1 थिस्सलुनीकियों 5:11-28

1 थिस्सलुनीकियों 5:11-28 IRVHIN

इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो, जैसा कि तुम करते भी हो। हे भाइयों, हम तुम से विनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुए हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो। और उनके काम के कारण प्रेम के साथ उनको बहुत ही आदर के योग्य समझो आपस में मेल-मिलाप से रहो। और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उनको समझाओ, निरुत्साहित को प्रोत्साहित करो, निर्बलों को सम्भालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ। देखो की कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो आपस में और सबसे भी भलाई ही की चेष्टा करो। (1 पत. 3:9) सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यहीं इच्छा है। आत्मा को न बुझाओ। भविष्यद्वाणियों को तुच्छ न जानो। सब बातों को परखो जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। सब प्रकार की बुराई से बचे रहो। (फिलि. 4:8) शान्ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे; तुम्हारी आत्मा, प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें। तुम्हारा बुलानेवाला विश्वासयोग्य है, और वह ऐसा ही करेगा। हे भाइयों, हमारे लिये प्रार्थना करो। सब भाइयों को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो। मैं तुम्हें प्रभु की शपथ देता हूँ, कि यह पत्री सब भाइयों को पढ़कर सुनाई जाए। हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।

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