तुम मेरी जैसी चाल चलो जैसा मैं मसीह के समान चाल चलता हूँ। मैं तुम्हें सराहता हूँ, कि सब बातों में तुम मुझे स्मरण करते हो; और जो व्यवहार मैंने तुम्हें सौंप दिए हैं, उन्हें धारण करते हो। पर मैं चाहता हूँ, कि तुम यह जान लो, कि हर एक पुरुष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरुष है: और मसीह का सिर परमेश्वर है। जो पुरुष सिर ढाँके हुए प्रार्थना या भविष्यद्वाणी करता है, वह अपने सिर का अपमान करता है। परन्तु जो स्त्री बिना सिर ढके प्रार्थना या भविष्यद्वाणी करती है, वह अपने सिर का अपमान करती है, क्योंकि वह मुँण्ड़ी होने के बराबर है। यदि स्त्री ओढ़नी न ओढ़े, तो बाल भी कटा ले; यदि स्त्री के लिये बाल कटाना या मुण्डाना लज्जा की बात है, तो ओढ़नी ओढ़े। हाँ पुरुष को अपना सिर ढाँकना उचित नहीं, क्योंकि वह परमेश्वर का स्वरूप और महिमा है; परन्तु स्त्री पुरुष की शोभा है। (1 कुरि. 11:3) क्योंकि पुरुष स्त्री से नहीं हुआ, परन्तु स्त्री पुरुष से हुई है। (उत्प. 2:21-23) और पुरुष स्त्री के लिये नहीं सिरजा गया, परन्तु स्त्री पुरुष के लिये सिरजी गई है। (उत्प. 2:18) इसलिए स्वर्गदूतों के कारण स्त्री को उचित है, कि अधिकार अपने सिर पर रखे। तो भी प्रभु में न तो स्त्री बिना पुरुष और न पुरुष बिना स्त्री के है। क्योंकि जैसे स्त्री पुरुष से है, वैसे ही पुरुष स्त्री के द्वारा है; परन्तु सब वस्तुएँ परमेश्वर से हैं। तुम स्वयं ही विचार करो, क्या स्त्री को बिना सिर ढके परमेश्वर से प्रार्थना करना उचित है? क्या स्वाभाविक रीति से भी तुम नहीं जानते, कि यदि पुरुष लम्बे बाल रखे, तो उसके लिये अपमान है। परन्तु यदि स्त्री लम्बे बाल रखे; तो उसके लिये शोभा है क्योंकि बाल उसको ओढ़नी के लिये दिए गए हैं।
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