उसकी सास नाओमी ने उससे कहा, “हे मेरी बेटी, क्या मैं तेरे लिये ठाँव न ढूँढ़ूँ कि तेरा भला हो? अब जिसकी दासियों के पास तू थी, क्या वह बोअज़ हमारा कुटुम्बी नहीं है? वह तो आज रात को खलिहान में जौ फटकेगा। तू स्नान कर तेल लगा, और अच्छे वस्त्र पहिनकर खलिहान को जा; परन्तु जब तक वह पुरुष खा–पी न चुके तब तक अपने को उस पर प्रगट न करना। और जब वह लेट जाए, तब तू उस के लेटने के स्थान को देख लेना; फिर भीतर जाकर उसके पाँव उघाड़ के लेट जाना; तब वही तुझे बताएगा कि तुझे क्या करना चाहिये।” उसने उससे कहा, “जो कुछ तू कहती है वह सब मैं करूँगी।” तब वह खलिहान को गई और अपनी सास की आज्ञा के अनुसार ही किया। जब बोअज़ खा–पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के ढेर के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पाँव उघाड़ के लेट गई। आधी रात को वह पुरुष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि उसके पाँवों के पास कोई स्त्री लेटी है। उसने पूछा, “तू कौन है?” तब वह बोली, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है।”
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