अत: हम बलवानों को चाहिए कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें, न कि अपने आप को प्रसन्न करें। हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो। क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है : “तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।” जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा आशा रखें। धीरज और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। ताकि तुम एक मन और एक स्वर में हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की स्तुति करो।
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