यह फ़सह की तैयारी का दिन था। सब्त के दिन उनके शव क्रूस पर न लटके रहें क्योंकि सब्त का वह दिन बहुत महत्त्वपूर्ण था इसके लिए यहूदियों ने पिलातुस से कहा कि वह आज्ञा दे कि उनकी टाँगे तोड़ दी जाएँ और उनके शव वहाँ से हटा दिए जाए। तब सिपाही आये और उनमें से पहले, पहले की और फिर दूसरे व्यक्ति की, जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, टाँगे तोड़ीं। पर जब वे यीशु के पास आये, उन्होंने देखा कि वह पहले ही मर चुका है। इसलिए उन्होंने उसकी टाँगे नहीं तोड़ीं। पर उनमें से एक सिपाही ने यीशु के पंजर में अपना भाला बेधा जिससे तत्काल ही खून और पानी बह निकला। (जिसने यह देखा था उसने साक्षी दी; और उसकी साक्षी सच है, वह जानता है कि वह सच कह रहा है ताकि तुम लोग विश्वास करो।) यह इसलिए हुआ कि शास्त्र का वचन पूरा हो, “उसकी कोई भी हड्डी तोड़ी नहीं जायेगी।” और धर्मशास्त्र में लिखा है, “जिसे उन्होंने भाले से बेधा, वे उसकी ओर ताकेंगे।”
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