यहोशू 10:1-14

यहोशू 10:1-14 HERV

इस समय अदोनीसेदेक यरूशलेम का राजा था। इस राजा ने सुना कि यहोशू ने ऐ को जीता है और इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया है। राजा को यह पता चला कि यहोशू ने यरीहो और उसके राजा के साथ भी यही किया है। राजा को यह भी जानकारी मिली कि गिबोन ने इस्राएल के साथ, शान्ति—सन्धि कर ली है और वे लोग यरूशलेम के बहुत निकट रहते थे। अत: अदोनीसेदेक और उसके लोग इन घटनाओं के कारण बहुत भयभीत थे। गिबोन ऐ की तरह छोटा नगर नहीं था। गिबोन एक शाही नगर जैसा बहुत बड़ा नगर था। और नगर के सभी पुरुष अच्छे योद्धा थे। अत: राजा भयभीत था। यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम से बातें कीं। उसने यर्मूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा यापी, एग्लोन के राजा दबीर से भी बातचीत की। यरूशलेम के राजा ने इन व्यक्तियों से प्रार्थना की, “मेरे साथ आएं और गिबोन पर आक्रमण करने में मेरी सहायता करें। गिबोन ने यहोशू और इस्राएल के लोगों के साथ शान्ति सन्धि कर ली है।” इस प्रकार पाँच एमोरी राजाओं ने सेनाओं को मिलाया। (ये पाँचों यरूशलेम के राजा, हेब्रोन के राजा, यर्मूत के राजा, लाकीश के राजा, और एग्लोन के राजा थे।) वे सेनायें गिबोन गईं। सेनाओं ने नगर को घेर लिया और इसके विरूद्ध युद्ध करना आरम्भ किया। गिबोन नगर में रहने वाले लोगों ने गिलगाल के डेरे में यहोशू को खबर भेजी: “हम तुम्हारे सेवक हैं! हम लोगों को अकेले न छोड़ो। आओ और हमारी रक्षा करो! शीघ्रता करो! हमें बचाओ! पहाड़ी प्रदेशों के सभी एमोरी राजा अपनी सेनायें एक कर चुके हैं। वे हमारे विरुद्ध युद्ध कर रहे हैं।” इसलिए यहोशू गिलगाल से अपनी पूरी सेना के साथ युद्ध के लिये चला। यहोशू के उत्तम योद्धा उसके साथ थे। यहोवा ने यहोशू से कहा, “उन सेनाओं से डरो नहीं। मैं तुम्हें उनको पराजित करने दूँगा। उन सेनाओं में से कोई भी तुमको हराने में समर्थ नहीं होगा।” यहोशू और उसकी सेना रात भर गिबोन की ओर बढ़ती रही। शत्रु को पता नहीं था कि यहोशू आ रहा है। इसलिए जब उसने आक्रमण किया तो वे चौंक पड़े। यहोवा ने उन सेनाओं को, इस्रएल की सेनाओं द्वारा आक्रमण के समय, किंकर्तव्य विमूढ़ कर दिया। इसलिये इस्रालियों ने उन्हें हरा कर भारी विजय पायी। इस्राएलियों ने पीछा करके उन्हें गिबोन से खदेड़ दिया। उन्होंने बेथोरोन तक जाने वाली सड़क तक उनका पीछा किया। इस्राएल की सेना ने अजेका और मक्केदा तक के पूरे रास्ते में पुरुषों को मारा। इस्राएल की सेना ने बेथोरोन अजेका को जाने वाली सड़क तक शत्रुओं का पीछा किया। जब वे शत्रु का पीछा कर रहे थे तो यहोवा ने भारी ओलों की वर्षा आकाश से की। बहुत से शत्रु इन भारी ओलो से मर गए। इन ओसों से उससे अधिक शत्रु मारे गए जितने इस्राएलियों ने अपनी तलवारों से मारे थे। उस दिन यहोवा ने इस्राएलियों द्वारा एमोरी लोगों को पराजित होने दिया और उस दिन यहोशू इस्राएल के सभी लोगों के सामने खड़ा हुआ और उसने यहोवा से कहाः “हे सूर्य, गिबोन के आसमान में खड़े रह और हट नहीं। हे चन्द्र तू अय्यालोन की घाटी के ऊपर आसमान में खड़े रह और हट नहीं।” सूर्य स्थिर हो गया और चन्द्रमा ने भी तब तक चलना छोड़ दिया जब तक लोगों ने अपने शत्रुओं को पराजित नहीं कर दिया। यह सचमुच हुआ, यह कथा याशार की किताब में लिखी है। सूर्य आसमान के मध्य रुका। यह पूरे दिन वहाँ से नहीं हटा। ऐसा उस दिन के पहले किसी भी समय कभी नहीं हुआ था और तब से अब तक कभी नहीं हुआ है। वही दिन था, जब यहोवा ने मनुष्य की प्रार्थना मानी। वास्तव में यहोवा इस्राएलियों के लिये युद्ध कर रहा था!