नीतिवचन 28:15-28

नीतिवचन 28:15-28 HERV

दुष्ट लोग असहाय जन पर शासन करते हैं। ऐसे जैसे दहाड़ता हुआ सिंह अथवा झपटता हुआ रीछ। एक क्रूर शासक में न्याय को कमी होती है। किन्तु जो बुरे मार्ग से आये हुए धन से घृणा करता है, दीर्घ आयु भोगता है। किसी व्यक्ति को दूसरे की हत्या का दोषी ठहराया हो तो उस व्यक्ति को शांति नहीं मिलेगी। उसे सहायता मत कर। यदि कोई व्यक्ति निष्कलंक हो तो वह सुरक्षित है। यदि वह बुरा व्यक्ति हो तो वह अपनी सामर्थ खो बैठेगा। जो अपनी धरता जोतता—बोता है और परिश्रम करता है, उसके पास सदा भर पूर खाने को होगा। किन्तु जो सदा सपनों में खोया रहता है, सदा दरिद्र रहेगा। परमेश्वर निज भक्त पर आशीष बरसाता है, किन्तु वह मनुष्य जो सदा धन पाने को लालायित रहता है, बिना दण्ड के नहीं बचेगा। किसी धन्यवान व्यक्ति का पक्षपात करना अच्छा नहीं होता तो भी कुछ न्यायाधीश कभी कर जाते पक्षपात मात्र छोटे से रोटी के ग्रास के लिये। सूम सदा धन पाने को लालायित रहता है और नहीं जानता कि उसकी ताक में दरिद्रता है। वह जो किसी जन को सुधारने को डांटता है, वह अधिक प्रेम पाता है, अपेक्षा उसके जो चापलूसी करता है। कुछ लोग होते हैं जो अपने पिता और माता से चुराते हैं। वह कहते हैं, “यह बुरा नहीं है।” यह उस बुरा व्यक्ति जैसा है जो घर के भीतर आकर सभी वस्तुओं को तोड़ फोड़ कर देते हैं। लालची मनुष्य तो मतभेद भड़काता, किन्तु वह मनुष्य जिसका भरोसा यहोवा पर है फूलेगा—फलेगा। मूर्ख को अपने पर बहुत भरोसा होता है। किन्तु जो ज्ञान की राह पर चलता है, सुरक्षित रहता है। जो गरीबों को दान देता रहता है उसको किसी बात का अभाव नहीं रहता। किन्तु जो उनसे आँख मूँद लेता है, वह शाप पाता है। जब कोई दुष्ट शक्ति पा जाता है तो सज्जन छिप जाने को दूर चले जाते हैं। किन्तु जब दुष्ट जन का विनाश होता है तो सज्जनों को वृद्धि प्रकट होने लगती है।

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