यीशु अपने शिष्यों के साथ झील गलील पर चला गया। उसके पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ भी हो ली जिसमें गलील, यहूदिया, यरूशलेम, इदूमिया और यर्दन नदी के पार के तथा सूर और सैदा के लोग भी थे। लोगों की यह भीड़ उन कामों के बारे में सुनकर उसके पास आयी थी जिन्हें वह करता था। भीड़ के कारण उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे उसके लिये एक छोटी नाव तैयार रखें ताकि भीड़ उसे दबा न ले। यीशु ने बहुत से लोगों को चंगा किया था इसलिये बहुत से वे लोग जो रोगी थे, उसे छूने के लिये भीड़ में ढकेलते रास्ता बनाते उमड़े चले आ रहे थे। जब कभी दुष्टात्माएँ यीशु को देखतीं वे उसके सामने नीचे गिर पड़तीं और चिल्ला कर कहतीं “तू परमेश्वर का पुत्र है!” किन्तु वह उन्हें चेतावनी देता कि वे सावधान रहें और इसका प्रचार न करें। फिर यीशु एक पहाड़ पर चला गया और उसने जिनको वह चाहता था, अपने पास बुलाया। वे उसके पास आये। जिनमें से उसने बारह को चुना और उन्हें प्रेरित की पदवी दी। उसने उन्हें चुना ताकि वे उसके साथ रहें और वह उन्हें उपदेश प्रचार के लिये भेजे। और वे दुष्टात्माओं को खदेड़ बाहर निकालने का अधिकार रखें। इस प्रकार उसने बारह पुरुषों की नियुक्ति की। ये थे: शमौन (जिसे उसने पतरस नाम दिया), जब्दी का पुत्र याकूब और याकूब का भाई यूहन्ना (जिनका नाम उसने बूअनर्गिस रखा, जिसका अर्थ है “गर्जन का पुत्र”), अंद्रियास, फिलिप्पुस, बरतुलमै, मत्ती, थोमा, हलफई का पुत्र याकूब, तद्दी और शमौन जिलौती या कनानी तथा यहूदा इस्करियोती (जिसने आगे चल कर यीशु को धोखे से पकड़वाया था)।
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