भजन संहिता 146:1-10

भजन संहिता 146:1-10 IRVHIN

यहोवा की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूँगा; जब तक मैं बना रहूँगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूँगा। तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उसमें उद्धार करने की शक्ति नहीं। उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नाश हो जाएँगी। क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का परमेश्वर है, और जिसकी आशा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उनमें जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा। (प्रेरि. 4:24, प्रेरि. 14:15, प्रेरि. 17:24, प्रका. 10:6, प्रका. 14:7) वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्दियों को छुड़ाता है; यहोवा अंधों को आँखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है। यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है; परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा-मेढ़ा करता है। हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी-पीढ़ी राज्य करता रहेगा। यहोवा की स्तुति करो!

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