एस्तेर 9:1-17

एस्तेर 9:1-17 HHBD

अदार नाम बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, जिस दिन राजा की आज्ञा और नियम पूरे होने को थे, और यहूदियों के शत्रु उन पर प्रबल होने की आशा रखते थे, परन्तु इसके उलटे यहूदी अपने बैरियों पर प्रबल हुए, उस दिन, यहूदी लोग राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में अपने अपने नगर में इकट्ठे हुए, कि जो उनकी हानि करने का यत्न करे, उन पर हाथ चलाए। और कोई उनका साम्हना न कर सका, क्योंकि उनका भय देश देश के सब लोगों के मन में समा गया था। वरन प्रान्तों के सब हाकिमों और अधिपतियों और प्रधानों और राजा के कर्मचारियों ने यहूदियों की सहायता की, क्योंकि उनके मन में मोर्दकै का भय समा गया था। मोर्दकै तो राजा के यहां बहुत प्रतिष्ठित था, और उसकी कीर्ति सब प्रान्तों में फैल गई; वरन उस पुरुष मोर्दकै की महिमा बढ़ती चली गई। और यहूदियों ने अपने सब शत्रुओं को तलवार से मार कर और घात कर के नाश कर डाला, और अपने बैरियों से अपनी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया। और शूशन राजगढ़ में यहूदियों ने पांच सौ मनुष्यों को घात कर के नाश किया। और उन्होंने पर्शन्दाता, दल्पोन, अस्पाता, पोराता, अदल्या, अरीदाता, पर्मशता, अरीसै, अरीदै और वैजाता, अर्थात हम्मदाता के पुत्र यहूदियों के विरोधी हामान के दसों पुत्रों को भी घात किया; परन्तु उनके धन को न लूटा। उसी दिन शूशन राजगढ़ में घात किए हुओं की गिनती राजा को सुनाई गई। तब राजा ने एस्तेर रानी से कहा, यहूदियों ने शूशन राजगढ़ ही में पांच सौ मनुष्य और हामान के दसों पुत्रों को भी घात कर के नाश किया है; फिर राज्य के और और प्रान्तों में उन्होंने न जाने क्या क्या किया होगा! अब इस से अधिक तेरा निवेदन क्या है? वह भी पूरा किया जाएगा। और तू क्या मांगती है? वह भी तुझे दिया जाएगा। एस्तेर ने कहा, यदि राजा को स्वीकार हो तो शूशन के यहूदियों को आज की नाईं कल भी करने की आज्ञा दी जाए, और हामान के दसों पुत्र फांसी के खम्भें पर लटकाए जाएं। राजा ने कहा, ऐसा किया जाए; यह आज्ञा शूशन में दी गई, और हामान के दसों पुत्र लटकाए गए। और शूशन के यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन को भी इकट्ठे हो कर शूशन में तीन सौ पुरुषों को घात किया, परन्तु धन को न लूटा। राज्य के और और प्रान्तों के यहूदी इकट्ठे हो कर अपना अपना प्राण बचाने के लिये खड़े हुए, और अपने बैरियों में से पचहत्तर हजार मनुष्यों को घात कर के अपने शत्रुओं से विश्राम पाया; परन्तु धन को न लूटा। यह अदार महीने के तेरहवें दिन को किया गया, और चौदहवें दिन को उन्होंने विश्राम कर के जेवनार की और आनन्द का दिन ठहराया।

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