फिर वह घड़ी आय़ी जब यीशु अपने शिष्यों के साथ भोजन पर बैठा। उसने उनसे कहा, “यातना उठाने से पहले यह फ़सह का भोजन तुम्हारे साथ करने की मेरी प्रबल इच्छा थी। क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि जब तक परमेश्वर के राज्य में यह पूरा नहीं हो लेता तब तक मैं इसे दुबारा नहीं खाऊँगा।” फिर उसने कटोरा उठाकर धन्यवाद दिया और कहा, “लो इसे आपस में बाँट लो। क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ आज के बाद जब तक परमेश्वर का राज्य नहीं आ जाता मैं कोई भी दाखरस कभी नहीं पिऊँगा।” फिर उसने थोड़ी रोटी ली और धन्यवाद दिया। उसने उसे तोड़ा और उन्हें देते हुए कहा, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी गयी है। मेरी याद में ऐसा ही करना।” ऐसे ही जब वे भोजन कर चुके तो उसने कटोरा उठाया और कहा, “यह प्याला मेरे उस रक्त के रूप में एक नयी वाचा का प्रतीक है जिसे तुम्हारे लिए उँडेला गया है।” “किन्तु देखो, मुझे जो धोखे से पकड़वायेगा, उसका हाथ यहीं मेज़ पर मेरे साथ है। क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो मारा ही जायेगा जैसा कि सुनिश्चित है किन्तु धिक्कार है उस व्यक्ति को जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाएगा।” इस पर वे आपस में एक दूसरे से प्रश्न करने लगे, “उनमें से वह कौन हो सकता है जो ऐसा करने जा रहा है?”
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