तब फरीसी और कुछ शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, उसके पास इकट्ठे हुए, और उन्होंने उसके कई चेलों को अशुद्ध अर्थात् बिना हाथ धोए रोटी खाते देखा। (क्योंकि फरीसी और सब यहूदी, प्राचीन परम्परा का पालन करते हैं और जब तक भली भाँति हाथ नहीं धो लेते तब तक नहीं खाते; और बाजार से आकर, जब तक स्नान नहीं कर लेते, तब तक नहीं खाते; और बहुत सी अन्य बातें हैं, जो उनके पास मानने के लिये पहुँचाई गई हैं, जैसे कटोरों, और लोटों, और तांबे के बरतनों को धोना-माँजना।) इसलिए उन फरीसियों और शास्त्रियों ने उससे पूछा, “तेरे चेले क्यों पूर्वजों की परम्पराओं पर नहीं चलते, और बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?” उसने उनसे कहा, “यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की; जैसा लिखा है: ‘ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। (यशा. 29:13) और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ (यशा. 29:13) क्योंकि तुम परमेश्वर की आज्ञा को टालकर मनुष्यों की रीतियों को मानते हो।”
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