धर्मी मनुष्य के घर के विरोध में लुटेरे के समान घात में मत बैठ और उसके निवास पर मत छापा मार। क्योंकि एक नेक चाहे सात बार गिरे, फिर भी उठ बैठेगा। किन्तु दुष्ट जन विपत्ति में डूब जाता है। शत्रु के पतन पर आनन्द मत कर। जब उसे ठोकर लगे, तो अपना मन प्रसन्न मत होने दे। यदि तू ऐसा करेगा, तो यहोवा देखेगा और वह यहोवा की आँखों में आ जायेगा एवं वह तुझसे प्रसन्न नहीं रहेगा। फिर सम्भव है कि वह तेरे उस शत्रु की ही सहायता करे।
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