रूत 1:1-18

रूत 1:1-18 HINOVBSI

जिन दिनों में न्यायी लोग न्याय करते थे उन दिनों में देश में अकाल पड़ा, तब यहूदा के बैतलहम का एक पुरुष अपनी स्त्री और दोनों पुत्रों को संग लेकर मोआब के देश में परदेशी होकर रहने के लिये चला। उस पुरुष का नाम एलीमेलेक, और उसकी पत्नी का नाम नाओमी, और उसके दो बेटों के नाम महलोन और किल्योन थे; ये एप्राती थे अर्थात् यहूदा के बैतलहम के रहनेवाले थे। वे मोआब के देश में आकर वहाँ रहे। और नाओमी का पति एलीमेलेक मर गया, और नाओमी और उसके दोनों पुत्र रह गए। और उन्होंने एक एक मोआबिन स्त्री से विवाह कर लिया; एक का नाम ओर्पा और दूसरी का नाम रूत था। फिर वे वहाँ कोई दस वर्ष रहे। जब महलोन और किल्योन दोनों मर गए, तब नाओमी अपने दोनों पुत्रों और पति से रहित हो गई। तब वह मोआब के देश में यह सुनकर कि यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों की सुधि ले के उन्हें भोजनवस्तु दी है, उस देश से अपनी दोनों बहुओं समेत लौट जाने को चली। अत: वह अपनी दोनों बहुओं समेत उस स्थान से जहाँ रहती थी निकली, और उन्होंने यहूदा देश को लौट जाने का मार्ग लिया। तब नाओमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, “तुम अपने अपने मायके लौट जाओ। और जैसे तुम ने उनसे जो मर गए हैं और मुझ से भी प्रीति की है, वैसे ही यहोवा तुम्हारे ऊपर कृपा करे। यहोवा ऐसा करे कि तुम फिर अपने–अपने पति के घर में विश्राम पाओ।” तब उसने उन को चूमा, और वे चिल्‍ला चिल्‍लाकर रोने लगीं, और उससे कहा, “निश्‍चय हम तेरे संग तेरे लोगों के पास चलेंगी।” नाओमी ने कहा, “हे मेरी बेटियो, लौट जाओ, तुम क्यों मेरे संग चलोगी? क्या मेरी कोख में और पुत्र हैं जो तुम्हारे पति हों? हे मेरी बेटियो, लौटकर चली जाओ, क्योंकि मैं पति करने को बूढ़ी हूँ। और चाहे मैं कहती भी कि मुझे आशा है, और आज की रात मेरे पति होता भी, और मेरे पुत्र भी होते, तौभी क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रुकी रहतीं? हे मेरी बेटियो, ऐसा न हो, क्योंकि मेरा दु:ख तुम्हारे दु:ख से बहुत बढ़कर है; देखो, यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है।” तब वे फिर से उठीं; और ओर्पा ने तो अपनी सास को चूमा, परन्तु रूत उससे अलग न हुई। तब उसने कहा, “देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है; इसलिये तू अपनी जिठानी* के पीछे लौट जा।” रूत बोली, “तू मुझ से यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्‍वर मेरा परमेश्‍वर होगा; जहाँ तू मरेगी वहाँ मैं भी मरूँगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊँ तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन् उससे भी अधिक करे।” जब उसने यह देखा कि वह मेरे संग चलने को स्थिर है, तब उसने उससे और कुछ न कहा।

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