“कर्म करने को सदा तैयार रहो। और अपने दीपक जलाए रखो। और उन लोगों के जैसे बनो जो ब्याह के भोज से लौटकर आते अपने स्वामी की प्रतीज्ञा में रहते है ताकि, जब वह आये और द्वार खटखटाये तो वे तत्काल उसके लिए द्वार खोल सकें। वे सेवक धन्य हैं जिन्हें स्वामी आकर जागते और तैयार पाएगा। मैं तुम्हें सच्चाई के साथ कहता हूँ कि वह भी उनकी सेवा के लिये कमर कस लेगा और उन्हे, खाने की चौकी पर भोजन के लिए बिठायेगा। वह आयेगा और उन्हें भोजन करायेगा। वह चाहे आधी रात से पहले आए और चाहे आधी रात के बाद यदि उन्हें तैयार पाता है तो वे धन्य हैं।
“इस बात के लिए निश्चित रहो कि यदि घर के स्वामी को यह पता होता कि चोर किस घड़ी आ रहा है, तो वह उसे अपने घर में सेंध नहीं लगाने देता। सो तुम भी तैयार रहो क्योंकि मनुष्य का पुत्र ऐसी घड़ी आयेगा जिसे तुम सोच भी नहीं सकते।”
तब पतरस ने पूछा, “हे प्रभु, यह दृष्टान्त कथा तू हमारे लिये कह रहा है या सब के लिये?”
इस पर यीशु ने कहा, “तो फिर ऐसा विश्वास-पात्र, बुद्धिमान प्रबन्ध-अधिकारी कौन होगा जिसे प्रभु अपने सेवकों के ऊपर उचित समय पर, उन्हें भोजन सामग्री देने के लिये नियुक्त करेगा? वह सेवक धन्य है जिसे उसका स्वामी जब आये तो उसे वैसा ही करते पाये। मैं सच्चाई के साथ तुमसे कहता हूँ कि वह उसे अपनी सभी सम्पत्तियों का अधिकारी नियुक्त करेगा।
“किन्तु यदि वह सेवक अपने मन में यह कहे कि मेरा स्वामी तो आने में बहुत देर कर रहा है और वह दूसरे पुरुष और स्त्री सेवकों को मारना पीटना आरम्भ कर दे तथा खाने-पीने और मदमस्त होने लगे तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आ जायेगा जिसकी वह सोचता तक नहीं। एक ऐसी घड़ी जिसके प्रति वह अचेत है। फिर वह उसके टुकड़े-टुकड़े कर डालेगा और उसे अविश्वासियों के बीच स्थान देगा।
“वह सेवक जो अपने स्वामी की इच्छा जानता है और उसके लिए तत्पर नहीं होता या जैसा उसका स्वामी चाहता है, वैसा ही नहीं करता, उस सेवक पर तीखी मार पड़ेगी। किन्तु वह जिसे अपने स्वामी की इच्छा का ज्ञान नहीं और कोई ऐसा काम कर बैठे जो मार पड़ने योग्य हो तो उस सेवक पर हल्की मार पड़ेगी। क्योंकि प्रत्येक उस व्यक्ति से जिसे बहुत अधिक दिया गया है, अधिक अपेक्षित किया जायेगा। उस व्यक्ति से जिसे लोगों ने अधिक सौंपा है, उससे लोग अधिक ही माँगेंगे।”
“मैं धरती पर एक आग भड़काने आया हूँ। मेरी कितनी इच्छा है कि वह कदाचित् अभी तक भड़क उठती। मेरे पास एक बपतिस्मा है जो मुझे लेना है जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, मैं कितना व्याकुल हूँ। तुम क्या सोचते हो मैं इस धरती पर शान्ति स्थापित करने के लिये आया हूँ? नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, मैं तो विभाजन करने आया हूँ। क्योंकि अब से आगे एक घर के पाँच आदमी एक दूसरे के विरुद्ध बट जायेंगे। तीन दो के विरोध में और दो तीन के विरोध में हो जायेंगे।
पिता, पुत्र के विरोध में,
और पुत्र, पिता के विरोध में,
माँ, बेटी के विरोध में,
और बेटी, माँ के विरोध में,
सास, बहू के विरोध में,
और बहू, सास के विरोध में हो जायेंगी।”
फिर वह भीड़ से बोला, “जब तुम पश्चिम की ओर से किसी बादल को उठते देखते हो तो तत्काल कह उठते हो, ‘वर्षा आ रही है’ और फिर ऐसा ही होता है। और फिर जब दक्षिणी हवा चलती है, तुम कहते हो, ‘गर्मी पड़ेगी’ और ऐसा ही होता है। अरे कपटियों तुम धरती और आकाश के स्वरूपों की व्याख्या करना तो जानते हो, फिर ऐसा क्योंकि तुम वर्तमान समय की व्याख्या करना नहीं जानते?
“जो उचित है, उसके निर्णायक तुम अपने आप क्यों नहीं बनते? जब तुम अपने विरोधी के साथ अधिकारियों के पास जा रहे हो तो रास्ते में ही उसके साथ समझौता करने का जतन करो। नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायाधीश के सामने खींच ले जाये और न्यायाधीश तुम्हें अधिकारी को सौंप दे। और अधिकारी तुम्हें जेल में बन्द कर दे। मैं तुम्हें बताता हूँ, तुम वहाँ से तब तक नहीं छूट पाओगे जब तक अंतिम पाई तक न चुका दो।”