“शमौन, हे शमौन, सुन, तुम सब को गेहूँ की तरह फटकने के लिए शैतान ने चुन लिया है। किन्तु मैंने तुम्हारे लिये प्रार्थना की है कि तुम्हारा विश्वास न डगमगाये और जब तू वापस आये तो तेरे बंधुओं की शक्ति बढ़े।”
किन्तु शमौन ने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ जेल जाने और मरने तक को तैयार हूँ।”
फिर यीशु ने कहा, “पतरस, मैं तुझे बताता हूँ कि आज जब तक मुर्गा बाँग नहीं देगा तब तक तू तीन बार मना नहीं कर लेगा कि तू मुझे जानता है।”
फिर यीशु ने अपने शिष्यो से कहा, “मैंने तुम्हें जब बिना बटुए, बिना थैले या बिना चप्पलों के भेजा था तो क्या तुम्हें किसी वस्तु की कमी रही थी?”
उन्होंने कहा, “किसी वस्तु की नहीं।”
उसने उनसे कहा, “किन्तु अब जिस किसी के पास भी कोई बटुआ है, वह उसे ले ले और वह थैला भी ले चले। और जिसके पास भी तलवार न हो, वह अपना चोगा तक बेच कर उसे मोल ले ले। क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूँ कि शास्त्र का यह लिखा मुझ पर निश्चय ही पूरा होगा:
‘वह एक अपराधी समझा गया था।’
हाँ मेरे सम्बन्ध में लिखी गयी यह बात पूरी होने पर आ रही है।”
वे बोले, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।”
इस पर उसने उनसे कहा, “बस बहुत है।”
फिर वह वहाँ से उठ कर नित्य प्रति की तरह जैतून—पर्वत चला गया। और उसके शिष्य भी उसके पीछे पीछे हो लिये। वह जब उस स्थान पर पहुँचा तो उसने उनसे कहा, “प्रार्थना करो कि तुम्हें परीक्षा में न पड़ना पड़े।”
फिर वह किसी पत्थर को जितनी दूर तक फेंका जा सकता है, लगभग उनसे उतनी दूर अलग चला गया। फिर वह घुटनों के बल झुका और प्रार्थना करने लगा, “हे परम पिता, यदि तेरी इच्छा हो तो इस प्याले को मुझसे दूर हटा किन्तु फिर भी मेरी नहीं, बल्कि तेरी इच्छा पूरी हो।” तभी एक स्वर्गदूत वहाँ प्रकट हुआ और उसे शक्ति प्रदान करने लगा। उधर यीशु बड़ी बेचैनी के साथ और अधिक तीव्रता से प्रार्थना करने लगा। उसका पसीना रक्त की बूँदों के समान धरती पर गिर रहा था। और जब वह प्रार्थना से उठकर अपने शिष्यों के पास आया तो उसने उन्हें शोक में थक कर सोते हुए पाया। सो उसने उनसे कहा, “तुम सो क्यों रहे हो? उठो और प्रार्थना करो कि तुम किसी परीक्षा में न पड़ो।”
वह अभी बोल ही रहा था कि एक भीड़ आ जुटी। यहूदा नाम का एक व्यक्ति जो बारह शिष्यों में से एक था, उनकी अगुवाई कर रहा था। वह यीशु को चूमने के लिये उसके पास आया।
पर यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू एक चुम्बन के द्वारा मनुष्य के पुत्र को धोखे से पकड़वाने जा रहा है।” जो घटने जा रहा था, उसे देखकर उसके आसपास के लोगों ने कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार से वार करें?” और उनमें से एक ने तो प्रमुख याजक के दास पर वार करके उसका दाहिना कान ही काट डाला।
किन्तु यीशु ने तुरंत कहा, “उन्हें यह भी करने दो।” फिर यीशु ने उसके कान को छू कर चंगा कर दिया।
फिर यीशु ने उस पर चढ़ाई करने आये प्रमुख याजकों, मन्दिर के अधिकारियों और बुजुर्ग यहूदी नेताओं से कहा, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ ले कर किसी डाकू का सामना करने निकले हो? मन्दिर में मैं हर दिन तुम्हारे ही साथ था, किन्तु तुमने मुझ पर हाथ नहीं डाला। पर यह समय तुम्हारा है। अन्धकार के शासन का काल।”