“तब जिसको एक तोड़ा मिला था, उसने आकर कहा, ‘हे स्वामी, मैं तुझे जानता था, कि तू कठोर मनुष्य है: तू जहाँ कहीं नहीं बोता वहाँ काटता है, और जहाँ नहीं छींटता वहाँ से बटोरता है।’ इसलिए मैं डर गया और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया; देख, ‘जो तेरा है, वह यह है।’
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चार दिन
एक ज़बरदस्त कहानी किसे पसंद नहीं आती? एक्शन हो या रोमांस, सस्पेंस या थ्रिलर, हम भारतीयों को हमारी फिल्में और उनसे जुड़ी कहानियां बहुत पसंद हैं। यीशु को भी कहानियां पसंद थीं! एक बात को साबित करने के लिए उन्होंने अक्सर सनसनीखेज कहानियां सुनाईं। अगले चार दिनों में, हम ४ ऐसी कहानियों को समझेंगे और दूसरों के साथ परमेश्वर के प्रेम को बांटने की प्रेरणा पाएंगे।
7 दिन
मनुष्य होने के नाते और खासतौर पर मसीही होने के नाते, कई स्त्तर पर अपने परिवार, दोस्त, मालिक और कार्यस्थल के लोगों के प्रति परमेश्वर को जवाब देने की ज़िम्मेदारी हम पर है| मनुष्य स्वभाव से ही किसी के प्रति उत्तरदायी होना पसंद नहीं करता| परमेश्वर को हिसाब-किताब देना ही मूल रूप से सभी स्त्तर पर उत्तरदायी होने में हमारी मदद करता है|
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