उत्पत्ति 50:12-26

उत्पत्ति 50:12-26 HERV

इस प्रकार याकूब के पुत्रों ने वही किया जो उनके पिता ने आदेश दिया था। वे उसके शव को कनान ले गए और मकपेला की गुफा में उसे दफनाया। यह गुफा मम्रे के निकट उस खेत में थी जिसे इब्राहीम ने हित्ती एप्रोन से खरीदा था। यूसुफ ने जब अपने पिता को दफना दिया तो वह और उसके साथ समूह का हर एक व्यक्ति मिस्र को लौट गया। याकूब के मरने के बाद यूसुफ के भाई चितिंत हुए। वे डर रहे थे कि उन्होंने जो कुछ पहले किया था उसके लिए यूसुफ अब भी उनसे क्रोध में पागल होगा। उन्होंने कहा, “क्या जो कुछ हम ने किया उसके लिए यूसुफ अब भी हम से घृणा करता है?” इसलिए भाईयों ने वह सन्देश यूसुफ को भेजा: “तुम्हारे पिता ने मरने के पहले हम लोगों को आदेश दिया था। उसने कहा, ‘युसुफ से कहना कि मैं निवेदन करता हूँ कि कृपा कर वह उस अपराध को क्षमा कर दे जो उन्होंने उसके साथ किया।’ इसलिए अब हम तुमसे प्रार्थना करते हैं कि उस अपराध को क्षमा कर दो जो हम ने किया। हम लोग केवल तुम्हारे पिता के परमेश्वर के सेवक हैं।” यूसुफ के भाईयों ने जो कुछ कहा उससे उसे बड़ा दुःख हुआ और वह रो पड़ा। यूसुफ के भाई उसके सामने गए और उसके सामने झुककर प्रणाम किया। उन्होंने कहा, “हम लोग तुम्हारे सेवक होंगे।” तब यूसुफ ने उनसे कहा, “डरो नहीं मैं परमेश्वर नहीं हूँ। तुम लोगों ने मेरे साथ जो कुछ बुरा करने की योजना बनाई थी। किन्तु परमेश्वर सचमुच अच्छी योजना बना रहा था। परमेश्वर की योजना बहुत से लोगों का जीवन बचाने के लिए मेरा उपयोग करने की थी और आज भी उसकी यही योजना है। इसलिए डरो नहीं। मैं तुम लोगों और तुम्हारे बच्चों की देखभाल करूँगा।” इस प्रकार यूसुफ ने उन्हें सान्त्वना दी और उनसे कोमलता से बातें कीं। यूसुफ अपने पिता के परिवार के साथ मिस्र में रहता रहा। यूसुफ एक सौ दस वर्ष का होकर मरा। यूसुफ के जीवन काल में एप्रैम के पुत्र और पौत्र हुए और उसके पुत्र मनश्शे का एक पुत्र माकीर नाम का हुआ। यूसुफ माकीर के बच्चों को देखने के लिए जीवित रहा। जब यूसुफ मरने को हुआ, उसने अपने भाईयों से कहा, “मेरे मरने का समय आ गया। किन्तु मैं जानता हूँ कि परमेश्वर तुम लोगों की रक्षा करेगा। वह इस देश से तुम लोगों को बाहर ले जाएगा। परमेश्वर तुम लोगों को उस देश में ले जाएगा जिसे उसने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था।” तब यूसुफ ने अपने लोगों से एक प्रतिज्ञा करने को कहा। यूसुफ ने कहा, “मुझ से प्रतिज्ञा करो कि तब मेरी अस्थियों अपने साथ ले जाओगे जब परमेश्वर तुम लोगों को नए देश में ले जाएगा।” यूसुफ मिस्र में मरा, जब वह एक सौ दस वर्ष का था। वैद्यों ने उसके शव को दफनाने के लिए तैयार किया और मिस्र में उसके शव को एक डिब्बे में रखा।