2 कुरिन्थियों 7:6-7
2 कुरिन्थियों 7:6-7 पवित्र बाइबल (HERV)
किन्तु दीन दुखियों को सुखी करने वाले परमेश्वर ने तितुस को यहाँ पहुँचा कर हमें सान्त्वना दी है। और वह भी केवल उसके, यहाँ पहुँचने से नहीं बल्कि इससे हमें और अधिक सान्त्वना मिली कि तुमने उसे कितना सुख दिया था। उसने हमें बताया कि हमसे मिलने को तुम कितने व्याकुल हो। तुम्हें हमारी कितनी चिंता है। इससे हम और भी प्रसन्न हुए।
2 कुरिन्थियों 7:6-7 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
किन्तु दीन-हीन लोगों को सान्त्वना देने वाले परमेश्वर ने हम को तीतुस के आगमन द्वारा सान्त्वना दी। और उनके आगमन द्वारा ही नहीं, बल्कि उस सान्त्वना द्वारा भी, जो उन्हें आप लोगों की ओर से मिली थी। मुझ से मिलने की आपकी उत्सुकता, आपका पश्चात्ताप और मेरे प्रति आपकी चिन्ता—इसके विषय में उन्होंने हम को बताया और इससे मेरा आनन्द और भी बढ़ गया।
2 कुरिन्थियों 7:6-7 Hindi Holy Bible (HHBD)
तौभी दीनों को शान्ति देने वाले परमेश्वर ने तितुस के आने से हम को शान्ति दी। और न केवल उसके आने से परन्तु उस की उस शान्ति से भी, जो उस को तुम्हारी ओर से मिली थी; और उस ने तुम्हारी लालसा, और तुम्हारे दुख ओर मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिस से मुझे और भी आनन्द हुआ।
2 कुरिन्थियों 7:6-7 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
तौभी दीनों को शान्ति देनेवाले परमेश्वर ने तीतुस के आने से हम को शान्ति दी; और न केवल उसके आने से परन्तु उसकी उस शान्ति से भी, जो उसको तुम्हारी ओर से मिली थी। उसने तुम्हारी लालसा, तुम्हारे दु:ख, और मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिससे मुझे और भी आनन्द हुआ।
2 कुरिन्थियों 7:6-7 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
तो भी दीनों को शान्ति देनेवाले परमेश्वर ने तीतुस के आने से हमको शान्ति दी। और न केवल उसके आने से परन्तु उसकी उस शान्ति से भी, जो उसको तुम्हारी ओर से मिली थी; और उसने तुम्हारी लालसा, और तुम्हारे दुःख और मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिससे मुझे और भी आनन्द हुआ।
2 कुरिन्थियों 7:6-7 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मगर परमेश्वर ने, जो हताशों को धीरज देते हैं, तीतॉस को यहां उपस्थित कर हमें धीरज दिया. न केवल उसकी उपस्थिति के द्वारा ही परंतु उस प्रोत्साहन के द्वारा भी, जो तीतॉस को तुमसे प्राप्त हुआ. उसने मुझे मेरे प्रति तुम्हारी लालसा, वेदना तथा उत्साह के विषय में बताया. इससे मेरा आनंद और अधिक बढ़ गया.