मरकुस 10:1-12

मरकुस 10:1-12 IRVHIN

फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा। तब फरीसियों ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्नी को त्यागे?” उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?” उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” (व्यव. 24:1-3) यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। पर सृष्टि के आरम्भ से, परमेश्वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है। (उत्प. 1:27, उत्प. 5:2) इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे; इसलिए वे अब दो नहीं, पर एक तन हैं। (उत्प. 2:24) इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।” और घर में चेलों ने इसके विषय में उससे फिर पूछा। उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को त्याग कर दूसरी से विवाह करे तो वह उस पहली के विरोध में व्यभिचार करता है। और यदि पत्नी अपने पति को छोड़कर दूसरे से विवाह करे, तो वह व्यभिचार करती है।”