क्योंकि व्यवस्था जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिए उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती। नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिए कि जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उनका विवेक उन्हें पापी न ठहराता। परन्तु उनके द्वारा प्रतिवर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे।
इसी कारण मसीह जगत में आते समय कहता है,
“बलिदान और भेंट तूने न चाही,
पर मेरे लिये एक देह तैयार की।
होमबलियों और पापबलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
तब मैंने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, (पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है)
ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूँ।’”
ऊपर तो वह कहता है, “न तूने बलिदान और भेंट और होमबलियों और पापबलियों को चाहा, और न उनसे प्रसन्न हुआ,” यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं। फिर यह भी कहता है, “देख, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ,” अतः वह पहले को हटा देता है, ताकि दूसरे को स्थापित करे। उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं। (इब्रा. 10:14)
और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है। (निर्ग. 29:38,39) पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें। (भज. 110:1) क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है। और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था
“प्रभु कहता है; कि जो वाचा मैं
उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि
मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूँगा
और मैं उनके विवेक में डालूँगा।”
(फिर वह यह कहता है,) “मैं उनके पापों को,
और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” (इब्रा. 8:12, यिर्म. 31:34)
और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।