और यहोवा उसके सामने होकर यह प्रचार करता हुआ चला, “यहोवा, यहोवा, परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य
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जब हम दबाव में होते हैं तो हम किस प्रकार सामना करते हैं? क्या तब हम में से आत्मा के फल प्रगट होते हैं, या हमारे आम के पेड़ में से कड़वे फल निकलते हैं, और हमारे अंगूर की बेलों से खट्टे अंगूर पैदा होते हैं? जब पारा बढ़ता है तो तब क्या हमारा गुस्सा भी बढ़ जाता है?
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