यिर्मयाह के ये सन्देश हैं। यिर्मयाह हिल्किय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। यिर्मयाह उन याजकों के परिवार से था जो अनातोत नगर में रहते थे। वह नगर उस प्रदेश में है जो बिन्यामीन परिवार का था। यहोवा ने यिर्मयाह से उन दिनों बातें करनी आरम्भ की। जब योशिय्याह यहूदा राष्ट्र का राजा था। योशिय्याह आमोन नामक राजा का पुत्र था। यहोवा ने यिर्मयाह से योशिय्याह के राज्यकाल के तेरहवें वर्ष में बातें करनी आरम्भ की। यहोवा यिर्मयाह से उस समय बातें करता रहा जब यहोयाकीम यहूदा का राजा था। यहोयाकीम योशिय्याह का पुत्र था। यिर्मयाह को सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारह वर्ष पाँच महीने तक, यहोवा की वाणी सुनाई पड़ती रही। सिदकिय्याह भी योशिय्याह का एक पुत्र था। सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारहवें वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम के निवासियों को देश—निकाला दिया गया था। यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यहोवा का सन्देश यह था: “तुम्हारी माँ के गर्भ में रखने के पहले मैंने तुमको जान लिया। तुम्हारे जन्म लेने के पहले, मैंने तुम्हें विशेष कार्य के लिये चुना था। मैंने तुम्हें राष्ट्रों का नबी होने को चुना था।” तब मैंने अर्थात् यिर्मयाह ने कहा, “किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा, मैं तो बोलना भी नहीं जानता। मैं तो अभी बालक ही हूँ।” किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, “मत कहो, ‘मै बालक ही हूँ।’ तुम्हें हर उन स्थानों पर जाना है जहाँ मैं भेंजूँ। तुम्हें वह सब कहना है जिसे मैं कहने को कहूँ। किसी से मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। तब यहोवा ने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे मुँह को छू लिया। यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, मैं अपने शब्द तेरे मुँह में दे रहा हूँ। आज मैंने तुम्हें राज्यों और राष्ट्रों का अधिकारी बनाया है। तुम इन्हें उखाड़ और उजाड़ सकते हो। तुम इन्हें नष्ट और उठा फेंक सकते हो। तुम इन्हें और उठा फेंक सकते हो। तुम निर्माण और रोपण कर सकते हो।”
यिर्मयाह 1 पढ़िए
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