आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! “प्रभु की बुद्धि को किसने जाना? या उसका मंत्री कौन हुआ? या किसने पहले उसे कुछ दिया है जिसका बदला उसे दिया जाए?” क्योंकि उसी की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है। उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे : आमीन।
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