इसके बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “हल्लिलूय्याह! उद्धार और महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं। उसने उस बड़ी वेश्या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया और उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया है।” फिर दूसरी बार उन्होंने कहा, “हल्लिलूय्याह! उसके जलने का धुआँ युगानुयुग उठता रहेगा।” तब चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् किया, जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, “आमीन! हल्लिलूय्याह!” तब सिंहासन में से एक शब्द निकला, “हे हमारे परमेश्वर से सब डरनेवाले दासो, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उसकी स्तुति करो।”
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