आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! “प्रभु की बुद्धि को किसने जाना? या उसका मंत्री कौन हुआ? या किसने पहले उसे कुछ दिया है जिसका बदला उसे दिया जाए?” क्योंकि उसी की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है। उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे : आमीन।
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आप परमेश्वर को कैसे देखते हैं? इस प्रश्न का उत्तर आपको, आपके विश्वास, आत्म-धारणा, स्वभाव, रिश्ते व लक्ष्य को एक आकार प्रदान करता है। परमेश्वर के सम्बन्ध में एक अनुचित धारणा आपके जीवन को हमेशा के लिए जटिल बना सकती है। इसका अर्थ है कि सच्चे परमेश्वर को दूर दृष्टि से देख पाना बुद्धिमानी है - अर्थात उसकी मनसा के अनुसार देखना - आपका जीवन शक्तिशाली ढंग से बदल जाएगा।
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