तब यिर्मयाह ने यहूदा के सभी शासकों और अन्य सभी लोगों से बात की। उसने कहा, “यहोवा ने मुझे इस मन्दिर और इस नगर के बारे में बातें कहने के लिये भेजा। जो सब तुमने सुना है वह यहोवा के यहाँ से है। तुम लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये! तुम्हें अच्छे काम करना आरम्भ करना चाहिये। तुम्हें अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा अपना इरादा बदल देगा। यहोवा वे बुरी विपत्तियाँ नहीं लायेगा, जिनके घटित होने के बारे में उसने कहा। जहाँ तक मेरी बात है, मैं तुम्हारे वश में हूँ। मेरे साथ वह करो जिसे तुम अच्छा और ठीक समझते हो। किन्तु यदि तुम मुझे मार डालोगे तो एक बात निश्चित समझो। तुम एक निरपराध व्यक्ति को मारने के अपराधी होगे। तुम इस नगर और इसमें जो भी रहते हैं उन्हें भी अपराधी बनाओगे। सच में, यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। जो सन्देश तुमने सुना है वह, सच में, यहोवा का है।” तब शासक और सभी लोग बोल पड़े। उन लोगों ने याजकों और नबियों से कहा, “यिर्मयाह, नहीं मारा जाना चाहिये। यिर्मयाह ने जो कुछ कहा है वह हमारे यहोवा परमेश्वर की ही वाणी है।” तब अग्रजों (प्रमुखों) में से कुछ खड़े हुए और उन्होंने सब लोगों से बातें कीं। उन्होंने कहा, “मीकायाह नबी मोरसेती नगर का था। मीकायाह उन दिनों नबी था जिन दिनों हिजकिय्याह यहूदा का राजा था। मीकायाह ने यहूदा के सभी लोगों से यह कहा: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: “सिय्योन एक जुता हुआ खेत बनेगा। यरूशलेम चट्टानों की ढेर होगा। जिस पहाड़ी पर मन्दिर बना है उस पर पेड़ उगेंगे।” “हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और हिजकिय्याह ने मीकायाह को नहीं मारा। यहूदा के किसी व्यक्ति ने मीकायाह को नहीं मारा। तुम जानते हो हिजकिय्याह यहोवा का सम्मान करता था। वह यहोवा को प्रसन्न करना चाहता था। यहोवा कह चुका था कि वह यहूदा का बुरा करेगा। किन्तु हिजकिय्याह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने अपना इरादा बदल दिया। यहोवा ने वे बुरी विपत्तियाँ नहीं आने दीं। यदि हम लोग यिर्मयाह को चोट पहुँचायेंगे तो हम लोग अपने ऊपर अनेक विपत्तियाँ बुलाएंगे और वे विपत्तियाँ हम लोगों के अपने दोष के कारण होंगी।” अतीत काल में एक दूसरा व्यक्ति था जो यहोवा के सन्देश का उपदेश देता था। उसका नाम ऊरिय्याह था। वह शमाय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। ऊरिय्याह, किर्यत्यारीम नगर का था। ऊरिय्याह ने इस नगर और देश के विरुद्ध वही उपदेश दिया जो यिर्मयाह ने दिया है। राजा यहोयाकीम उसके सेना—अधिकारी और यहूदा के प्रमुखों ने ऊरिय्याह का उपदेश सुना। वे क्रोधित हुए। राजा यहोयाकीम ऊरिय्याह को मार डालना चाहता था। किन्तु ऊरिय्याह को पता लगा कि यहोयाकीम उसे मार डालना चाहता है। ऊरिय्याह डर गया और वह मिस्र देश को भाग निकला। किन्तु यहोयाकीम ने एलनातान नामक एक व्यक्ति तथा कुछ अन्य लोगों को मिस्र भेजा। एलनातान अकबोर नामक व्यक्ति का पुत्र था। वे लोग ऊरिय्याह को मिस्र से वापस ले आये। तब वे लोग ऊरिय्याह को राजा यहोयाकीम के पास ले गए। यहोयाकीम ने ऊरिय्याह को तलवार के घाट उतार देने का आदेश दिया। ऊरिय्याह का शव उस कब्रिस्तान में फेंक दिया गया जहाँ गरीब लोग दफनाये जाते थे। शापान का पुत्र अहीकाम ने यिर्मयाह का समर्थन किया। अत: अहीकाम ने लोगों द्वारा मार डाले जाने से यिर्मयाह को बचा लिया।
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