह को उसी स्थान पर युद्ध करने के लिए आदेश दिया. नगर के शूर योद्धा योआब से युद्ध करने निकल आए. दावीद के कुछ सैनिक इस हमले से घात किए गए, हित्ती उरियाह भी इसमें मारा गया. योआब ने दावीद को युद्ध का विस्तृत समाचार भेज दिया. योआब ने दूत को ये विशेष निर्देश दिए, “जब तुम राजा को युद्ध का विस्तृत लेखा दे चुको, तब यदि राजा गुस्सा होते दिखे और यदि वह तुमसे पूछे, ‘तुम लोग युद्ध करते हुए नगर के इतने निकट क्यों जा पहुंचे थे? क्या तुम्हें इतनी भी बुद्धि न थी कि वे लोग तुम पर शहरपनाह से बाण चलाएंगे? येरूब-बाशेथ का पुत्र अबीमेलेक किसके वार से मारा गया था? क्या, एक स्त्री ने ही उस पर शहरपनाह से चक्की का ऊपरी पाट नहीं फेंका था और वह तेबेज़ में इसी प्रकार मारा नहीं गया था? तुम लोग शहरपनाह के इतने निकट गए ही क्यों?’ तब तुम्हें उत्तर देना होगा, ‘महाराज, इसी में आपके सेवक हित्ती उरियाह की भी मृत्यु हो गई है.’ ” तब दूत चला गया. उसने आकर दावीद को वह सब सुना दिया, जिसे सुनाने का आदेश उसे योआब ने दिया था. दूत ने दावीद से कहा, “शत्रु सैनिक हम पर प्रबल हो गए थे. वे हम पर हमला करने मैदान तक आ गए, मगर हमने उन्हें नगर प्रवेश तक धकेल दिया. इसके बाद धनुर्धारियों ने शहरपनाह से हमारी सेना पर बाणों की बौछार कर दी. राजा के कुछ सैनिक इसमें मारे गए. उन्हीं में आपका सेवक हित्ती उरियाह भी था.” दावीद ने दूत को यह आदेश दिया, “तुम्हें जाकर योआब से यह कहना होगा: ‘तुम इस बात से उदास न होना, क्योंकि तलवार तो किसी को आज मारती है तो किसी को कल. इस नगर पर अपना हमला और अधिक प्रबल कर दो कि, नगर नष्ट कर दिया जाए,’ तुम यह कहकर योआब को प्रोत्साहित कर देना.” जब उरियाह की पत्नी को यह मालूम हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो गई है, वह अपने पति के लिए रोने लगी. जब विलाप के लिए निर्धारित अवधि पूरी हो गई, दावीद ने उसे अपने पास बुलवा लिया कि वह उसकी पत्नी बन जाए. मगर दावीद के इस काम ने याहवेह को अप्रसन्‍न कर दिया.

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