हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएँ, तौभी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं। तेरे क्रोध की शक्ति को और भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है? हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएँ।
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