यहोवा छल के तराजू से घृणा करता है, किन्तु उसका आनन्द सही नाप—तौल है। अभिमान के संग ही अपमान आता है, किन्तु नम्रता के साथ विवेक आता है। नेकों की नेकी उनकी अगुवाई करती है, किन्तु दुष्टों को दुष्टता ही ले डूबेगी। कोप के दिन धन व्यर्थ रहता, काम नहीं आता है; किन्तु तब नेकी लोगों को मृत्यु से बचाती है। नेकी निर्दोषों के हेतु मार्ग सरल—सीधा बनाती है, किन्तु दुष्ट जन को उसकी अपनी ही दुष्टता धूलें चटा देती। नेकी सज्जनों को छुड़वाती है, किन्तु विश्वासहीन बुरी इच्छाओं के जाल में फँस जाते हैं। जब दुष्ट मरता है, उनकी आशा मर जाती है। अपनी शक्ति से जो कुछ अपेक्षा उसे थी, व्यर्थ चली जाती है। धर्मी जन तो विपत्ति से छुटकारा पा लेता है, जबकि उसके बदले वह दुष्ट पर आ पड़ती है। भक्तिहीन की वाणी अपने पड़ोसी को ले डूबती है, किन्तु ज्ञान द्वारा धर्मी जन तो बच निकलता है। धर्मी का विकास नगर को आनन्दित करता जबकि दुष्ट का नाश हर्ष—नाद उपजाता। सच्चे जन की आशीष नगर को ऊँचा उठा देती किन्तु दुष्टों की बातें नीचे गिरा देती हैं।
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