1 योहन 4:17-19
1 योहन 4:17-19 पवित्र बाइबल (HERV)
हमारे विषय में इसी रूप में प्रेम सिद्ध हुआ है ताकि न्याय के दिन हमें विश्वास बना रहे। हमारा यह विश्वास इसलिए बना हुआ है कि हम इस जगत में जो जीवन जी रहे है, वह मसीह के जीवन जैसा है। प्रेम में कोई भय नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण प्रेम तो भय को भगा देता है। भय का संबन्ध तो दण्ड से है। सो जिसमें भय है, उसके प्रेम को अभी पूर्णता नहीं मिली है। हम प्रेम करते हैं क्योंकि पहले परमेश्वर ने हमें प्रेम किया है।
1 योहन 4:17-19 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
इस प्रकार प्रेम हम में अपनी परिपूर्णता तक पहुँच जाता है, जिससे हम न्याय के दिन पूरा भरोसा रख सकें; क्योंकि जैसे मसीह हैं वैसे हम भी इस संसार में हैं। प्रेम में भय नहीं होता। पूर्ण प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय में दण्ड की आशंका रहती है और जो डरता है, उसका प्रेम पूर्णता तक नहीं पहुँचा है। हम प्रेम करते हैं, क्योंकि परमेश्वर ने पहले हमसे प्रेम किया।
1 योहन 4:17-19 Hindi Holy Bible (HHBD)
इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उस ने हम से प्रेम किया।
1 योहन 4:17-19 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है वैसे ही संसार में हम भी हैं। प्रेम में भय नहीं होता, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है; क्योंकि भय का सम्बन्ध दण्ड से होता है, और जो भय करता है वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहले उसने हम से प्रेम किया।
1 योहन 4:17-19 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन साहस हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। प्रेम में भय नहीं होता, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय का सम्बंध दण्ड से होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। हम इसलिए प्रेम करते हैं, क्योंकि पहले उसने हम से प्रेम किया।
1 योहन 4:17-19 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
तब हमें न्याय के दिन के संदर्भ में निर्भयता प्राप्त हो जाती है क्योंकि संसार में हमारा स्वभाव मसीह के स्वभाव के समान हो गया है, परिणामस्वरूप हमारा आपसी प्रेम सिद्धता की स्थिति में पहुंच जाता है. इस प्रेम में भय का कोई भाग नहीं होता क्योंकि सिद्ध प्रेम भय को निकाल फेंकता है. भय का संबंध दंड से है और उसने, जो भयभीत है प्रेम में यथार्थ सम्पन्नता प्राप्त नहीं की. हम प्रेम इसलिये करते हैं कि पहले उन्होंने हमसे प्रेम किया है.