2 कुरिन्थियों 1:4-20

2 कुरिन्थियों 1:4-20 पवित्र बाइबल (HERV)

हमारी हर विपत्ति में वह हमें शांति देता है ताकि हम भी हर प्रकार की विपत्ति में पड़े लोगों को वैसे ही शांति दे सकें, जैसे परमेश्वर ने हमें दी है। क्योंकि जैसे मसीह की यातनाओं में हम सहभागी हैं, वैसे ही मसीह के द्वारा हमारा आनन्द भी तुम्हारे लिये उमड़ रहा है। यदि हम कष्ट उठाते हैं तो वह तुम्हारे आनन्द और उद्धार के लिए है। यदि हम आनन्दित हैं तो वह तुम्हारे आनन्द के लिये है। यह आनन्द उन्हीं यातनाओं को जिन्हें हम भी सह रहे हैं तुम्हें धीरज के साथ सहने को प्रेरित करता है। तुम्हारे बिषय में हमें पूरी आशा है क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे हमारे कष्टों को तुम बाँटते हो, वैसे ही हमारे आनन्द में भी तुम्हारा भाग है। हे भाइयो, हम यह चाहते हैं कि तुम उन यातनाओं के बारे में जानो जो हमें एशिया में झेलनी पड़ी थीं। वहाँ हम, हमारी सहनशक्ति की सीमा से कहीं अधिक बोझ के तले दब गये थे। यहाँ तक कि हमें जीने तक की कोई आशा नहीं रह गयी थी। हाँ अपने-अपने मन में हमें ऐसा लगता था जैसे हमें मृत्युदण्ड दिया जा चुका है ताकि हम अपने आप पर और अधिक भरोसा न रख कर उस परमेश्वर पर भरोसा करें जो मरे हुए को भी फिर से जिला देता है। हमें उस भयानक मृत्यु से उसी ने बचाया और हमारी वर्तमान परिस्थितियों में भी वही हमें बचाता रहेगा। हमारी आशा उसी पर टिकी है। वही हमें आगे भी बचाएगा। यदि तुम भी हमारी ओर से प्रार्थना करके सहयोग दोगे तो हमें बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं द्वारा परमेश्वर का जो अनुग्रह मिला है, उसके लिये बहुत से लोगों को हमारी ओर से धन्यवाद देने का कारण मिल जायेगा। हमें इसका गर्व है कि हम यह बात साफ मन से कह सकते हैं कि हमने इस जगत के साथ और खासकर तुम लोगों के साथ परमेश्वर के अनुग्रह के अनुरूप व्यवहार किया है। हमने उस सरलता और सच्चाई के साथ व्यवहार किया है जो परमेश्वर से मिलती है न कि दुनियावी बुद्धि से। हाँ! इसीलिये हम उसे छोड़ तुम्हें बस और कुछ नहीं लिख रहे हैं, जिससे तुम हमें पूरी तरह वैसे ही समझ लोगे। जैसे तुमने हमें आंशिक रुप से समझा है। तुम हमारे लिये वैसे ही गर्व कर सकते हो जैसे हम तुम्हारे लिये उस दिन गर्व करेंगे जब हमारा प्रभु यीशु फिर आयेगा। और इसी विश्वास के कारण मैंने पहले तुम्हारे पास आने की ठानी थी ताकि तुम्हें दोबारा से आशीर्वाद का लाभ मिल सके। मैं सोचता हूँ कि मकिदुनिया जाते हुए तुमसे मिलूँ और जब मकिदुनिया से लौटूँ तो फिर तुम्हारे पास जाऊँ। और फिर, तुम्हारे द्वारा ही यहूदिया के लिये विदा किया जाऊँ। मैंने जब ये योजनाएँ बनायी थीं, तो मुझे कोई संशय नहीं था। या मैं जो योजनाएँ बनाता हूँ तो क्या उन्हें सांसारिक ढंग से बनाता हूँ कि एक ही समय “हाँ, हाँ” भी कहता रहूँ और “ना, ना” भी करता रहूँ। परमेश्वर विश्वसनीय है और वह इसकी साक्षी देगा कि तुम्हारे प्रति हमारा जो वचन है एक साथ “हाँ” और “ना” नहीं कहता। क्योंकि तुम्हारे बीच जिस परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह का हमने, यानी सिलवानुस, तिमुथियुस और मैंने प्रचार किया है, वह “हाँ” और “ना” दोनों एक साथ नहीं है बल्कि उसके द्वारा एक चिरन्तन “हाँ” की ही घोषणा की गयी है। क्योंकि परमेश्वर ने जो अनन्त प्रतिज्ञाएँ की हैं, वे यीशु में सब के लिए “हाँ” बन जाती हैं। इसलिए हम उसके द्वारा भी जो “आमीन” कहते हैं, वह परमेश्वर की ही महिमा के लिये होता है।

2 कुरिन्थियों 1:4-20 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

वह सब कष्‍टों में हमें सान्‍त्‍वना देता रहता है, जिससे परमेश्‍वर की ओर से हमें जो सान्‍त्‍वना मिलती है, उसी के द्वारा हम दूसरों को भी, उनके हर प्रकार के कष्‍ट में सान्‍त्‍वना देने के लिए, समर्थ हो जायें; क्‍योंकि जिस प्रकार हम प्रचुर मात्रा में मसीह के दु:खभोग के सहभागी हैं, उसी प्रकार मसीह द्वारा हम को प्रचुर मात्रा में सान्‍त्‍वना भी मिलती है। यदि हमें क्‍लेश है, तो आप लोगों की सान्‍त्‍वना और मुक्‍ति के लिए, और यदि हमें सान्‍त्‍वना मिलती है, तो इसलिए कि हम आप लोगों को सान्‍त्‍वना दे सकें, जिससे आप धैर्य के साथ वह दु:ख सहने में समर्थ हों, जो हम भी भोगते हैं। आप लोगों के विषय में हमारी आशा सुदृढ़ है; क्‍योंकि हम जानते हैं कि जिस प्रकार आप हमारे दु:ख में सहभागी हैं, उसी प्रकार आप हमारी सान्‍त्‍वना में भी सहभागी होंगे। भाइयो और बहिनो! हम आप लोगों से यह नहीं छिपाना चाहते कि आसिया में जो कष्‍ट हमें सहना पड़ा, वह बहुत ही भारी और हमारी सहनशक्‍ति के परे था-यहां तक कि हमने जीवित रहने की आशा भी छोड़ दी थी और हम यह समझ रहे थे कि हमें प्राणदण्‍ड मिल चुका है। यह इसलिए हुआ कि हम अपने पर नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा रखें, जो मृतकों को पुनर्जीवित करता है। उसने हमें उस महान् मरण-संकट से बचाया और वह ऐसा ही करता रहेगा। उसी पर हमारी यह आशा आधारित है कि वह भविष्‍य में भी हमें बचायेगा। आप लोग भी प्रार्थना द्वारा हमारी सहायता करें। इस प्रकार बहुत-सी प्रार्थनाओं के कारण हमें आशिष मिलेगी और उसके लिए बहुत-से लोग हमारी ओर से परमेश्‍वर को धन्‍यवाद भी देंगे। हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्‍त:करण हमें विश्‍वास दिलाता है कि हमने मनुष्‍यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्‍यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्‍कि उस सच्‍चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्‍वर की कृपा का वरदान है। हम आपके नाम जो पत्र लिखते हैं, उन में ऐसी कोई बात नहीं है, जिसे पढ़ कर आप नहीं समझ सकते। मुझे आशा है कि आप जो बात अब आंशिक रूप में समझते हैं, उसे बाद में पूर्ण रूप में समझेंगे और वह बात यह है कि जिस तरह आप हमारे प्रभु येशु के आगमन के दिन हम पर गर्व करेंगे, उसी तरह हम भी आप लोगों पर गर्व करेंगे। मुझे इसका पूरा भरोसा है; इसलिए मैंने, आप लोगों को दो बार आध्‍यात्‍मिक लाभ का अवसर देने के विचार से, पहले आपके पास आने का निश्‍चय किया था। मैं आप के यहां हो कर मकिदुनिया जाना और वहां से आप के पास लौटना चाहता था, जिससे आप मेरी यहूदा प्रदेश की यात्रा का प्रबन्‍ध करें। मेरा निश्‍चय यही था। तो, क्‍या मैंने अकारण ही अपना विचार बदल लिया? क्‍या मैं सांसारिक मनुष्‍य की तरह निश्‍चय करता हूँ? क्‍या मुझ में कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात है? परमेश्‍वर की सच्‍चाई की शपथ! मैंने आप लोगों को जो सन्‍देश दिया, उसमें कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं है; क्‍योंकि सिल्‍वानुस, तिमोथी और मैंने आपके बीच जिनका प्रचार किया, उन परमेश्‍वर-पुत्र येशु मसीह में कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं-उन में मात्र ‘हां’ है। उन्‍हीं में परमेश्‍वर की समस्‍त प्रतिज्ञाओं की ‘हां’ विद्यमान है; इसलिए हम परमेश्‍वर की महिमा के लिए उन्‍हीं के द्वारा ‘आमेन’ कहते हैं।

2 कुरिन्थियों 1:4-20 Hindi Holy Bible (HHBD)

वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्ति के भी सहभागी हो। हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें॥ क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्ड करते हैं, कि जगत में और विशेष करके तुम्हारे बीच हमारा चरित्र परमेश्वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के साथ था। हम तुम्हें और कुछ नहीं लिखते, केवल वह जो तुम पढ़ते या मानते भी हो, और मुझे आशा है, कि अन्त तक भी मानते रहोगे। जैसा तुम में से कितनों ने मान लिया है, कि हम तुम्हारे घमण्ड का कारण है; वैसे तुम भी प्रभु यीशु के दिन हमारे लिये घमण्ड का कारण ठहरोगे॥ और इस भरोसे से मैं चाहता था कि पहिले तुम्हारे पास आऊं; कि तुम्हें एक और दान मिले। और तुम्हारे पास से होकर मकिदुनिया को जाऊं और फिर मकिदूनिया से तुम्हारे पास आऊँ, और तुम मुझे यहूदिया की ओर कुछ दूर तक पहुंचाओ। इसलिये मैं ने जो यह इच्छा की थी तो क्या मैं ने चंचलता दिखाई? या जो करना चाहता हूं क्या शरीर के अनुसार करना चाहता हूं, कि मैं बात में हां, हां भी करूं; और नहीं, नहीं भी करूं? परमेश्वर सच्चा गवाह है, कि हमारे उस वचन में जो तुम से कहा हां और नहीं दानों पाई नहीं जातीं। क्योंकि परमेश्वर का पुत्र यीशु मसीह जिसका हमारे द्वारा अर्थात मेरे और सिलवानुस और तीमुथियुस के द्वारा तुम्हारे बीच में प्रचार हुआ; उस में हां और नहीं दोनों न थीं; परन्तु, उस में हां ही हां हुई। क्याकि परमेश्वर की जितनी प्रतिज्ञाएं हैं, वे सब उसी में हां के साथ हैं: इसलिये उसके द्वारा आमीन भी हुई, कि हमारे द्वारा परमेश्वर की महिमा हो।

2 कुरिन्थियों 1:4-20 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्‍वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। क्योंकि जैसे मसीह के दु:खों में हम अधिक सहभागी होते हैं, वैसे ही हम शान्ति में भी मसीह के द्वारा अधिक सहभागी होते हैं। यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है; और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिसके प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं कि तुम जैसे हमारे दु:खों में, वैसे ही शान्ति में भी सहभागी हो। हे भाइयो, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो जो आसिया में हम पर पड़ा; हम ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ्य से बाहर था, यहाँ तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। वरन् हम ने अपने मन में समझ लिया था कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है, ताकि हम अपना भरोसा न रखें वरन् परमेश्‍वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। उसी ने हमें मृत्यु के ऐसे बड़े संकट से बचाया, और बचाएगा; और उस पर हमारी यह आशा है कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें। क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्ड करते हैं, कि जगत में और विशेष करके तुम्हारे बीच, हमारा चरित्र परमेश्‍वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्‍चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं परन्तु परमेश्‍वर के अनुग्रह के साथ था। हम तुम्हें और कुछ नहीं लिखते, केवल वह जो तुम पढ़ते या मानते भी हो, और मुझे आशा है कि अन्त तक भी मानते रहोगे। जैसा तुम में से कितनों ने मान लिया है कि हम तुम्हारे घमण्ड का कारण हैं, वैसे ही तुम भी प्रभु यीशु के दिन हमारे लिये घमण्ड का कारण ठहरोगे। इसी भरोसे से मैं चाहता था कि पहले तुम्हारे पास आऊँ कि तुम्हें एक और दान मिले; और तुम्हारे पास से होकर मकिदुनिया को जाऊँ, और फिर मकिदुनिया से तुम्हारे पास आऊँ; और तुम मुझे यहूदिया की ओर कुछ दूर तक पहुँचाओ। इसलिये मैं ने जो यह इच्छा की थी तो क्या मैं ने चंचलता दिखाई? या जो करना चाहता हूँ क्या शरीर के अनुसार करना चाहता हूँ कि मैं बात में ‘हाँ, हाँ’ भी करूँ और ‘नहीं, नहीं’ भी करूँ? परमेश्‍वर सच्‍चा गवाह है कि हमारे उस वचन में जो तुम से कहा ‘हाँ’ और ‘नहीं’ दोनों नहीं पाए जाते। क्योंकि परमेश्‍वर का पुत्र यीशु मसीह जिसका हमारे द्वारा अर्थात् मेरे और सिलवानुस और तीमुथियुस के द्वारा तुम्हारे बीच में प्रचार हुआ, उसमें ‘हाँ’ और ‘नहीं’ दोनों नहीं थे, परन्तु उसमें ‘हाँ’ ही ‘हाँ’ हुई। क्योंकि परमेश्‍वर की जितनी प्रतिज्ञाएँ हैं, वे सब उसी में ‘हाँ’ के साथ हैं। इसलिये उसके द्वारा आमीन भी हुई कि हमारे द्वारा परमेश्‍वर की महिमा हो।

2 कुरिन्थियों 1:4-20 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। क्योंकि जैसे मसीह के दुःख हमको अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्ति में भी मसीह के द्वारा अधिक सहभागी होते है। यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिसके प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुःखों के वैसे ही शान्ति के भी सहभागी हो। हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ्य से बाहर था, यहाँ तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। वरन् हमने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की सजा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन् परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। उसी ने हमें मृत्यु के ऐसे बड़े संकट से बचाया, और बचाएगा; और उससे हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें। क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्ड करते हैं, कि जगत में और विशेष करके तुम्हारे बीच हमारा चरित्र परमेश्वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के साथ था। हम तुम्हें और कुछ नहीं लिखते, केवल वह जो तुम पढ़ते या मानते भी हो, और मुझे आशा है, कि अन्त तक भी मानते रहोगे। जैसा तुम में से कितनों ने मान लिया है, कि हम तुम्हारे घमण्ड का कारण है; वैसे तुम भी प्रभु यीशु के दिन हमारे लिये घमण्ड का कारण ठहरोगे। और इस भरोसे से मैं चाहता था कि पहले तुम्हारे पास आऊँ; कि तुम्हें एक और दान मिले। और तुम्हारे पास से होकर मकिदुनिया को जाऊँ, और फिर मकिदुनिया से तुम्हारे पास आऊँ और तुम मुझे यहूदिया की ओर कुछ दूर तक पहुँचाओ। इसलिए मैंने जो यह इच्छा की थी तो क्या मैंने चंचलता दिखाई? या जो करना चाहता हूँ क्या शरीर के अनुसार करना चाहता हूँ, कि मैं बात में ‘हाँ, हाँ’ भी करूँ; और ‘नहीं, नहीं’ भी करूँ? परमेश्वर विश्वासयोग्य है, कि हमारे उस वचन में जो तुम से कहा ‘हाँ’ और ‘नहीं’ दोनों पाए नहीं जाते। क्योंकि परमेश्वर का पुत्र यीशु मसीह जिसका हमारे द्वारा अर्थात् मेरे और सिलवानुस और तीमुथियुस के द्वारा तुम्हारे बीच में प्रचार हुआ; उसमें ‘हाँ’ और ‘नहीं’ दोनों न थी; परन्तु, उसमें ‘हाँ’ ही ‘हाँ’ हुई। क्योंकि परमेश्वर की जितनी प्रतिज्ञाएँ हैं, वे सब उसी में ‘हाँ’ के साथ हैं इसलिए उसके द्वारा आमीन भी हुई, कि हमारे द्वारा परमेश्वर की महिमा हो।

2 कुरिन्थियों 1:4-20 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जो हमारी सारी पीड़ाओं में धीरज प्रदान करते हैं कि हम पीड़ितों को उसी प्रकार धीरज प्रदान कर सकें, जिस प्रकार परमेश्वर हमें धीरज प्रदान करते हैं. ठीक जिस प्रकार हममें मसीह के दुःखों की बहुतायत है, उसी प्रकार बहुत है मसीह के द्वारा हमारा धीरज. यदि हम यातनाएं सहते हैं तो यह तुम्हारे धीरज और उद्धार के लिए है; यदि हमें धीरज प्राप्‍त हुआ है तो यह तुम्हारे प्रोत्साहन के लिए है कि तुम भी उन्हीं यातनाओं को धीरज के साथ सह सको, जो हम सह रहे हैं. इस अहसास के प्रकाश में तुम्हारे विषय में हमारी आशा अटल है कि जिस प्रकार तुम हमारे कष्टों में सहभागी हो, उसी प्रकार तुम हमारे धीरज में भी सहभागी होगे. प्रिय भाई बहनो, हम नहीं चाहते कि तुम उन सब क्लेश के विषय में अनजान रहो, जो आसिया प्रदेश में हम पर आए. हम ऐसे बोझ से दब गए थे, जो हमारी सहनशक्ति से परे था. यहां तक कि हम जीवन की आशा तक खो चुके थे. हमें ऐसा लग रहा था, मानो हम पर दंड की आज्ञा ही प्रसारित हो चुकी है. यह इसलिये हुआ कि हम स्वयं पर नहीं परंतु परमेश्वर में विश्वास स्थिर रखें, जो मरे हुओं को जीवित करते हैं. हमने परमेश्वर पर, जिन्होंने हमें घोर संकट से बचाया और बचाते ही रहेंगे, आशा रखी है, वह हमें भविष्य में भी बचाते ही रहेंगे, क्योंकि तुम अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा हमारी सहायता करते हो कि हमारी ओर से अनेकों द्वारा उस अनुग्रह के लिए धन्यवाद प्रकट किया जा सके, जो अनेकों की प्रार्थनाओं के फलस्वरूप हमें प्राप्‍त हुआ है. इसलिये हमारे गर्व करने का कारण यह है: हमारी अंतरात्मा की पुष्टि कि हमारे शारीरिक जीवन में, विशेष रूप से तुम्हारे संबंध में हमारा व्यवहार परमेश्वर द्वारा दी गई पवित्रता तथा सच्चाई सहित रहा है. यह सांसारिक ज्ञान का नहीं परंतु मात्र परमेश्वर के अनुग्रह का परिणाम था. हमारे पत्रों में ऐसा कुछ नहीं होता, जो तुम पढ़ या समझ न सको और मेरी आशा यह है कि तुम अंत में सब कुछ समझ लोगे. ठीक जिस प्रकार तुम हमें बहुत थोड़ा ही समझ पाए हो कि तुम हमारे गर्व का विषय हो, प्रभु येशु के दिन तुम भी हम पर गर्व करोगे. इस निश्चय के द्वारा सबसे पहले, मैं इस उद्देश्य से तुम्हारे पास आना चाहता था कि तुम्हें दुगनी कृपा का अनुभव हो. मेरी योजना थी कि मैं मकेदोनिया जाते हुए तुम्हारे पास आऊं तथा वहां से लौटते हुए भी. इसके बाद तुम मुझे यहूदिया प्रदेश की यात्रा पर भेज देते. क्या मेरी यह योजना मेरी अस्थिर मानसिकता थी? या मेरे उद्देश्य मनुष्य के ज्ञान प्रेरित होते हैं कि मेरा बोलना एक ही समय में हां-हां भी होता है और ना-ना भी? जिस प्रकार निःसंदेह परमेश्वर विश्वासयोग्य हैं, उसी प्रकार हमारी बातों में भी “हां” का मतलब हां और “ना” का मतलब ना ही होता है. परमेश्वर का पुत्र मसीह येशु, जिनका प्रचार सिलवानॉस, तिमोथियॉस तथा मैंने तुम्हारे मध्य किया, वह प्रचार कभी “हां” या कभी “ना” नहीं परंतु परमेश्वर में हमेशा हां ही रहा है. परमेश्वर की सारी प्रतिज्ञाएं उनमें “हां” ही हैं. इसलिये हम परमेश्वर की महिमा के लिए मसीह येशु के द्वारा “आमेन” कहते हैं.

2 कुरिन्थियों 1:4-20

2 कुरिन्थियों 1:4-20 HINCLBSI