यहोवा ने मुझसे कहा, दाऊद, तुम्हारा पुत्र सुलैमान मेरा मन्दिर और इसके चारों ओर का क्षेत्र बनाएगा। क्यों? क्योंकि मैंने सुलैमान को अपना पुत्र चुना है और मैं उसका पिता रहूँगा। अब सुलैमान मेरे नियमों और आदेशों का पालन कर रहा है। यदि वह मेरे नियमों का पालन करता रहता है तो मैं सुलैमान के राज्य को सदा के लिये शक्तिशाली बना दूँगा!” दाऊद ने कहा, “अब, इस्राएल और परमेश्वर के सामने मैं तुमसे ये बातें कहता हूँ: यहोवा अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को मानने में सावधान रहो! तब तुम इस अच्छे देश को अपने पास रख सकते हो और तुम सदा के लिए इसे अपने वंशजों को दे सकते हो। “और मेरे पुत्र सुलैमान, तुम, अपने पिता के परमेश्वर को जानते हो। शुद्ध हृदय से परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर की सेवा करने में अपने हृदय (मस्तिष्क) में प्रसन्न रहो। क्यों? क्योंकि यहोवा जानता है कि हर एक के हृदय (मस्तिष्क) में क्या है। हर बात जो सोचते हो, यहोवा जानता है। यदि तुम यहोवा के पास सहायता के लिये जाओगे, तो तुम्हें वह मिलेगी। किन्तु यदि उसको छोड़ते हो, तो वह तुमको सदा के लिये छोड़ देगा। सुलैमान, तुम्हें यह समझना चाहिये कि यहोवा ने तुमको अपना पवित्र स्थान मन्दिर बनाने के लिये चुना है। शक्तिशाली बनो और कार्य को पूरा करो।” तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को मन्दिर बनाने के लिये योजनाएँ दीं। वे योजनाएँ मन्दिर के चारों ओर प्रवेश—कक्ष बनाने, इसके भवन, इसके भंडार—कक्ष, इसके ऊपरी कक्ष, इसके भीतरी कक्ष और दयापीठ के स्थान के लिये थी। दाऊद ने मन्दिर के सभी भागों के लिये योजनाएँ बनाईं थीं। दाऊद ने उन योजनाओं को सुलैमान को दिया। दाऊद ने यहोवा के मन्दिर के चारों ओर के आँगन और उसके चारों ओर के कक्षों की योजनाएँ दीं। दाऊद ने मन्दिर के भंडारकक्षकों और उन भंडारकक्षों की योजनाएँ दीं जहाँ वे उन पवित्र चीजों को रखते थे जो मन्दिर में काम आती थीं।
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