भजन संहिता 95

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स्तुतिगान
1आओ हम यहोवा के लिये ऊँचे स्वर से गाएँ,
अपने उद्धार की चट्टान का जयजयकार करें!
2हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएँ,
और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें।
3क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है,
और सब देवताओं के ऊपर महान राजा है।
4पृथ्वी के गहरे स्थान उसी के हाथ में हैं;
और पहाड़ों की चोटियाँ भी उसी की हैं।
5समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया,
और स्थल भी उसी के हाथ का रचा है।
6आओ हम झुककर दण्डवत् करें,
और अपने कर्ता यहोवा के सामने घुटने टेकें!
7क्योंकि वही हमारा परमेश्वर है,
और हम उसकी चराई की प्रजा,
और उसके हाथ की भेड़ें हैं।
भला होता, कि आज तुम उसकी बात सुनते! (निर्ग. 17:7)
8अपना-अपना हृदय ऐसा कठोर मत करो, जैसा मरीबा में,
व मस्सा के दिन जंगल में हुआ था,
9 जब तुम्हारे पुरखाओं ने मुझे परखा#95:9 जब तुम्हारे पुरखाओं ने मुझे परखा: मेरी परीक्षा ली, मेरे धीरज को परखा, देखना चाहा कि मैं कितना सहन करता हूँ। ,
उन्होंने मुझ को जाँचा और मेरे काम को भी देखा।
10चालीस वर्ष तक मैं उस पीढ़ी के लोगों से रूठा रहा,
और मैंने कहा, “ये तो भरमानेवाले मन के हैं,
और इन्होंने मेरे मार्गों को नहीं पहचाना।”
11इस कारण मैंने क्रोध में आकर शपथ खाई कि
ये मेरे विश्रामस्थान में कभी प्रवेश न करने पाएँगे#95:11 ये मेरे विश्रामस्थान में कभी प्रवेश न करने पाएँगे: यहाँ विश्राम: से अभिप्राय है, कनान देश। उन्हें लम्बी और क्लांतकारी यात्रा के बाद वहाँ, विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करने दिया गया। (इब्रा. 3:7-19)

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भजन संहिता 95: IRVHin

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