ज्ञानी जनों का ज्ञान इसी में है, कि वे अपनी राहों का चिंतन करें, मूर्खता मूर्ख की छल में बसती है। पाप के विचारों पर मूर्ख लोग हँसते हैं, किन्तु सज्जनों में सद्भाव बना रहता है। हर मन अपनी निजी पीड़ा को जानता है, और उसका दुःख कोई नहीं बाँट पाता है। दुष्ट के भवन को ढहा दिया जायेगा, किन्तु सज्जन का डेरा फूलेगा फलेगा। ऐसी भी राह होती है जो मनुष्य को उचित जान पड़ती है; किन्तु परिणाम में वह मृत्यु को ले जाती।
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