लूका 20:20-40

लूका 20:20-40 HHBD

और वे उस की ताक में लगे और भेदिये भेजे, कि धर्म का भेष धरकर उस की कोई न कोई बात पकड़ें, कि उसे हाकिम के हाथ और अधिकार में सौंप दें। उन्होंने उस से यह पूछा, कि हे गुरू, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है। क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं। उस ने उन की चतुराई को ताड़कर उन से कहा; एक दीनार मुझे दिखाओ। इस पर किस की मूर्ति और नाम है उन्होंने कहा, कैसर का। उस ने उन से कहा; तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो। वे लोगों के साम्हने उस बात को पकड़ न सके, वरन उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए। फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उन में से कितनों ने उसके पास आकर पूछा। कि हे गुरू, मूसा ने हमारे लिये यह लिखा है, कि यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते हुए बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस की पत्नी को ब्याह ले, और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। सो सात भाई थे, पहिला भाई ब्याह करके बिना सन्तान मर गया। फिर दूसरे और तीसरे ने भी उस स्त्री को ब्याह लिया। इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए। सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई। सो जी उठने पर वह उन में से किस की पत्नी होगी, क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी। यीशु ने उन से कहा; कि इस युग के सन्तानों में तो ब्याह शादी होती है। पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, कि उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उन में ब्याह शादी न होगी। वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और जी उठने के सन्तान होने से परमेश्वर के भी सन्तान होंगे। परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा न भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, कि वह प्रभु को इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर कहता है। परमेश्वर तो मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं। तब यह सुनकर शास्त्रियों में से कितनों ने कहा, कि हे गुरू, तू ने अच्छा कहा। और उन्हें फिर उस से कुछ और पूछने का हियाव न हुआ॥

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