नीतिवचन 23:1-18

नीतिवचन 23:1-18 IRVHIN

जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे, तब इस बात को मन लगाकर सोचना कि मेरे सामने कौन है? और यदि तू अधिक खानेवाला हो, तो थोड़ा खाकर भूखा उठ जाना। उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा न करना, क्योंकि वह धोखे का भोजन है। धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। (1 तीमु. 6:9) जब तू अपनी दृष्टि धन पर लगाएगा, वह चला जाएगा, वह उकाब पक्षी के समान पंख लगाकर, निःसन्देह आकाश की ओर उड़ जाएगा। जो डाह से देखता है, उसकी रोटी न खाना, और न उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा करना; क्योंकि वह ऐसा व्यक्ति है, जो भोजन के कीमत की गणना करता है। वह तुझ से कहता तो है, खा और पी, परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं है। जो कौर तूने खाया हो, उसे उगलना पड़ेगा, और तू अपनी मीठी बातों का फल खोएगा। मूर्ख के सामने न बोलना, नहीं तो वह तेरे बुद्धि के वचनों को तुच्छ जानेगा। पुरानी सीमाओं को न बढ़ाना, और न अनाथों के खेत में घुसना; क्योंकि उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; उनका मुकद्दमा तेरे संग वही लड़ेगा। अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। लड़के की ताड़ना न छोड़ना; क्योंकि यदि तू उसको छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा। तू उसको छड़ी से मारकर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा। हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा। तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।