फिर खाने के समय बोअज़ ने उससे कहा, “यहीं आकर रोटी खा, और अपना कौर सिरके में डुबा।” तो वह लवनेवालों के पास बैठ गई, और उसने उसको भुनी हुई बालें दी; और वह खाकर तृप्त हुई, वरन् कुछ बचा भी रखा। जब वह बीनने को उठी, तब बोअज़ ने अपने जवानों को आज्ञा दी, “उसको पूलों के बीच बीच में भी बीनने दो, और दोष मत लगाओ। वरन् मुट्ठी भर जाने पर कुछ कुछ निकाल कर गिरा भी दिया करो, और उसके बीनने के लिये छोड़ दो, और उसे घुड़को मत।” अत: वह साँझ तक खेत में बीनती रही; तब जो कुछ बीना था उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ निकला। तब वह उसे उठाकर नगर में गई, और उसकी सास ने उसका बीना हुआ देखा, और जो कुछ उसने तृप्त होकर बचाया था उसको उसने निकालकर अपनी सास को दिया। उसकी सास ने उससे पूछा, “आज तू कहाँ बीनती, और कहाँ काम करती थी? धन्य वह हो जिसने तेरी सुधि ली है।” तब उसने अपनी सास को बता दिया कि मैं ने किसके पास काम किया, और कहा, “जिस पुरुष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज़ है।” नाओमी ने अपनी बहू से कहा, “वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करुणा हटाई!” फिर नाओमी ने उससे कहा, “वह पुरुष तो हमारा एक कुटुम्बी है, वरन् उनमें से है जिनको हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है।” तब रूत मोआबिन बोली, “उसने मुझ से यह भी कहा, ‘जब तक मेरे सेवक मेरी सारी कटनी पूरी न कर चुकें तब तक उन्हीं के संग संग लगी रह।’ ” नाओमी ने अपनी बहू रूत से कहा, “मेरी बेटी यह अच्छा भी है, कि तू उसी की दासियों के साथ साथ जाया करे, और वे तुझ से दूसरे के खेत में न मिलें।” इसलिये रूत जौ और गेहूँ दोनों की कटनी के अन्त तक बीनने के लिये बोअज़ की दासियों के साथ साथ लगी रही; और अपनी सास के यहाँ रहती थी।
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