मत्ती 27:51-66

मत्ती 27:51-66 IRVHIN

तब, मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चट्टानें फट गईं। और कब्रें खुल गईं, और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत शव जी उठे। और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए। तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भूकम्प और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, “सचमुच यह परमेश्वर का पुत्र था!” वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ जो गलील से यीशु की सेवा करती हुईं उसके साथ आईं थीं, दूर से देख रही थीं। उनमें मरियम मगदलीनी और याकूब और योसेस की माता मरियम और जब्दी के पुत्रों की माता थीं। जब साँझ हुई तो यूसुफ नामक अरिमतियाह का एक धनी मनुष्य जो आप ही यीशु का चेला था, आया। उसने पिलातुस के पास जाकर यीशु का शव माँगा। इस पर पिलातुस ने दे देने की आज्ञा दी। यूसुफ ने शव को लेकर उसे साफ चादर में लपेटा। और उसे अपनी नई कब्र में रखा, जो उसने चट्टान में खुदवाई थी, और कब्र के द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर चला गया। और मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम वहाँ कब्र के सामने बैठी थीं। दूसरे दिन जो तैयारी के दिन के बाद का दिन था, प्रधान याजकों और फरीसियों ने पिलातुस के पास इकट्ठे होकर कहा। “हे स्वामी, हमें स्मरण है, कि उस भरमानेवाले ने अपने जीते जी कहा था, कि मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा। अतः आज्ञा दे कि तीसरे दिन तक कब्र की रखवाली की जाए, ऐसा न हो कि उसके चेले आकर उसे चुरा ले जाएँ, और लोगों से कहने लगें, कि वह मरे हुओं में से जी उठा है: तब पिछला धोखा पहले से भी बुरा होगा।” पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम्हारे पास पहरेदार तो हैं जाओ, अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो।” अतः वे पहरेदारों को साथ लेकर गए, और पत्थर पर मुहर लगाकर कब्र की रखवाली की।