यूहन्ना 2:1-10

यूहन्ना 2:1-10 IRVHIN

फिर तीसरे दिन गलील के काना में किसी का विवाह था, और यीशु की माता भी वहाँ थी। यीशु और उसके चेले भी उस विवाह में निमंत्रित थे। जब दाखरस खत्म हो गया, तो यीशु की माता ने उससे कहा, “उनके पास दाखरस नहीं रहा।” यीशु ने उससे कहा, “हे महिला मुझे तुझ से क्या काम? अभी मेरा समय नहीं आया।” उसकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुम से कहे, वही करना।” वहाँ यहूदियों के शुद्धिकरण के लिए पत्थर के छः मटके रखे थे, जिसमें दो-दो, तीन-तीन मन समाता था। यीशु ने उनसे कहा, “मटकों में पानी भर दो।” तब उन्होंने उन्हें मुहाँमुहँ भर दिया। तब उसने उनसे कहा, “अब निकालकर भोज के प्रधान के पास ले जाओ।” और वे ले गए। जब भोज के प्रधान ने वह पानी चखा, जो दाखरस बन गया था और नहीं जानता था कि वह कहाँ से आया है; (परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था वे जानते थे), तो भोज के प्रधान ने दूल्हे को बुलाकर, उससे कहा “हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है, और जब लोग पीकर छक जाते हैं, तब मध्यम देता है; परन्तु तूने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है।”

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