रूत 1:16-22

रूत 1:16-22 HERV

किन्तु रूत ने कहा, “अपने को छोड़ने के लिये मुझे विवश मत करो! अपने लोगों में लौटने के लिये मुझे विवश मत करो। मुझे अपने साथ चलने दो। जहाँ कहीं तुम जाओगी, मैं सोऊँगी। जहाँ कहीं तुम सोओगी, मैं सोऊँगी। तुम्हारे लोग, मेरे लोग होंगे। तुम्हारा परमेश्वर, मेरा परमेश्वर होगा। जहाँ तुम मरोगी, मैं भी वहीं मरूँगी और में वहीं दफनाई जाऊँगी। मैं यहोवा से याचना करती हूँ कि यदि मैं अपना वचन तोड़ूँ तो यहोवा मुझे दण्ड देः केवल मृत्यु ही हम दोनों को अलग कर सकती है।” नाओमी ने देखा कि रूत की उसके साथ चलने की प्रबल इच्छा है। इसलिए नाओमी ने उसके साथ बहस करना बन्द कर दिया। फिर नाओमी और रूत ने तब तक यात्रा की जब तक वे बेतलेहेम नहीं पहुँच गईं। जब दोनों स्त्रियाँ बेतलेहेम पहुँचीं तो सभी लोग बहुत उत्तेजित हुए। उन्होंने कहना आरम्भ किया, “क्या यह नाओमी है?” किन्तु नाओमी ने लोगों से कहा, “मुझे नाओमी मत कहो, मुझे मारा कहो। क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मेरे जीवन को बहुत दुःखी बना दिया है। जब मैं गई थी, मेरे पास वे सभी चीज़ें थीं जिन्हें मैं चाहती थी। किन्तु अब, यहोवा मुझे खाली हाथ घर लाया है। यहोवा ने मुझे दुःखी बनाया है अत: मुझे ‘प्रसन्न’ क्यों कहते हो? सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुझे बहुत अधिक कष्ट दिया है।” इस प्रकार नाओमी तथा उसकी पुत्रवधु रूत (मोआबी स्त्री) मोआब के पहाड़ी प्रदेश से लौटीं। ये दोनों स्त्रियाँ जौ की कटाई के समय यहूदा के बेतलेहेम में आईं।

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