भजन संहिता 71:15-24

भजन संहिता 71:15-24 IRVHIN

मैं अपने मुँह से तेरी धार्मिकता का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूँगा, क्योंकि उनका पूरा ब्योरा मेरी समझ से परे है। मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊँगा, मैं केवल तेरी ही धार्मिकता की चर्चा किया करूँगा। हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्यकर्मों का प्रचार करता आया हूँ। इसलिए हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आनेवाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होनेवालों को तेरा पराक्रम सुनाऊँ। हे परमेश्वर, तेरी धार्मिकता अति महान है। तू जिसने महाकार्य किए हैं, हे परमेश्वर तेरे तुल्य कौन है? तूने तो हमको बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हमको जिलाएगा; और पृथ्वी के गहरे गड्ढे में से उबार लेगा। तू मेरे सम्मान को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्ति देगा। हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊँगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊँगा। जब मैं तेरा भजन गाऊँगा, तब अपने मुँह से और अपने प्राण से भी जो तूने बचा लिया है, जयजयकार करूँगा। और मैं तेरे धार्मिकता की चर्चा दिन भर करता रहूँगा; क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, वे लज्जित और अपमानित हुए।